कर्म और भाग्य की कहानी (Karm Aur Bhagya Ki Kahani) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Karm Aur Bhagya Ki Kahani
Table of Contents
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक मेहनती किसान रहता था जिसका नाम रामू था। रामू हर रोज़ सूरज उगने से पहले उठता, खेतों में कड़ी मेहनत करता और फसलों की देखभाल करता। उसका मानना था कि मेहनत ही जीवन का असली रास्ता है और यही सब कुछ तय करता है। उसके गाँव में कई लोग थे जो केवल भाग्य पर विश्वास करते थे। वे सोचते थे कि जो कुछ भी होता है, वह उनके भाग्य में पहले से लिखा होता है।
रामू के पड़ोस में एक व्यक्ति था जिसका नाम मोहन था। मोहन बिल्कुल उल्टा था। वह हमेशा कहता, “जो भाग्य में लिखा है वही होगा। मेहनत करने का कोई फायदा नहीं।” वह सारा दिन आराम से घर पर बैठा रहता और भगवान से प्रार्थना करता कि उसका भाग्य अच्छा हो जाए।
एक साल बारिश कम हुई, और गाँव में सूखा पड़ गया। कई किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। मोहन बहुत परेशान हो गया क्योंकि उसने मेहनत नहीं की थी और अब उसकी कोई भी फसल नहीं थी। उसने सोचा कि उसका भाग्य ही खराब है और इसमें उसका कोई दोष नहीं है।
दूसरी तरफ, रामू ने कड़ी मेहनत की थी। उसने सूखे की स्थिति के लिए पहले से तैयारी की थी। उसने अपने खेतों में पानी की व्यवस्था की थी और अपनी फसलों को बचा लिया। जब गाँव में भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हुई, तो रामू के पास पर्याप्त अन्न था और उसने गाँव के अन्य लोगों की भी मदद की।
इस घटना के बाद, गाँव के लोग रामू के पास आए और उससे पूछा, “तुम्हारा भाग्य इतना अच्छा कैसे है?” रामू ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह भाग्य की बात नहीं है, यह कर्म की बात है। मैंने अपनी तरफ से पूरी मेहनत की, और भगवान ने मेरा साथ दिया। भाग्य हमेशा मेहनती लोगों का साथ देता है।”
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भाग्य अपनी जगह है, लेकिन कर्म का महत्व उससे कहीं अधिक है। मेहनत और सही कर्म करने से ही जीवन में सफलता मिलती है, और भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो अपने कर्म में विश्वास रखते हैं।