नुकीली ठुड्डीवाला राजा परी कथा (King Thrushbeard Fairy Tale In Hindi) एक ऐसी राजकुमारी की कथा है, जो अपनी सुंदरता और राजसी जीवन के कारण घमंडी और अहंकारी हो जाती है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे जीवन की कठिन परिस्थितियाँ और अनुभव किसी व्यक्ति के व्यवहार और सोच में बदलाव ला सकते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि घमंड इंसान को पतन की ओर ले जाता है और विनम्रता जीवन का सबसे बड़ा गुण है।
King Thrushbeard Fairy Tale In Hindi
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बहुत समय पहले की बात है, एक राजा था जिसकी एक सुंदर लेकिन घमंडी और बदमिजाज बेटी थी। वह इतनी अहंकारी थी कि किसी भी युवक को पसंद नहीं करती थी। राजा अपनी बेटी के लिए योग्य वर खोजने के लिए परेशान था, लेकिन वह हर युवक में कोई-न-कोई कमी निकालकर विवाह प्रस्ताव ठुकरा देती। उसकी इस आदत से तंग आकर राजा ने एक बड़ा स्वयंवर आयोजित किया। इसमें दूर-दूर के राजाओं और राजकुमारों को आमंत्रित किया गया।
स्वयंवर के दिन सभी वर अपने स्थान पर बैठे थे। राजा ने अपनी बेटी को बुलवाया और उसे अपनी पसंद का वर चुनने का आदेश दिया। लेकिन वह घमंडी लड़की हर युवक का मजाक उड़ाने लगी। किसी को मोटा कहती, किसी को पतला। किसी की शक्ल पर टिप्पणी करती, तो किसी की ऊँचाई का मजाक उड़ाती। इस तरह उसने हर युवक को अपमानित किया। जब वह एक राजा की ओर बढ़ी, जिसकी ठुड्डी थोड़ी नुकीली थी, तो उसने उसका भी मजाक उड़ाया और बोली, “इसकी ठुड्डी तो बतख की चोंच जैसी लगती है।” यह सुनकर सभा में मौजूद सभी लोग सन्न रह गए।
राजा को अपनी बेटी का यह व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। गुस्से में आकर उसने घोषणा की, “इस लड़की ने मेरे मेहमानों का निरादर किया है। अब इसका विवाह उस भिखारी से होगा जो मेरे दरवाजे पर सबसे पहले आएगा।” सभी राजाओं और राजकुमारों से क्षमा माँगकर राजा ने उन्हें विदा किया।
कुछ दिनों बाद, एक भिखारी गायक महल के दरवाजे पर आया। राजा ने उसे भीतर बुलवाया और कहा, “तुम्हारा गाना बहुत अच्छा है। इसके बदले मैं तुम्हें अपनी बेटी का हाथ उपहार में देता हूँ।” यह सुनकर राजकुमारी स्तब्ध रह गई। उसने विरोध किया, लेकिन राजा ने अपनी कसम पूरी की और तुरंत राजपुरोहित को बुलाकर उसका विवाह उस भिखारी से करवा दिया।
शादी के बाद, राजा ने अपनी बेटी से कहा, “अब तुम एक भिखारी की पत्नी हो। तुम्हारे लिए इस महल में कोई स्थान नहीं है। तुम्हें अपने पति के साथ जाना होगा।”
भिखारी ने अपनी पत्नी का हाथ पकड़ा और वे दोनों महल से निकल पड़े। रास्ते में राजकुमारी को पैदल चलना पड़ा। जब वे एक घने जंगल से गुजर रहे थे, तो राजकुमारी ने पूछा, “यह सुंदर जंगल किसका है?”
भिखारी ने उत्तर दिया, “यह नुकीली ठुड्डीवाले राजा का है। अगर तुमने उससे शादी की होती, तो यह जंगल तुम्हारा होता।” यह सुनकर राजकुमारी को पछतावा हुआ।
आगे चलते हुए वे एक बड़े नगर पहुँचे। राजकुमारी ने फिर पूछा, “यह सुंदर नगर किसका है?”
