कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता : सीख देने वाली कहानी | Koi Kaam Chhota Ya Bada Nahin Hota Kahani

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम ‘कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता पर प्रसंग’ (Koi Kaam Chhota Ya Bada Nahin Hota Prearak Kahani) प्रस्तुत कर रहे हैं। बड़ा काम छोटा काम पर कहानी हर काम का सम्मान करने की सीख देती है। पढ़िए :

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Koi Kaam Chhota Ya Bada Nahin Hota Prearak Prerak Kahani

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Koi Kaam Chhota Ya Bada Nahin Hota Prearak Prerak Kahani
Koi Kaam Chhota Ya Bada Nahin Hota Prearak Prerak Kahani

एक छोटे से कस्बे में एक हुनरमंद मैकेनिक रहता था। उसकी छोटी सी गैराज थी। गाड़ियों की रिपेयरिंग करके इतना कमा लेता कि गुजारा चल जाता।

उसे अपने हुनर पर बड़ा घमंड था। वह अपने काम को दूसरे कामों से बेहतर समझता और जब मौका मिलता जता भी देता।

एक दिन एक लक्जरी कार उसके गैराज में रिपेयरिंग के लिए आई। वह कार शहर के एक नामी हार्ट सर्जन की थी। किसी काम से वे कस्बे में आए थे और उनकी कार खराब हो गई।

रिपेयरिंग करते हुए मैकेनिक ने कहा, “डॉक्टर साहब! आपको नहीं लगता कि मेरा और आपका काम एक जैसा ही है।”

“अच्छा! कैसे, ज़रा बताओ!”

“आप इंसानों के दिल का ऑपरेशन करते हैं, मैं गाड़ियों के दिल का। भई, गाड़ी का इंजन उसका दिल ही तो है। जब ये ठीक से काम नहीं कर रहा होता, तो मैं इसे खोलकर चेक करता हूँ, खराबी पता करता हूँ और रिपेयर करके इसे ठीक कर देता हूँ। ठीक वैसे ही जैसे आप हार्ट की सर्जरी करते हैं और उसे ठीक कर देते हैं।”

“ठीक कहते हो।” डॉक्टर साहब बोले।

तब मैकेनिक खीझकर बोला, “जब हमारे काम एक जैसे हैं डॉक्टर साहब, तो फिर बताइए कि आपको मुझसे दस गुना ज्यादा पैसे क्यों मिलते हैं? आप भी तो वही करते हैं, जो मैं करता हूँ।”

डॉक्टर साहब मुस्कुराये और बोले, “एक बार चालू इंजन में काम करके देखो, पता चल जायेगा।”

मैकेनिक चुप पड़ गया।

सीख (Moral Of The Story)

दोस्तों! हर काम का अपना महत्व है, अपनी चुनौतियाँ हैं। हमें अपने काम के बारे में तो पता होता है, लेकिन दूसरे काम के बारे में हमें बारीकी से जानकारी नहीं होती, न ही उनमें आने वाली समस्याओं और दिक्कतों का अंदाज़ा होता है। इसलिए अपने काम को बड़ा और दूसरे कामों को छोटा नहीं समझना चाहिए। दूसरे कामों का रिस्पेक्ट करना चाहिए और उसे करने वालों को एप्रिशिएट करना चाहिए।

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