गधे के कान वाले राजा की कहानी (King With Donkey Ears Story In Hindi With Moral) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
King With Donkey Ears Story In Hindi
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यह कहानी प्राचीन काल की है, जब एक राजा अपने राज्य पर न्याय और परोपकार से शासन करता था। परंतु, राजा के पास एक अजीब और गुप्त दोष था जिसे वह हर किसी से छिपाए रखता था। राजा के सिर पर गधे के कान थे, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं थी, क्योंकि वह हमेशा अपने सिर पर मुकुट पहने रहता था। राजा का डर यह था कि अगर प्रजा को उसकी यह कमजोरी पता चली, तो लोग उसका मजाक उड़ाएंगे और उसका सम्मान खत्म हो जाएगा।
राजा की समस्या यह थी कि उसे नियमित रूप से अपने बाल कटवाने पड़ते थे, लेकिन हर बार जब वह अपने नाई को बुलाता, तो वह नाई को बाल काटने के बाद मार डालता, ताकि वह राजा के गधे के कानों का रहस्य बाहर न फैला सके। राजा बहुत चालाकी से हर बार एक नया नाई बुलाता और उसी तरीके से उसे मार देता। धीरे-धीरे राज्य में यह बात फैल गई कि जो भी राजा का नाई बनता है, उसकी जान चली जाती है। इस डर के कारण अब कोई भी राजा की सेवा करने के लिए तैयार नहीं होता था।
एक दिन, एक गरीब नाई, जिसका नाम रामू था, अपने परिवार का पेट पालने के लिए राजा की सेवा करने को मजबूर हुआ। उसे यह तो पता था कि राजा के बाल काटने के बाद उसका अंत निश्चित है, लेकिन अपने परिवार की भूख को देखते हुए उसने इस कठिन काम को स्वीकार किया। डरते-डरते रामू महल पहुंचा और राजा के सामने खड़ा हुआ। राजा ने उसे भीतर बुलाया और कमरे में किसी को भी आने की इजाजत नहीं दी।
रामू ने जैसे ही राजा का मुकुट हटाया, उसकी आंखें आश्चर्य से खुली रह गईं। राजा के सिर पर इंसानी कान नहीं, बल्कि गधे के कान थे! वह घबरा गया, लेकिन उसने अपने डर को काबू में रखा और राजा के बाल काटे। बाल कटवाने के बाद, राजा ने रामू से कहा, “तुम्हें अब मेरी एक बात माननी होगी। तुमने जो देखा है, वह किसी को भी नहीं बताओगे। अगर तुमने यह बात किसी से कही, तो तुम्हारी जान जाएगी।” रामू डर से कांप रहा था, लेकिन उसने राजा से वादा किया कि वह इस बात को किसी से नहीं कहेगा।
रामू महल से लौट आया, लेकिन राजा के गधे के कानों का दृश्य उसके मन में घूमता रहा। वह किसी से यह राज बताने के लिए तड़प रहा था, लेकिन उसे राजा के कहे अनुसार चुप रहना था। दिन बीतते गए, परंतु रामू के मन पर यह बोझ बढ़ता ही गया। वह बहुत परेशान रहने लगा, और धीरे-धीरे उसकी सेहत भी बिगड़ने लगी। उसकी बेचैनी बढ़ गई, क्योंकि उसके भीतर का राज उसे अंदर से खाए जा रहा था। रामू ने सोचा, “अगर मैंने यह बात किसी को नहीं बताई, तो शायद मैं मर जाऊंगा। पर राजा ने कहा था कि अगर मैंने यह राज किसी को बताया, तो भी मैं मारा जाऊंगा।”
रामू के इस असमंजस भरे जीवन को देखकर उसके एक दोस्त ने उसे सलाह दी, “तुम यह राज किसी इंसान को मत बताओ, बल्कि किसी निर्जीव चीज़ से कह दो। शायद तुम्हारा दिल हल्का हो जाएगा।” यह सुनकर रामू को थोड़ी राहत महसूस हुई। उसने सोचा कि अगर वह किसी निर्जीव चीज़ से यह बात कह देगा, तो उसका मन हल्का हो जाएगा और राजा को भी पता नहीं चलेगा।
रामू जंगल में गया और वहां एक पेड़ चुना। वह पेड़ हरे-भरे पत्तों वाला एक बांस का पेड़ था, जो सुनसान जगह पर अकेला खड़ा था। रामू ने पेड़ के तने के पास जाकर धीरे से कान लगाकर कहा, “राजा के गधे के कान हैं!” यह बात कहने के बाद रामू को बहुत राहत मिली। उसे ऐसा लगा जैसे उसके दिल से एक भारी बोझ उतर गया हो। अब वह हल्का महसूस कर रहा था और धीरे-धीरे उसकी तबीयत भी सुधरने लगी। वह सामान्य जीवन में वापस लौट आया।
कुछ महीनों बाद, उस बांस के पेड़ को काटकर एक ढोल बनाया गया। उस ढोल को एक दिन राज दरबार में लाया गया, जहां एक बड़ा उत्सव मनाया जा रहा था। संगीतकारों को उस ढोल पर प्रदर्शन करने का अवसर दिया गया। जैसे ही संगीतकार ने उस ढोल को बजाना शुरू किया, ढोल से एक अजीब आवाज निकली: “राजा के गधे के कान हैं! राजा के गधे के कान हैं!” यह सुनकर सभी दरबारियों और प्रजाजनों में खलबली मच गई। वे यह सोचने लगे कि आखिर यह अजीब आवाज क्यों आ रही है?
राजा भी हैरान रह गया। वह समझ नहीं पाया कि उसका गुप्त राज कैसे खुल गया। दरबार में शांति छा गई और सभी राजा को देख रहे थे। राजा को अब अपनी कमजोरी का अहसास हुआ। वह यह जानकर भी चकित था कि इतने प्रयासों के बावजूद, उसका राज एक साधारण ढोल के माध्यम से पूरी प्रजा के सामने आ गया।
कुछ देर के बाद राजा ने सोचा और महसूस किया कि अब इस सच्चाई को छिपाने का कोई मतलब नहीं रह गया है। उसने अपने गधे के कानों को स्वीकार करते हुए मुकुट हटा दिया और कहा, “हाँ, मेरे कान गधे के हैं, और मैं इसे छिपा नहीं सकता। मैंने वर्षों तक इस बात को छिपाने की कोशिश की, पर अब मैं अपनी वास्तविकता को स्वीकार करता हूँ।”
राजा के इस साहसिक कदम को देखकर दरबारियों और प्रजाजनों में उसके प्रति और भी सम्मान बढ़ गया। लोगों ने राजा के दोष को नहीं देखा, बल्कि उसके अच्छे काम और न्यायप्रियता को महत्व दिया।
इस घटना के बाद राजा ने अपने कानों के बारे में और शर्मिंदगी महसूस नहीं की। उसने नाई रामू को भी माफ कर दिया और उसे पुरस्कृत किया।
सीख
सत्य को स्वीकार कर लेना चाहिए।
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