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येशु और सामरी स्त्री की कहानी बाइबल | Jesus And Samaritan Woman Story In Hindi Bible

yeshu aur samri stri ki kahani येशु और सामरी स्त्री की कहानी बाइबल | Jesus And Samaritan Woman Story In Hindi Bible
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येशु और सामरी स्त्री की कहानी बाइबल (Jesus And Samaritan Woman Story In Hindi Bible) Yeshu Aur Samri Stri Ki Kahani  इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

यीशु और सामरी स्त्री की कहानी बाइबिल के नए नियम में वर्णित है, जो करुणा, सहानुभूति, और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करने की प्रेरणादायक कथा है। यह कहानी यूहन्ना के सुसमाचार (यूहन्ना 4:1-42) में पाई जाती है।

Jesus And Samaritan Woman Story In Hindi 

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Jesus And Samaritan Woman Story In Hindi 

यीशु और उनके शिष्य यहूदिया से गलील की यात्रा कर रहे थे। रास्ते में उन्हें सामरिया से होकर गुजरना पड़ा। यहूदियों और सामरियों के बीच ऐतिहासिक और धार्मिक मतभेद थे, जिसके कारण यहूदी सामरिया से गुजरना पसंद नहीं करते थे। लेकिन यीशु ने इस क्षेत्र से गुजरने का फैसला किया।

जब यीशु और उनके शिष्य सिचार नामक सामरी गांव पहुंचे, तो वे एक कुवें के पास रुके। यह कुवा याकूब का कुवा था, जो सामरियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल था। दोपहर का समय था और यीशु थके हुए थे, इसलिए वे कुवें के पास बैठ गए, जबकि उनके शिष्य खाने के लिए कुछ लाने शहर गए।

इसी समय एक सामरी स्त्री पानी भरने के लिए कुवें पर आई। आमतौर पर महिलाएं सुबह या शाम को पानी भरने जाती थीं, जब तापमान कम होता था। लेकिन यह स्त्री दोपहर में आई, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह समाज से अलग-थलग थी। यीशु ने उससे पानी मांगते हुए कहा, “मुझे पानी पिलाओ।”

सामरी स्त्री ने आश्चर्यचकित होकर उत्तर दिया, “तुम, एक यहूदी, मुझसे, एक सामरी स्त्री से, पानी क्यों मांगते हो?” यहूदी और सामरी आपस में बोलचाल नहीं रखते थे, इसलिए स्त्री का आश्चर्य स्वाभाविक था।

यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्वर का वरदान और यह जानती कि जो तुमसे कहता है, ‘मुझे पानी पिलाओ,’ वह कौन है, तो तुम उससे मांगती और वह तुम्हें जीवित जल देता।”

सामरी स्त्री ने कहा, “प्रभु, तुम्हारे पास पानी निकालने के लिए कुछ भी नहीं है और कुवा गहरा है। यह जीवित जल कहां से मिलेगा?”

यीशु ने उत्तर दिया, “जो कोई इस पानी को पीता है, वह फिर प्यासा होगा; परंतु जो कोई उस जल को पीएगा, जिसे मैं उसे दूंगा, वह फिर कभी प्यासा न होगा, वरन वह जल, जो मैं उसे दूंगा, उसमें एक सोते का जल बन जाएगा, जो अनंत जीवन के लिए उमड़ता रहेगा।”

स्त्री ने कहा, “प्रभु, वह पानी मुझे दे, ताकि मैं फिर प्यासा न होऊं और न यहां पानी भरने आऊं।”

यीशु ने उससे कहा, “जाओ, अपने पति को बुला लाओ और यहां आओ।” 

स्त्री ने उत्तर दिया, “मेरे पास पति नहीं है।”

यीशु ने कहा, “तुमने सही कहा कि ‘मेरे पास पति नहीं है,’ क्योंकि तुम्हारे पांच पति हो चुके हैं और अब जो तुम्हारे पास है, वह तुम्हारा पति नहीं है।”

स्त्री ने महसूस किया कि यीशु कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। उसने कहा, “प्रभु, मैं देखती हूं कि आप एक नबी हैं। हमारे पूर्वजों ने इस पहाड़ पर आराधना की और आप लोग कहते हैं कि यरूशलेम वह स्थान है, जहां आराधना करनी चाहिए।”

यीशु ने उत्तर दिया, “स्त्री, मेरी बात मान, वह समय आ रहा है, जब तुम इस पहाड़ पर या यरूशलेम में पिता की आराधना न करोगे। तुम जिसकी आराधना नहीं जानते, उसकी आराधना करते हो; हम जिसकी आराधना जानते हैं, उसकी आराधना करते हैं, क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। परंतु वह समय आ रहा है, और अब है, जब सच्चे आराधक पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिए ऐसे ही आराधक ढूंढता है। परमेश्वर आत्मा है और जो उसकी आराधना करते हैं, उन्हें आत्मा और सच्चाई से आराधना करनी चाहिए।”

सामरी स्त्री ने कहा, “मुझे पता है कि मसीह, जो ख्रीस्त कहलाता है, आने वाला है। जब वह आएगा, तो हमें सब कुछ बताएगा।”

यीशु ने उससे कहा, “मैं, जो तुमसे बात कर रहा हूं, वही हूं।”

इतने में, यीशु के शिष्य वापस आ गए और उन्होंने देखा कि वह स्त्री से बात कर रहे हैं, लेकिन किसी ने कुछ नहीं पूछा। स्त्री अपना पानी का घड़ा छोड़कर शहर में चली गई और लोगों से कहा, “आओ, एक मनुष्य को देखो, जिसने मुझे सब कुछ बता दिया, जो मैंने किया है। क्या यह मसीह नहीं हो सकता?” 

लोग उसके कहने पर यीशु से मिलने के लिए निकले। 

इस बीच, शिष्यों ने यीशु से भोजन करने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने कहा, “मेरा भोजन वह है कि मैं अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करूं और उसका कार्य पूरा करूं।”

जब शहर के लोग यीशु से मिले, तो उन्होंने उनसे और सुना और विश्वास किया। उन्होंने स्त्री से कहा, “अब हम तुम्हारे कहने के कारण नहीं, बल्कि स्वयं सुनने के कारण विश्वास करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि यह वास्तव में संसार का उद्धारकर्ता है।”

सीख

यीशु और सामरी स्त्री की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्रेम और करुणा किसी भी सामाजिक, सांस्कृतिक, या धार्मिक बाधा से परे होते हैं। यीशु ने यह दिखाया कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि का हो, ईश्वर के प्रेpम का पात्र है। उन्होंने सच्चे आराधना के अर्थ को समझाया और यह सिखाया कि आत्मा और सच्चाई में ईश्वर की आराधना की जानी चाहिए। इस कहानी से हमें यह भी सिखने को मिलता है कि सच्ची करुणा और सच्चाई का अनुभव जीवन को कैसे परिवर्तित कर सकता है।

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