रेत और चीनी का मिश्रण : अकबर बीरबल | Akbar Birbal Stories In Hindi

मित्रों, इस ‘Interesting Akbar Birbal Stories’ में बीरबल से ईर्ष्या करने वाला एक दरबारी अकबर के सामने बीरबल को एक चुनौती देता है. वह चुनौती क्या थी? बीरबल उसे पूरा कर पाया या नहीं? ये जानने के लिए पढ़िये पूरी कहानी (Hindi Akbar Birbal Story):

Interesting Akbar Birbal Stories

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पढ़ें : अकबर बीरबल की संपूर्ण कहानियाँ

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बादशाह अकबर के दरबारी बीरबल से अत्यधिक ईर्ष्या करते थे. बीरबल को बादशाह की दृष्टि में नीचा दिखाने के प्रयास में वे यदा-कदा कुछ न कुछ प्रपंच रचते रहते थे.

एक दिन बीरबल को नीचा दिखने के प्रयोजन से एक दरबारी अपने साथ एक मर्तबान लेकर दरबार में आया.

अकबर ने जब पूछा कि मर्तबान में क्या है? तो दरबारी बोला, “जहाँपनाह! इस मर्तबान में रेत और चीनी का मिश्रण है.”

“इसे दरबार में लाने का मतलब?” अकबर ने फिर से पूछा.

“जहाँपनाह! बीरबल स्वयं को बहुत अक्लमंद समझता है. यदि वह इतना ही अक्लमंद है, तो इस मर्तबान में रखे रेत और चीनी के मिश्रण में से चीनी के दाने अलग कर दे.” दरबारी बोला.

“ये कौन सी बड़ी बात है?” बीरबल अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ और मर्तबान की ओर बढ़ा.

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“लेकिन तुम्हें एक बात ध्यान में रखनी होगी बीरबल.” दरबारी बीरबल से बोला, “तुम इसमें पानी नहीं मिला सकते.”

बीरबल मुस्कुराया और मर्तबान उठाकर दरबार से बाहर जाने लगा. पूछने पर वह बोला कि बाहर जाकर वह चीनी के दाने इस मिश्रण में से अलग कर देगा.

अकबर सहित सभी दरबारी बीरबल के पीछे-पीछे बाहर आ गए. बाहर आकर बीरबल शाही बाग़ में जाने लगा. सभी फिर से उसके पीछे हो लिये.

शाही बाग़ पहुँचकर बीरबल एक आम के पेड़ के पास रुक गया और मर्तबान खोलकर उसके नीचे रेत और चीनी का मिश्रण बिखेर दिया.

सब हैरत में बीरबल को देख रहे थे.

अकबर ने पूछा, “बीरबल! यह तुमने क्या किया?”

बीरबल बोला, “जहाँपनाह! जो मैंने किया है, उसका नतीज़ा कल सब यहीं आकर देखेंगे.”

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अगले दिन सभी पुनः शाही बाग़ के आम के पेड़ के नीचे एकत्रित हुए. बीरबल आम के पेड़ के नीचे पड़ी हुई रेत को दिखाते हुए बोला, “जहाँपनाह! यहाँ बस रेत पड़ी हुई है. चीनी गायब हो चुकी है.”

“अरे चीनी कहाँ गई?” मर्तबान लाने वाला दरबारी अचंभे में चिल्लाया.

“रेत से अलग हो गई है.” बीरबल शांति से बोला.

वास्तव में पेड़ के नीचे से चीनी के दाने चीटियाँ उठाकर ले गई थी. इस तरह बीरबल ने अपनी अक्लमंदी फिर से साबित कर दी. वह दरबारी अपना सा मुँह लेकर रह गया.

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