कछुआ और खरगोश की कहानी | Rabbit And Tortoise Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम कछुआ और खरगोश की कहानी हिंदी में लिखी हुई (Kachhua Aur Khargosh Ki Kahani In Hindi Written) शेयर कर रहे हैं. Rabbit And Tortoise Story In Hindi एक बहुत लोकप्रिय बच्चों की कहानी है, जो तेज भागने वाले खरगोश और धीरे चलने वाले कछुए की दौड़ के बारे में हैं. जब दोनों के बीच दौड़ होती है, तो कौन जीतता है? खरगोश और कछुए की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है? जानने के लिए पढ़िए :

Kachhua Aur Khargosh Ki Kahani

Kachhua Aur Khargosh Ki Kahani
Kachhua Aur Khargosh Ki Kahani | Khargosh Aur Kachua Ki kahani

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एक जंगल में एक मनमौजी खरगोश रहता था. वह दिन भर जंगल में कूदता-फांदता, खेलता और दौड़ता रहता था. वह इतना तेज दौड़ता था कि जंगल का कोई भी जानवर उसकी बराबरी नहीं कर पाता था. इस बात पर उसे बड़ा घमंड था.

वह अक्सर जंगल के जानवरों को अपने साथ दौड़ लगाने की चुनौती देता और उन्हें हराकर बहुत खुश होता था. धीरे-धीरे उसका घमंड उसके सिर चढ़कर बोलने लगा. वह जिस भी जानवर को दौड़ में हराता, उस पर ख़ूब हँसता और उसका खूब मज़ाक उड़ाता था. जंगल के जानवरों को खरगोश का ये व्यवहार बहुत बुरा लगता था, वे उससे कुछ कहते, तो वह बोलता, “पहले मुझे दौड़ में हराकर दिखाओ, फिर कुछ कहना.”

एक दिन खरगोश ने एक कछुए को देखा, जो अपनी धीमी चाल में कहीं जा रहा था. उसे देख वह ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा.

उसे हँसता देख कछुए ने पूछा, “खरगोश भाई, क्यों हँस रहे हो?”

खरगोश बोला, “तुम्हें देखकर हँस रहा हूँ. तुम कितने सुस्त हो और तुम्हारी चाल तुमसे भी सुस्त. मुझे देखो, मुझ जैसा तेज दौड़ने वाला कोई जानवर इस जंगल में नहीं.”

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“तुम्हें खुद पर इतना घमंड नहीं करना चाहिए. हर किसी का घमंड कभी ना कभी टूट जाता है. तुम्हारा भी टूट जाएगा.” कछुआ उसे समझाते हुए बोला.

“इस जंगल में मैं सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर हूँ, तो मुझे इस बात का घमंड क्यों ना हो? और कौन मेरा घमंड तोड़ेगा, तुम?” खरगोश बोला.

“हाँ मैं, मैं तुम्हारा घमंड तोडूंगा.” कछुए के कह दिया.

“ऐसी बात है, तो इस कल मेरे साथ दौड़ लगाओ. देखें कौन जीतता है?” खरगोश कछुए को चुनौती देता हुआ बोला.

कछुए ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली. अगले दिन सुबह दोनों के बीच दौड़ की प्रतियोगिता रखी गई. जंगल के सारे जानवर दौड़ देखने आये. सबको पता था कि खरगोश ही दौड़ जीतेगा, लेकिन फिर भी सबमें उत्सुकता बनी हुई थी.

कछुए और खरगोश को जंगल की नदी तक दौड़ लगाना था. दोनों दौड़ के लिए तैयार हो गए. रेफ़री बंदर ने सीटी बजाई और दोनों दौड़ने लगे. कछुए ने एक कदम बढ़ाया, वहीं खरगोश इतनी तेज दौड़ा कि सबके नज़रों से ओझल हो गया.

खरगोश तेजी से दौड़ता जा रहा था, वहीँ कछुआ धीमी चाल से आगे बढ़ता जा रहा था. नदी के काफ़ी पास पहुँच जाने पर खरगोश ने यह जानने के लिए पलटकर देखा कि कछुआ कहाँ तक पहुँचा है. उसे कछुआ दूर-दूर तक नज़र नहीं आया.

हँसते हुए वह सोचने लगा कि इस कछुए को नदी तक पहुँचने में तो शाम हो जायेगी. ऐसा करता हूँ, कुछ देर सुस्ता लेता हूँ.

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वह एक पेड़ के नीचे सुस्ताने करने लगा. कब उसकी आँख लग गई, उसे पता ही नहीं चला और वह गहरी नींद में सो गया.

उधर कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया. कई जानवरों ने उसे समझाया कि खरगोश तो बहुत आगे पहुँच चुका है, अब दौड़ने का कोई फायदा नहीं. लेकिन कछुआ नहीं माना. वह बोला, “जब चुनौती ली है, तो मैं पूरी कोशिश करूंगा.”  

कछुआ आगे बढ़ता-बढ़ता उसी पेड़ के पास से गुज़रा, जहाँ खरगोश खर्राटे मारकर सो रहा था. उसे देख कछुआ मुस्कुराया और आगे बढ़ गया. वह बिना रुके लगातार आगे बढ़ता रहा और नदी तक पहुँच गया. कछुआ दौड़ जीत चुका था और खरगोश अब तक सो रहा था. सब जानवर कछुए की जीत पर खुश थे, वे उसे बधाई देने लगे, उसके लिए ज़ोर-ज़ोर ताली बजाने लगे.

ताली की आवाज़ जब खरगोश के कानों में पड़ी, तब उसकी नींद टूटी. वह भागता हुआ नदी के पास पहुँचा. देखा, कछुए वहाँ पहले ही पहुँच चुका है. वह पछताने लगा. उसका घमंड टूट गया था. उसने प्रण किया कि वह कभी घमंड नहीं करेगा, कभी किसी का मज़ाक नहीं उड़ाएगा और कोई काम शुरू करने के बाद उसे पूरा किये बगैर नहीं रुकेगा.

कछुआ और खरगोश की कहानी की शिक्षा 

  • कभी घमंड मत करो, घमंड कभी न कभी ज़रूर टूटता है.
  • कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. बिना रुके मेहनत से अपना कार्य करते रहो, सफ़लता अवश्य मिलेगी.

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