Uncategorized

इच्छापूर्ति पेड़ की कहानी | Icchapurti Ped Story In Hindi

ichjapurti ped ki kahani इच्छापूर्ति पेड़ की कहानी | Icchapurti Ped Story In Hindi
Written by Editor

इच्छापूर्ति पेड़ की कहानी (Icchapurti Ped Story In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Icchapurti Ped Story In Hindi

Table of Contents

Icchapurti Ped Story In Hindi

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक युवक, अर्जुन, रहता था। अर्जुन का जीवन साधारण था, लेकिन उसकी सबसे बड़ी इच्छा थी कि उसे सच्चा प्रेम मिले। वह अक्सर सोचता था कि जब वह सच्चे प्रेम से मिलेगा, तो उसका जीवन कितना सुंदर हो जाएगा। परंतु, जीवन ने उसे अब तक प्रेम से वंचित रखा था।

अर्जुन एक दिन गाँव के बाहर के जंगल में घूमने गया। जंगल में एक पुराना, बड़ा वृक्ष था, जिसके नीचे वह अक्सर बैठा करता था। उस दिन वह वहाँ बैठकर अपनी इच्छा के बारे में सोच रहा था। तभी, अचानक उसके सामने एक बूढ़ी औरत प्रकट हुई, जिसकी आँखों में अनोखी चमक थी। उसने अर्जुन से पूछा, “बेटा, तुम किस बात से इतने चिंतित हो?”

अर्जुन ने अपनी दिल की बात उस औरत को बताई। उसने कहा, “माँ, मैं सच्चा प्रेम चाहता हूँ, लेकिन मुझे नहीं पता कि वह कहाँ मिलेगा।”

बूढ़ी औरत मुस्कुराई और कहा, “बेटा, प्रेम की खोज बहुत कठिन होती है, लेकिन मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। यह एक जादुई फूल है। जो कोई इसे पाता है, उसकी सबसे बड़ी इच्छा पूरी हो जाती है।”

अर्जुन की आँखें चमक उठीं। उसने उत्सुकता से पूछा, “माँ, क्या आप मुझे वह फूल दे सकती हैं?”

बूढ़ी औरत ने एक सुंदर, लाल फूल अर्जुन को दिया और कहा, “इस फूल को अपने दिल से लगाकर रखो और जब तुम्हें लगे कि तुमने सच्चा प्रेम पा लिया है, तो इस फूल को उस व्यक्ति को दे देना।”

अर्जुन ने फूल को बड़े ही स्नेह से अपने पास रख लिया। वह घर लौट आया और उसने पूरे मन से इंतजार करना शुरू किया। 

कुछ महीनों बाद, गाँव में एक नया परिवार आया, जिसमें एक सुंदर लड़की, राधा, भी थी। राधा की सुंदरता और विनम्रता ने अर्जुन का दिल जीत लिया। उसे विश्वास हो गया कि यही वह सच्चा प्रेम है जिसकी उसे तलाश थी। धीरे-धीरे, दोनों के बीच मित्रता हुई और यह मित्रता प्रेम में बदल गई।

एक दिन, अर्जुन ने तय किया कि वह राधा को अपना प्रेम व्यक्त करेगा और उसे वह जादुई फूल देगा। उसने फूल को अपने हाथ में लिया और राधा के सामने प्रस्तुत किया। राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह फूल बहुत सुंदर है, अर्जुन।”

अर्जुन ने कहा, “राधा, यह सिर्फ फूल नहीं है। यह मेरे दिल की गहराइयों से निकली हुई इच्छा है। मैं तुमसे सच्चा प्रेम करता हूँ और चाहता हूँ कि तुम इसे स्वीकार करो।”

राधा ने थोड़ी देर के लिए चुप्पी साधी, फिर उसने कहा, “अर्जुन, मैं तुम्हारे प्रेम का सम्मान करती हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि प्रेम केवल एक इच्छा नहीं हो सकता। प्रेम एक ऐसा भाव है जिसे समर्पण, समझ और विश्वास की जरूरत होती है। यदि तुम्हारा प्रेम सच्चा है, तो उसे समय के साथ परखने दो।”

