
Kaise Pada Shekh Chilli Ka Naam | Kaise Pada Shekh Chilli Ka Naam
पढ़े शेखचिल्ली की संपूर्ण कहानियाँ
शेखचिल्ली एक महान सूफी संत और दार्शनिक थे. मुगल बादशाह शाहजहाँ का पुत्र दारा शिकोह उन्हें अपना गुरू मानता था. शाहजहाँ भी उनके बहुत बड़े प्रशंषक थे.
उनका वास्तविक नाम सूफी अब्द उर रज्ज़ाक था. इसके अलावा उन्हें अब्द उर रहीम, अलैस अब्द उर करीम, अलैस अब्द उर रज्जाक के नाम से भी जाना जाता था.
बलूचिस्तान के एक खानाबदोश कबीले में जन्मे शेखचिल्ली को उनकी घुमक्कड़ी का शौक भारत ले आया. शेखचिल्ली को न व्यवहारिकता की परवाह थी, न ही दिखावे में विश्वास. वे अपनी बात बड़ी ही ईमानदारी और साफ़गोई से कह दिया करते थे. वे इतनी खरी-खरी होती थी कि उसमें से हास्य उत्पन्न हो जाता था. उनकी सरलता और भोलापन भी लोगों को हँसने पर विवश कर देता था.
शेखचिल्ली भारतीय किस्से-कहानियों के एक मज़ेदार और रोचक पात्र के रूप में मशहूर हैं. उनके बारे में यह कहा जाता था कि वे दिन में सपने देखा करते थे. उनके हास्य पात्र बनने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण उनकी यह आदत भी रही है. आज भी दिन में सपने देखने वालों को शेखचिल्ली कहा जाता है.
इस कहानी में हम आपको शेखचिल्ली के बचपन में ले जायेंगे. इसमें उस समय की उस घटना का वर्णन है, जहाँ से उनका नाम शेखचिल्ली पड़ गया.
Kaise Pada Shekh Chilli Ka Naam ?
Table of Contents
शेखचिल्ली की पैदाइश शेख परिवार में हुई थी. पिता जब अल्लाह को प्यारे हो गए, तब माँ ने बेहद ग़रीबी में उसकी परवरिश की. ग़रीबी के बावजूद माँ उसे अच्छी तालीम दिलवाना चाहती थी, इसलिए उसका दाखिला गाँव के एक मदरसे में करवा दिया.
वह रोज़ मदरसे जाने लगा और मौलवी से तालीम लेने लगा. मदरसे में गाँव के कई बच्चे आया करते थे. शेख परिवार से ताल्लुक होने के कारण वे सभी उसे ‘शेख” पुकारा करते थे.
मौलवी साहब ने एक दिन पढ़ाया, “लड़की जाती है, तो लड़का जाता है. लड़की खाती है, तो लड़का खाता है.”
सारे बच्चों के पीछे-पीछे दोहराया, “लड़की जाती है, तो लड़का जाता है. लड़की खाती है, तो लड़का खाता है.”
फिर मौलवी ने सबसे पूछा, “आया समझ में.”
सबने “हाँ” में अपना सिर हिलाया, शेख ने भी.
शाम को मदरसे से वापस घर जाते समय शेख को किसी लड़की के चिल्लाने की आवाज़ आई. वह भागा-भागा आवाज़ की दिशा में गया. वहाँ उसने देखा कि एक लड़की तालाब में डूब रही है और मदद के लिए पुकार रही है.
पढ़ें : अकबर बीरबल के हंसी से लोटपोट कर देने वाले मज़ेदार चुटकुले
अकेले उसे तालाब से बाहर निकाल पाना शेख के बस के बाहर था. वह दौड़ता हुआ मदरसे के साथियों के पास गया और बोला, “एक लड़की चिल्ली रही है. जल्दी चलो.”
किसी को भी समझ नहीं आया कि शेख कहना क्या चाहता है. लेकिन वे उसके साथ हो लिए. तालाब पर पहुँचकर जब उन्होंने एक लड़की को डूबते हुए देखा, तो उसकी मदद कर उसे बाहर निकाला.
तालाब से बाहर निकलने के बाद भी वह रोना-पीटना मचाती रही. उसे देख शेख बोला, “देखो, अब भी कितना चिल्ली रही है. अरे, अब चुप भी हो जा.”
बार-बार ‘चिल्ली’ सुनकर शेख के साथी तंग आ चुके थे. वे बोले, “शेख, तू बार-बार ‘चिल्ली रही है’, क्यों कह रहा है?”
“अरे मौलवी साहब ने ही तो सिखाया था. लड़के के लिए ‘जाता है’, लड़की के लिए ‘जाती है’. वैसे ही लड़के के लिए ‘चिल्ला’ रहा है और लड़की के लिए ‘चिल्ली’ रही है.”
उसकी मूर्खतापूर्ण बात सुनकर सब ठहाका मारकर हँस दिए. उस दिन के बाद से सब उसे ‘चिल्ली-चिल्ली’ चिढ़ाने लगे और बाद में यह ‘चिल्ली’ शेख के साथ जुड़ गया और वो ‘शेखचिल्ली’ कहलाने लगा.
दोस्तों, आशा है आपको ये “Kaise Pada Shekh Chilli Ka Naam? Shekh Chilli Ki Kahani“ पसंद आयी होगी. आप इसे Like कर सकते हैं और अपने Friends के साथ Share भी कर सकते हैं. मज़ेदार “Sheikh Chilli Ki Kahaniyan” पढ़ने के लिए हमें Subscribe ज़रूर कीजिये. Thanks.
Read More Story In Hindi
आलसी की दावत : मुल्ला नसरुद्दीन का किस्सा
अनोखा नुस्खा : मुल्ला नसरुद्दीन का किस्सा
सबसे उज्जवल क्या? : अकबर बीरबल का किस्सा
अदृश्य वस्त्र : तेनाली राम का किस्सा