कहानी एक पतंग की | Kahani Ek Patang Ki | रमन और पतंग की कहानी
Kahani Ek Patang Ki
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एक खुला आसमान, हवाओं का मधुर संगीत, और रंगों की छटा बिखेरती पतंगें – यही थी शानदार बसंत की सुबह।
छोटे से गांव में रहने वाले रमन को पतंगबाजी का बड़ा शौक था। हर साल बसंत पंचमी के दिन वो अपनी छत पर खड़ा होकर पतंग उड़ाता था। इस साल भी उसने रंग-बिरंगे कागजों से अपनी पतंग खुद बनाई थी।
सुबह होते ही रमन ने अपनी पतंग को डोरी से बांधा और छत पर चढ़ गया। हवा में उड़ने के लिए बेताब उसकी पतंग मानो उसे भी ऊंचाइयों की ओर खींच रही थी। रमन ने जोर से दौड़कर पतंग को हवा में उड़ा दिया।
पतंग धीरे-धीरे ऊंचाई पर उठने लगी। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों का मेला लग चुका था। रमन अपनी पतंग को और ऊंचा उड़ाने के लिए डोरी खींचता रहा। उसकी पतंग आसमान में नाचने लगी, मानो कोई परी उड़ रही हो।
इसी बीच, रमन की पतंग एक ऊँची उड़ रही पतंग से टकरा गई। दोनों पतंगें उलझकर गिरने लगीं। रमन के दिल की धड़कनें बढ़ गईं। वो डर गया कि उसकी पतंग कटकर गिर जाएगी।
लेकिन तभी, उसने देखा कि एक लड़का अपनी छत पर खड़ा था। उसने बड़ी फुर्ती से रमन की पतंग को अपनी डोरी में उलझा लिया और उसे बचा लिया। रमन ने उस लड़के का शुक्रिया अदा किया।
दोनों ने मिलकर अपनी-अपनी पतंगें फिर से उड़ाईं। इस बार उन्होंने एक दूसरे की पतंगों को नहीं काटा, बल्कि मिलकर उन्हें ऊंचाई पर उड़ाया।
शाम होने तक, रमन और उस लड़के ने खूब मज़े किए। उन्होंने दोस्ती कर ली और हर साल बसंत पंचमी के दिन मिलकर पतंग उड़ाने का फैसला किया।
रमन ने उस दिन सीखा कि जिंदगी में जीत हार से ज्यादा महत्वपूर्ण है दोस्ती और सहयोग। पतंग उड़ाने की खुशी तो अकेले में भी होती है, लेकिन दोस्तों के साथ मिलकर पतंग उड़ाने का मजा ही कुछ और होता है।
सीख
- दोस्ती जीवन को खुशहाल बनाती है।
- मिलकर काम करने से सफलता आसानी से मिलती है।
- हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए।
- हमें हार न मानकर कोशिश करते रहना चाहिए।
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