Fairy Tale In Hindi Jadui Kahani

जादुई परी की कहानी | Jadui Pari Ki Kahani 

जादुई परी की कहानी (Jadui Pari Ki Kahan) Magical Fairy Story In Hindi  इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Jadui Pari Ki Kahani

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Jadui Pari Ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है, एक दूर-दराज़ के छोटे से गाँव में, जहाँ चारों ओर हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता फैली हुई थी, एक जादुई परी रहती थी। उसका नाम था ऐरिस। ऐरिस का घर घने जंगल के बीचोंबीच एक विशाल ओक के पेड़ के भीतर था, जो उसकी जादुई दुनिया का हिस्सा था। वह बेहद सुंदर थी, उसके पंख इंद्रधनुषी रंगों में चमकते थे, और उसकी आँखों में गहरे नीले आसमान का रंग था। ऐरिस सिर्फ एक साधारण परी नहीं थी, वह उन सभी परियों में सबसे शक्तिशाली थी, जिनका काम लोगों की भलाई करना और उनकी मदद करना था।

ऐरिस का जीवन दूसरों की मदद करने और उनके जीवन में खुशियाँ लाने में समर्पित था। वह पेड़ों, फूलों, और जानवरों के साथ बातें कर सकती थी। जब भी कोई संकट में होता, ऐरिस उसकी मदद करने के लिए तुरंत प्रकट हो जाती। उसकी उपस्थिति से ही लोग सुकून महसूस करते थे, और उसकी जादुई शक्तियों से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता था। 

ऐरिस की एक खास बात यह थी कि वह अपने जादू का उपयोग केवल तभी करती थी जब किसी को उसकी सख्त जरूरत होती थी। वह मानती थी कि हर समस्या का समाधान जादू से नहीं, बल्कि लोगों के अपने साहस और प्रयासों से होना चाहिए। इसलिए, वह लोगों को कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रेरित करती थी और जरूरत पड़ने पर उन्हें एक हल्का सा धक्का देती थी, जिससे वे अपने लक्ष्य तक पहुँच सकें।

उसी गाँव में एक छोटा लड़का, विष्णु, और उसकी छोटी बहन, अमाया, रहते थे। उनके माता-पिता का निधन हो चुका था, और वे अपनी दादी के साथ रहते थे। विष्णु बहुत जिम्मेदार और मेहनती लड़का था, जबकि अमाया बहुत प्यारी और चंचल बच्ची थी। लेकिन एक दिन, गाँव में एक भयंकर सूखा पड़ा। बारिश न होने की वजह से गाँव की सारी फसलें सूखने लगीं, और लोग पानी के लिए तरसने लगे। विष्णु और अमाया की दादी भी बीमार पड़ गईं, और उनके पास अब खाने-पीने का कोई साधन नहीं बचा था।

विष्णु ने फैसला किया कि वह किसी भी तरह से अपनी दादी और बहन को इस संकट से निकालकर दम लेगा। उसने सुना था कि जंगल के बीचोंबीच एक जादुई झरना है, जिसका पानी हर मर्ज को ठीक कर सकता है और किसी भी विपत्ति से उबार सकता है। लेकिन उस झरने तक पहुँचने का रास्ता बहुत कठिन और खतरों से भरा हुआ था।

विष्णु ने अपनी हिम्मत जुटाई और अमाया को साथ लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा। दोनों भाई-बहन घने जंगल से गुजरते हुए, न जाने कितने खतरनाक जानवरों और दुर्गम रास्तों का सामना कर रहे थे। विष्णु ने अपनी छोटी बहन की हिम्मत बढ़ाते हुए उसे सुरक्षित रखा, और दोनों मिलकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए। 

लेकिन जैसे-जैसे वे जंगल के भीतर जाते गए, रास्ता और भी कठिन होता गया। अमाया थकने लगी और उसे डर लगने लगा। उसने विष्णु से कहा, “भैया, क्या हम कभी इस जंगल से बाहर निकल पाएंगे? क्या हम अपनी दादी को बचा पाएंगे?”

विष्णु ने अपनी बहन को दिलासा दिया और कहा, “हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, अमाया। हम जरूर उस जादुई झरने तक पहुँचेंगे और दादी को बचा लेंगे।”

इसी बीच, ऐरिस ने अपनी जादुई शक्तियों से विष्णु और अमाया की मुश्किलें देखीं। वह जानती थी कि यह समय है जब उसे उनकी मदद करनी चाहिए। लेकिन उसने सोचा कि पहले वह देखेगी कि विष्णु और अमाया कितनी दूर तक अपनी हिम्मत और साहस से आगे बढ़ सकते हैं। 

जब उसने देखा कि दोनों भाई-बहन कठिनाईयों के बावजूद आगे बढ़ते जा रहे हैं, तो वह बहुत प्रभावित हुई। उसने अपनी जादुई शक्तियों का उपयोग करते हुए जंगल के रास्तों को थोड़ा आसान बना दिया। विष्णु और अमाया को अचानक महसूस हुआ कि रास्ता थोड़ा साफ हो गया है और उन्हें आगे बढ़ने में कोई मुश्किल नहीं हो रही है। 

अचानक, उनके सामने ऐरिस प्रकट हुई। उसके इंद्रधनुषी पंख चमक रहे थे, और उसकी उपस्थिति से पूरा जंगल रोशनी से भर गया। विष्णु और अमाया ने ऐरिस को देखते ही समझ लिया कि यह वही जादुई परी है जिसके बारे में उन्होंने कहानियों में सुना था।

ऐरिस ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम दोनों ने अपनी हिम्मत और साहस से मुझे बहुत प्रभावित किया है। अब मैं तुम्हारी मदद करूँगी।” 

ऐरिस ने अपने जादुई छड़ी को घुमाया, और अचानक उनके सामने एक रास्ता खुल गया जो सीधे जादुई झरने तक जाता था। वह झरना इतना खूबसूरत था कि उसके पानी में इंद्रधनुष के सभी रंग चमक रहे थे। विष्णु ने अपनी छोटी बहन के साथ झरने से पानी भरा और ऐरिस को धन्यवाद दिया।

“इस पानी से तुम्हारी सारी समस्याएँ दूर हो जाएँगी,” ऐरिस ने कहा। “लेकिन याद रखना, सच्ची शक्ति तुम्हारे भीतर है। तुम दोनों ने अपनी मेहनत और साहस से यह रास्ता तय किया है।”

विष्णु और अमाया खुशी-खुशी गाँव लौटे और झरने के पानी से अपनी दादी की बीमारी को ठीक कर दिया। धीरे-धीरे, गाँव में भी बारिश होने लगी, फसलें हरी-भरी हो गईं, और सूखा खत्म हो गया। 

सीख

ऐरिस ने अपने जादू से न केवल विष्णु और अमाया की मदद की, बल्कि पूरे गाँव को भी बचाया। लेकिन उसने सभी को यह भी सिखाया कि जब तक हम खुद पर विश्वास रखते हैं और कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं, तब तक कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। 

विष्णु और अमाया ने ऐरिस को हमेशा अपने दिल में रखा और गाँव के लोगों को भी यह सीख दी कि कभी भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। ऐरिस ने भी अपने जंगल के बीचोंबीच, अपनी जादुई दुनिया में, हमेशा की तरह दूसरों की मदद करने का काम जारी रखा, और इस तरह उसकी कहानी हमेशा के लिए अमर हो गई।

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