अर्जुन को राधा की बात समझ नहीं आई, लेकिन उसने सोचा कि शायद समय के साथ उसे यह समझ आ जाएगी। वह उस फूल को वापस अपने पास रख लिया और प्रतीक्षा करने लगा। 

समय बीतता गया, और अर्जुन और राधा के बीच प्रेम की जगह मित्रता और गहरा हो गया। लेकिन अर्जुन के मन में कहीं न कहीं यह सवाल बना रहा कि क्या राधा भी उसे उसी तरह प्रेम करती है जैसा वह करता है। 

एक दिन, अर्जुन ने राधा से पूछा, “राधा, क्या तुम मुझसे प्रेम करती हो?”

राधा ने मुस्कुराते हुए कहा, “अर्जुन, प्रेम कोई वस्तु नहीं है जिसे तुम सिर्फ इच्छा से प्राप्त कर सकते हो। प्रेम त्याग है, प्रेम समर्पण है, और प्रेम वह भावना है जो बिना किसी शर्त के होती है। मैं तुमसे प्रेम करती हूँ, लेकिन यह प्रेम किसी एक फूल या एक इच्छा तक सीमित नहीं है। यह उस विश्वास और समझ पर आधारित है जो हमने एक-दूसरे के साथ समय बिताते हुए विकसित किया है।”

अर्जुन को राधा की बात समझ आने लगी। उसने महसूस किया कि प्रेम सिर्फ एक इच्छा नहीं हो सकता, बल्कि यह एक ऐसा भाव है जो समय और समझ से परिपक्व होता है। 

वह उस बूढ़ी औरत की बातों को याद करने लगा जिसने उसे जादुई फूल दिया था। वह फिर से जंगल के उसी वृक्ष के पास गया और वहाँ उसे फिर से वह बूढ़ी औरत मिली। अर्जुन ने उससे कहा, “माँ, मैंने समझा कि प्रेम एक इच्छा नहीं, बल्कि एक समर्पण और समझ का विषय है। मैं वह फूल अब नहीं चाहता, क्योंकि मुझे समझ में आ गया है कि सच्चा प्रेम जादू से नहीं बल्कि विश्वास, त्याग और समझ से पाया जा सकता है।”

बूढ़ी औरत मुस्कुराई और कहा, “बेटा, तुमने सच्चा प्रेम समझ लिया है। वह फूल अब तुम्हें अपने प्रेम को और भी गहरा करने में मदद करेगा, क्योंकि अब तुम्हारे दिल में प्रेम की सच्ची भावना है।”

अर्जुन ने उस फूल को वहीं वृक्ष के नीचे रख दिया और राधा के पास लौट आया। उसने राधा से कहा, “मैं अब समझ चुका हूँ कि सच्चा प्रेम क्या है। यह सिर्फ एक इच्छा नहीं है, बल्कि यह विश्वास और समर्पण है जो हमें एक-दूसरे के करीब लाता है।”

राधा ने उसे गले लगाया और कहा, “अर्जुन, प्रेम की यही सच्चाई है। इसे पाने के लिए जादू की जरूरत नहीं, बस एक-दूसरे के प्रति ईमानदारी और समर्पण की जरूरत होती है।”

अर्जुन और राधा ने एक-दूसरे से सच्चे प्रेम का वादा किया और उनके बीच का संबंध और भी मजबूत हो गया। वे दोनों जीवनभर एक-दूसरे के साथ रहे, एक-दूसरे का सम्मान करते हुए, और इस बात को समझते हुए कि सच्चा प्रेम जादुई नहीं, बल्कि अपने आप में एक जादू है, जो समय के साथ और भी गहरा होता जाता है।

सीख

प्रेम सिर्फ इच्छा पूर्ति का साधन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है जो त्याग, समझ और विश्वास से भरा होता है। सच्चे प्रेम को पाने के लिए हमें अपने भीतर के सभी स्वार्थ और इच्छाओं को छोड़कर, केवल अपने प्रेम के प्रति सच्चे और ईमानदार बनना पड़ता है।

मनुष्य और पेड़ की कहानी

चिड़िया और पेड़ की कहानी 

बेर के पेड़ की कहानी

दानी पेड़ की कहानी 

About the author

Editor

Leave a Comment