भिखारी ने कहा, “यह भी नुकीली ठुड्डीवाले राजा का है।” राजकुमारी को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन अब पछताने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी।
आखिरकार वे एक छोटी झोपड़ी में पहुँचे। भिखारी ने कहा, “यही हमारा घर है। हमें यहीं रहना होगा।” राजकुमारी ने घर की हालत देखी तो वह रो पड़ी। घर इतना छोटा था कि उसमें मुश्किल से दो लोग समा सकते थे। वह अपने पति से पूछने लगी, “यहाँ के नौकर-चाकर कहाँ हैं?” भिखारी ने हँसते हुए कहा, “यहाँ कोई नौकर-चाकर नहीं हैं। अब से तुम्हें सारा काम खुद करना होगा।”
पहले ही दिन, जब भिखारी ने राजकुमारी को चूल्हा जलाने और खाना पकाने के लिए कहा, तो वह रोने लगी। उसे चूल्हे-चौके का कोई अनुभव नहीं था। अंततः भिखारी ने ही खाना बनाया। रात को राजकुमारी को गंदे और सख्त बिस्तर पर सोना पड़ा।
अगले दिन भिखारी ने उसे जंगल से लकड़ियाँ लाने को कहा। वह किसी तरह लकड़ियाँ लाने गई, लेकिन उसके कोमल हाथों में छाले पड़ गए। धीरे-धीरे घर का सारा खाना खत्म हो गया। भिखारी ने उससे टोकरियाँ बनाने को कहा। वह बाँस लेकर आया और उसे टोकरियाँ बनाना सिखाने लगा। लेकिन सख्त बाँसों से राजकुमारी के हाथों से खून निकल आया।
इसके बाद भिखारी ने उसे सूत कातने का काम दिया। पर तकले से उसकी उँगलियाँ जख्मी हो गईं। हर काम में असफल होने पर भिखारी ने मिट्टी के बरतन बनाकर बेचने का काम सुझाया। राजकुमारी बाजार में बरतन बेचने गई। शुरुआत में उसके सारे बरतन बिक गए, लेकिन एक दिन एक शराबी सैनिक ने उसके सारे बरतन तोड़ दिए। राजकुमारी रोती हुई घर लौटी।
भिखारी ने उसे सांत्वना दी और राजा की रसोई में काम दिला दिया। अब उसे रसोई में सबसे गंदे काम करने पड़ते। उसका जीवन बेहद कठिन हो गया था।
कुछ समय बाद, उसने सुना कि महल में एक बड़ी शादी की तैयारी हो रही है। वह खिड़की से झाँककर देखती और अपनी बदकिस्मती पर आँसू बहाती। उसे अपनी गलतियों और घमंड पर गहरा पछतावा हुआ।
शादी के दिन, वह रसोई का बचा हुआ खाना लेकर बाहर निकल रही थी। तभी एक सुंदर राजकुमार, मखमली वस्त्र और सोने की जंजीर पहने उसके पास आया। उसने राजकुमारी को नृत्य करने का आग्रह किया। राजकुमारी डर गई, क्योंकि वह वही नुकीली ठुड्डीवाला राजा था। वह भागने की कोशिश करने लगी, लेकिन राजकुमार ने उसे पकड़ लिया।
राजकुमारी ने खुद को बहुत शर्मिंदा महसूस किया। तभी राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, “डरो मत। मैं ही वह भिखारी हूँ जिससे तुम्हारी शादी हुई थी। मैंने यह सब तुम्हारे घमंड को तोड़ने और तुम्हें सच्चाई का मूल्य समझाने के लिए किया।”
यह सुनकर राजकुमारी फूट-फूटकर रोने लगी और कहा, “मुझे माफ कर दीजिए। मैं आपकी पत्नी बनने के लायक नहीं हूँ।” लेकिन राजा ने उसे सांत्वना दी और कहा, “अब बुरे दिन बीत चुके हैं। चलो, हम अपनी शादी का उत्सव मनाएँ।”
राजकुमारी को सबसे सुंदर कपड़े पहनाए गए। उसके पिता और दरबार के सभी लोग आए और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया। राजकुमारी और राजा का जीवन खुशी-खुशी बीतने लगा।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड व्यक्ति को पतन की ओर ले जाता है। जीवन में विनम्रता और दूसरों का सम्मान करना बहुत आवश्यक है। सच्ची खुशी केवल आडंबर से नहीं, बल्कि सरलता और दया से आती है। यह कहानी यह भी सिखाती है कि अनुभव ही इंसान को सिखाते हैं कि जीवन में सही और गलत का मूल्य क्या है।
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