हुदहुद को कलगी कैसे मिली? | NCERT Class 4 Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम ‘हुदहुद को कलगी कैसे मिली‘ (Hudhud Ko Kalgi kaise Mili?) कहानी शेयर कर रहे हैं. यह NCERT Class 4 की Story है. राजा सुलेमान और हुदहुद की ये कहानी (Raja Sulaiman And Hudhud Story In Hindi) न सिर्फ़ ये बताती है कि हुदहुद पक्षी को कलगी कैसे मिली, बल्कि सीख भी देती है. पढ़िए पूरी कहानी : 

Hudhud Ko Kalgi Kaise Mili?

Hudhud Ko Kalgi Kaise Mili
Hudhud Ko Kalgi Kaise Mili | Hudhud Aur Sulaiman Ki kahani

एक दिन बादशाह सुलेमान अपने उड़नखटोले में बैठकर कहीं जा रहे हैं. गर्मी का मौसम था. तेज धूप से बादशाह परेशान थे. उन्होंने देखा कि पास ही गिद्धों का झुंड उड़ता हुआ जा रहा है.

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बादशाह सुलेमान पशु-पक्षियों से बातें किया करते थे. उन्होंने गिद्धों के सरदार को बुलाया और कहा, “आज बहुत तेज धूप है. तुम सब अपने पंख फैलाकर मुझ पर छाया कर दो, तो इस तेज धूप से मुझे राहत मिल जाएगी.”

“बादशाह सलामत! हम बहुत छोटे हैं. हमारे पंख भी बहुत छोटे हैं. और तो और हमारी गर्दन पर तो पंख ही नहीं है. हमें माफ़ करें. हम छाया नहीं कर पायेंगे.” ये कहकर गिद्धों का सरदार अपन साथियों के साथ तेजी से उड़ता हुआ दूर निकल गया.

बादशाह सुलेमान कुछ आगे बढे, तो उन्हें हुदहुदों का सरदार दिखाई पड़ा. उन्होंने उसे बुलाकर अपनी परेशानी बताई, तो गिद्ध की तुलना में बहुत छोटा पक्षी होते हुए भी वह मदद के लिए  तैयार को गया.

अपने दल के साथियों के साथ पंख फैलाकर उसने बादशाह सुलेमान के ऊपर छाया कर दी.

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बादशाह सुलेमान बहुत खुश हुए. वे हुदहुदों के सरदार से बोले, “कुछ देर पहले मैंने गिद्ध से मदद मांगी थी. लेकिन उसने मना कर दिया था. तुमने आकार में छोटे होते ही भी मेरी मदद की. मैं तुमसे बहुत ख़ुश हूँ. मांगों क्या मांगते हो?”

“बादशाह सलामत! मैं अपने दल के साथियों से सलाह करने के बाद ही कुछ मांगूंगा.” यह कहकर वह अपने साथियों के पास चला गया.

उनसे सलाह करने के बाद वह बादशाह सुलेमान के पास आया और बोला, “बादशाह सलामत! हमें वरदान दें कि अब से हमारे सिर पर सोने का ताज़ हो.”

यह सुनकर बादशाह सुलेमान बोले, “क्या तुमने इसके परिणाम के बारे में अच्छी तरह सोचा है?”

“बादशाह सलामत! हम सभी हुदहुदों की यही इच्छा है. हमने सोच-समझकर ही यह वरदान मांगा है.” हुदहुदों का मुखिया बोला.

“ठीक है! मैं तुम्हें मनचाहा वरदान देता हूँ.” बादशाह सुलेमान बोले और उसी समय सभी हुदहुदों के सिर पर सोने का ताज़ आ गया.

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सभी हुदहुद बहुत ख़ुश हुए. लेकिन उनकी ये ख़ुशी अधिक दिनों तक नहीं रही. लोगों ने जब उनके सिर पर सोने का ताज़ देखा, तो सोना हासिल करने के लिए उनका शिकार करने लगे.

एक-एककर हुदहुदों के मारे जाने से हुदहुदों का वंश समाप्त होने को आ गया. घबराकर हुदहुदों का सरदार बादशाह सुलेमान के पास पहुँचा और बोला, “बादशाह सलामत! सोने की कलगी के कारण लोग हमें मारने लगे हैं. इस तरह तो धरती पर एक भी हुदहुद नहीं रहेगा. हमें ये सोने का ताज़ नहीं चाहिए. कृपा कर अपना वरदान वापस ले लीजिये.”

बादशाह सुलेमान बोले, “मुझे यही आशंका थी. इसलिए मैंने तुम्हें पहले ही चेताया था. खैर, अब से तुम्हारे सिर पर सोने का नहीं, बल्कि सुंदर परों का ताज़ होगा.”

तब से परों का सुंदर ताज़ (कलगी) हुदहुदों के सिर पर सुशोभित है.     

सीख (Moral of the story)

जीवन में कोई भी निर्णय सोच-समझकर करना चाहिए.


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