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याकूब की कहानी बाइबल | Jacob Story In Hindi Bible

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याकूब की कहानी बाइबल | Jacob Story In Hindi Bible

याकूब बाइबिल के पुराने नियम में प्रमुख पात्रों में से एक हैं, जो पैगंबर इब्राहीम के पोते और इसहाक के बेटे थे। याकूब की कहानी बाइबल की पुस्तक उत्पत्ति (Genesis) में विस्तृत रूप से वर्णित है। याकूब की कहानी उसके जन्म से शुरू होकर उसकी वंशावली तक चलती है और कई महत्वपूर्ण घटनाओं को समेटे हुए है। यहां हम याकूब की प्रमुख घटनाओं और उसकी जीवन यात्रा का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

Jacob Story In Hindi Bible

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Jacob Story In Hindi

याकूब इसहाक और रिबका के जुड़वां पुत्रों में से एक था। याकूब का बड़ा भाई एसाव था। याकूब और एसाव की आपसी प्रतियोगिता और संघर्ष उनकी माँ रिबका के गर्भ से ही शुरू हो गया था। जब याकूब और एसाव का जन्म हुआ, तो एसाव पहले बाहर आया, लेकिन याकूब उसके एड़ी को पकड़े हुए बाहर आया, जिससे उसका नाम याकूब पड़ा, जिसका अर्थ है “एड़ी पकड़ने वाला” या “धोखेबाज”।

बड़े होकर, एसाव एक कुशल शिकारी और अपने पिता इसहाक का प्रिय था, जबकि याकूब एक शांत स्वभाव का व्यक्ति था और अपनी माँ रिबका का प्रिय था। एक दिन जब एसाव शिकार से थका-मांदा घर लौटा, तो उसने याकूब से लाल दाल का कटोरा मांगा। याकूब ने उसे लाल दाल दी, लेकिन बदले में एसाव से उसके ज्येष्ठता अधिकार ले लिए।

इसके बाद याकूब ने अपनी माँ रिबका की मदद से अपने पिता इसहाक को धोखा देकर एसाव के आशीर्वाद को प्राप्त कर लिया। इसहाक ने अपनी बढ़ती उम्र और कमजोर दृष्टि के कारण याकूब को एसाव समझकर उसे आशीर्वाद दे दिया, जिससे एसाव क्रोधित हो गया और उसने याकूब को मारने की ठान ली।

एसाव के क्रोध से बचने के लिए याकूब अपने माता-पिता की सलाह पर पदनाराम भाग गया, जहां उसका मामा लाबान रहता था। रास्ते में एक स्थान पर उसने स्वप्न में एक सीढ़ी देखी, जो स्वर्ग तक जा रही थी, और स्वर्गदूत उस पर चढ़-उतर रहे थे। इस स्वप्न में, ईश्वर ने याकूब को आशीर्वाद दिया और उसके वंश को बढ़ाने का वादा किया। उस स्थान को याकूब ने ‘बेतएल’ नाम दिया।

पदानाराम पहुंचने पर, याकूब ने अपने मामा लाबान की सेवा में 14 वर्ष बिताए और लाबान की दो बेटियों, लिआ और राहेल से विवाह किया। याकूब ने राहेल से प्रेम किया, लेकिन लाबान ने छल से पहले लिआ से उसकी शादी करवा दी। फिर याकूब ने सात साल और सेवा की और राहेल से भी विवाह किया।

याकूब के बारह पुत्र और एक पुत्री हुई, जिनमें से बारह पुत्र इस्राएल के बारह गोत्रों के पूर्वज बने। याकूब के पुत्रों के नाम इस प्रकार हैं: रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, दान, नप्ताली, गाद, आशेर, इस्साकार, जबुलून, यूसुफ और बिन्यामीन। याकूब की पुत्री का नाम दीनाह था।

याकूब का पुत्र यूसुफ उसकी सबसे प्रिय संतान था, जिससे उसके अन्य भाई ईर्ष्या करते थे। उन्होंने यूसुफ को गुलाम बनाकर मिस्र भेज दिया, जहां यूसुफ ने बड़ी प्रतिष्ठा प्राप्त की और मिस्र का प्रधानमंत्री बन गया। अकाल के समय यूसुफ ने अपने परिवार को मिस्र बुलाया और उनकी रक्षा की।

बुढ़ापे में, याकूब ने अपने सभी पुत्रों को आशीर्वाद दिया और उन्हें उनकी भविष्य की भूमिकाओं के बारे में बताया। याकूब की मृत्यु मिस्र में हुई, लेकिन उसने अपने पुत्रों को अपनी अंतिम इच्छा बताई कि उसे कनान में, अपने पूर्वजों के साथ दफनाया जाए। उसके पुत्रों ने उसकी इस इच्छा का पालन किया और याकूब को हिब्रोन में मकफीलाह की गुफा में दफनाया, जहां इब्राहीम और इसहाक भी दफनाए गए थे।

सीख

याकूब की कहानी विश्वास, संघर्ष, और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास की एक प्रेरणादायक कथा है। याकूब का जीवन हमें यह सिखाता है कि संघर्ष और कठिनाइयों के बावजूद, यदि हम ईश्वर पर विश्वास रखें और सही मार्ग पर चलें, तो हमें सफलता और आशीर्वाद प्राप्त हो सकते हैं। याकूब का नाम बदलकर इस्राएल रखा गया और वह इस्राएली राष्ट्र के पिता बने। उनकी वंशावली और उनके बारह पुत्रों ने इस्राएल के बारह गोत्रों की नींव रखी, जिससे इस्राएल की महान गाथा की शुरुआत हुई।

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