फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम शेख चिल्ली की कहानी “घर में लगी आग” (House On Fire Shekh Chilli Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये कहानी शेख चिल्ली और उसके नए मालिक की है. बार-बार नौकरी से निकाल दिए जाने वाले शेख चिल्ली की नौकरी उसकी माँ सिफ़ारिश से दरबार में काम करने वाले व्यक्ति के पास लगवा देती है. क्या शेख चिल्ली इस नौकरी में टिका रह पाता है? जानने के लिए पढ़िये शेख चिल्ली की ये मज़ेदार कॉमेडी :
House On Fire Shekh Chilli Story In Hindi
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House On Fire Shekh Chilli Story In Hindi | House On Fire Shekh Chilli Story In Hindi
पढ़े शेखचिल्ली की संपूर्ण कहानियाँ
शेखचिल्ली की माँ ने किसी से सिफ़ारिश करवाकर राज दरबार में काम करने वाले एक व्यक्ति के पास उसकी नौकरी लगवा दी. शेखचिल्ली का काम अपने मालिक को घोड़ागाड़ी में बैठाकर दरबार ले जाना और वापस लाना था. दिन भर मालिक दरबार में रहता. उस समय शेखचिल्ली बाहर ही घोड़ागाड़ी लगा देता और पहरेदार के पास बैठकर मालिक का इंतज़ार करता.
एक दिन शेखचिल्ली के मालिक के घर आटा ख़त्म हो गया. उसकी बेगम ने देखा कि घर में पैसे भी नहीं है. उसने फ़ौरन एक नौकर को पैसे लाने मालिक के पास भिजवाया. नौकर दरबार जाकर शेखचिल्ली से मिला और उसे सारी बात बताकर मालिक से पैसे मांगकर लाने को कहा.
बिना पहरेदार की अनुमति के शेखचिल्ली दरबार के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता था. उसने पहरेदार से निवेदन किया कि उसे अपने मालिक के पास जाने दे. लेकिन पहरेदार ने मना कर दिया. अब शेखचिल्ली क्या करे? वह वहीँ से ज़ोर से चिल्लाकर मालिक से बोला, “हुज़ूर, आपके घर में आटा ख़त्म हो गया है. मालकिन ने आटा ख़रीदने पैसे मंगाए हैं.”
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सारे दरबारी यह बात सुनकर मंद-मंद मुस्कुराने लगे. मालिक बड़ा शर्मसार हुआ. उसे शेखचिल्ली पर बहुत गुस्सा आया. बाहर आकर वह शेखचिल्ली को डांटते हुए बोला, “आइंदा, कभी मुझे दरबार में परेशान मत करना. कुछ भी बताना हो, तो मेरे दरबार से बाहर आने का इंतज़ार करना.”
शेखचिल्ली ने हामी भर दी.
एक दिन मालिक के घर में आग लग गई. घर से नौकर भागा-भागा आया और शेखचिल्ली से यह ख़बर मालिक तक पहुँचाने को कहा. शेखचिल्ली को पिछला वाक्या याद था और मालिक का आदेश भी. इसलिए वह शांति सी दरबार की कार्यवाही समाप्त होने तक बाहर ही खड़ा रहा.
दरबार की कार्यवाही समाप्त होने के बाद जब मालिक बाहर आया, तो शेखचिल्ली ने उसे यह घर में आग लगने की सूचना दी. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी दी. मालिक शेखचिल्ली पर बहुत आग-बबूला हुआ. शेखचिल्ली भोलेपन से कहता रहा, “मालिक, आपने ही आदेश दिया था कि आपको दरबार में परेशान न करूं. आपके दरबार से बाहर आने का इंतज़ार करूं.”
मालिक सिर पीट कर रह गया. शेखचिल्ली को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.
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