खाली माली उत्तर प्रदेश की लोक कथा (Khali Mali Uttar Pradesh Lok Katha Folk Tale In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Khali Mali Uttar Pradesh Lok Katha
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यह कहानी बहुत पुराने समय की है, जब जीवन आज की तरह नहीं था, और यात्रा के साधन भी सीमित थे। उस समय गाड़ियाँ नहीं हुआ करती थीं, लोग पैदल ही दूर-दूर तक जाया करते थे। यह कथा उत्तर प्रदेश के एक गाँव पाली की है, जहाँ भाटकू ठाकर नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसकी ज़िंदगी में एक दुखद घटना घटी—उसके पिता का निधन हो गया।
पिता के गुजर जाने के बाद, भाटकू अपने पिता की अस्थियाँ लेकर हरिद्वार गंगा में विसर्जित करने के लिए निकल पड़ा। गाँव वालों ने उसे समझाया कि वह सीधे गंगा जाए और पैसे-धन की सुरक्षा करे, ताकि कोई धोखा न दे। भाटकू ने वादा किया कि वह सावधानी बरतेगा और गंगा में विसर्जन कर जल्दी से वापस लौटेगा।
भाटकू ठाकर ने अपने पिता की अस्थियाँ लेकर यात्रा शुरू की। उस समय में सड़कों पर गाड़ियाँ नहीं होती थीं, इसलिए भाटकू पैदल ही हरिद्वार की यात्रा पर निकल पड़ा। यात्रा लंबी और थकान भरी थी। रास्ते में उसे प्यास लगी, और वह थोड़ा आराम करने के लिए एक घर के पास रुका। वहाँ उसे एक महिला दिखी, जिसका नाम झाबू था। वह महिला गोरी और आकर्षक थी, और वह फसल की गाहाई (धान कूटने का काम) कर रही थी। भाटकू ने उससे पानी मांगा, और झाबू ने उसे पानी पिलाया। इस दौरान, झाबू ने भाटकू से मीठी बातें कीं और उसे आराम करने के लिए कहा।
झाबू ने अपनी मीठी बातों से भाटकू को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। भाटकू, जो पहले हरिद्वार की ओर जाने की तैयारी में था, अब झाबू के प्रेम में डूब गया। वह झाबू की बातों और उसके हावभाव में इतना खो गया कि उसे न तो गंगा जाने की याद रही, और न ही घर लौटने की। वह दिन-रात झाबू के घर में रुककर उसके सारे काम करने लगा। झाबू ने भाटकू से अपने खेतों का सारा काम करवा लिया—धान कुटाई से लेकर खेती-बाड़ी, कपड़े-लत्ते धोने, बर्तन साफ करने तक। भाटकू ने इन सारे कामों को खुशी-खुशी किया, क्योंकि उसे झाबू से लगाव हो गया था।
समय बीतता गया और धीरे-धीरे भाटकू का सारा पैसा खत्म हो गया। वह जितना कमाकर लाया था, वह सब झाबू के लिए खर्च हो गया। कुछ महीनों के बाद, जब झाबू ने देखा कि भाटकू के पास अब न तो पैसा बचा है और न ही उसकी मेहनत का कोई फायदा हो रहा है, तो उसने भाटकू को अपने घर से बाहर निकाल दिया। अब भाटकू के पास न पैसा था, न ही कोई साधन। उसकी ताकत भी जवाब देने लगी थी, और झाबू ने उसे बुरी तरह बाहर धकेल दिया।
झाबू से निकाले जाने के बाद भाटकू को होश आया कि वह किस मकसद से घर से निकला था। उसे याद आया कि वह अपने पिता की अस्थियाँ लेकर गंगा विसर्जन करने निकला था, लेकिन वह रास्ते में ही झाबू के चंगुल में फंस गया था। उसे गहरा पछतावा होने लगा। वह सोचने लगा कि कैसे उसने अपने पिता की अंतिम इच्छा की पूर्ति नहीं की और झाबू के जाल में फंसकर सब कुछ खो दिया। अब उसके पास न पैसा था, न ऊर्जा, और न ही सम्मान। वह टूटा हुआ और निराश हो गया। अपनी इस हालत पर वह बार-बार पछताता और सोचता, “मैं न तो गंगा जा सका, न ही घर पर रहा। मेरे सारे पैसे झाबू ने लूट लिए, और अब मैं खाली हाथ घर लौट रहा हूँ।”
भाटकू ठाकर धीरे-धीरे अपने घर की ओर लौटने लगा। रास्ते भर वह अपनी मूर्खता पर पछताता रहा। उसने सोचा कि कैसे उसने गाँव वालों की सलाह को नज़रअंदाज़ किया और अपनी लालच और मोह में फंसकर सब कुछ खो दिया। उसके पास अब न तो पैसे बचे थे और न ही कोई सम्मान। वह थका-हारा अपने गाँव पहुँचा, जहाँ लोगों ने उसकी दयनीय हालत देखी। वह अब एक ऐसा व्यक्ति बन चुका था जिसने अपने पिता की अंतिम इच्छा को भी पूरा नहीं किया और अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की।
सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने कर्तव्यों से कभी भी विमुख नहीं होना चाहिए। भाटकू ठाकर ने अपने कर्तव्य से भटक कर मोह और लालच में फंसकर एक बड़ी गलती की। उसकी मूर्खता और असावधानी ने उसे न केवल आर्थिक रूप से बर्बाद किया, बल्कि वह अपने पिता की अंतिम इच्छा को भी पूरा नहीं कर सका।
इस कथा का संदेश है कि जीवन में कोई भी कार्य तब तक पूरा नहीं होता, जब तक हम उसे सही ढंग से न करें। यात्रा के दौरान अनुशासन, संयम और विवेक बनाए रखना बहुत जरूरी है, ताकि हम अपने मार्ग से भटकें नहीं। झाबू के रूप में लालच और मोह जीवन में हमेशा हमारे सामने आएंगे, लेकिन हमें उनसे सावधान रहना चाहिए और अपने लक्ष्यों को नहीं भूलना चाहिए।
यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि दूसरे लोगों की सलाह को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। भाटकू को उसके गाँव वालों ने सावधानी बरतने की सलाह दी थी, लेकिन उसने उनकी बात को हल्के में लिया। परिणामस्वरूप, उसे अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती का सामना करना पड़ा। अंततः, जो लोग अपने लक्ष्यों से भटकते हैं, उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ता है, जैसा कि भाटकू ठाकर के साथ हुआ।
इसलिए, यह कथा हमें चेतावनी देती है कि मोह-माया और लालच से हमेशा सावधान रहें और अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता दें। जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करता, उसे अंततः पछतावा ही मिलता है, और उसके जीवन में असफलता का सामना करना पड़ता है।
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