कुएं का विवाह तेनाली राम की कहानी (Kuen Ka Vivah Tenali Ram Ki Kahani) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये कहानी उस घटना की है, जब राजा कृष्ण देव राय तेनाली राम से नाराज़ हो जाते हैं और उसे अपनी सूरत कभी न दिखाने का कहकर दरबार से निकाल देते हैं।
Kuen Ka Vivah Tenali Ram Ki Kahani
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एक बार विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय और उनके बुद्धिमान मंत्री तेनालीराम के बीच एक छोटी सी अनबन हो गई. मामला इतना बढ़ गया कि तेनालीराम, राजा के कोप से बचने के लिए, राजधानी छोड़कर एक दूर के गाँव में जाकर छिप गए.
कुछ दिन बीत जाने के बाद, राजा को तेनालीराम की अनुपस्थिति का अहसास हुआ. उनके हास्य, बुद्धि और सलाह की कमी से राजा का मन अशांत रहने लगा. उन्होंने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे तेनालीराम को ढूंढकर वापस लाएँ. सैनिकों ने दूर-दूर तक खोज की, लेकिन तेनालीराम का कोई पता नहीं चला.
राजा बहुत निराश हो गए थे. उन्हें लगा कि शायद तेनालीराम अब कभी वापस नहीं आएंगे. लेकिन फिर उनके मन में एक चालाक योजना आई. उन्होंने सारे राज्य में मुनादी करवाई कि वे अपना राजकीय कुआँ किसी और कुएँ से विवाह में दे रहे हैं. इस विवाह में शामिल होने के लिए सभी गाँवों के मुखियाओं को अपने-अपने गाँव के कुएँ को लेकर राजधानी में आना होगा. जो भी यह आदेश नहीं मानेगा, उस पर हजार स्वर्ण मुद्राओं का जुर्माना लगाया जाएगा.
यह आदेश सुनकर सभी गाँव वाले बहुत परेशान हो गए. कुआँ तो पानी का स्रोत होता है, उसे कैसे किसी और के साथ विवाह में दिया जा सकता है? यह तो नामुमकिन था.
जिस गाँव में तेनालीराम छिपे हुए थे, वहाँ के मुखिया भी बहुत घबरा गए. उन्हें नहीं पता था कि इस मुश्किल स्थिति से कैसे निपटा जाए. तभी तेनालीराम ने मुखिया को बुलाया और कहा कि वह इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं. उन्होंने मुखिया से कहा कि वह आस-पास के सभी गाँवों के मुखियाओं को बुलाए और उनकी बात माने.
मुखिया ने तेनालीराम की बात मान ली और सभी गाँवों के मुखियाओं को इकट्ठा किया. फिर सभी मिलकर राजधानी की ओर चल पड़े. भेष बदलकर तेनालीराम भी उनके साथ चल पड़े.
राजा के दरबार में एक संदेशवाहक गया और कहा, “महाराज, सभी गाँवों के कुएँ आपके राजकीय कुएँ के विवाह में शामिल होने के लिए नगर के बाहर रुके हुए हैं. आप कृपया अपने राजकीय कुएँ को उनकी अगवानी के लिए भेजें.”
यह सुनकर राजा समझ गए कि यह तेनालीराम की ही चाल है. उन्होंने संदेशवाहक से पूछा कि यह विचार उसे किसने दिया है. संदेशवाहक ने बताया कि उनके गाँव में एक अजनबी आया था, जिसने यह विचार दिया है.
राजा तुरंत समझ गए कि वह अजनबी कोई और नहीं बल्कि तेनालीराम ही हैं. वे स्वयं नगर के बाहर गए और तेनालीराम को ढूंढ निकाला. उन्होंने तेनालीराम को ससम्मान वापस दरबार में लाया और सभी गाँव वालों को पुरस्कार देकर विदा किया.
इस तरह तेनालीराम की चतुराई से एक मुश्किल समस्या का हल निकल आया और राजा भी बहुत खुश हुए.
सीख
1. बुद्धि का महत्व: तेनालीराम ने अपनी बुद्धि और चतुराई से एक मुश्किल स्थिति से निकलने का रास्ता ढूंढ लिया। यह हमें बताता है कि बुद्धि किसी भी समस्या का समाधान खोजने में बहुत उपयोगी होती है।
2. रचनात्मक सोच: तेनालीराम ने एक ऐसी स्थिति का सामना किया जिसका समाधान करना मुश्किल लग रहा था, लेकिन उन्होंने अपनी रचनात्मक सोच का उपयोग करके एक अनोखा समाधान निकाला।
3. समाधान हमेशा हमारे आसपास होते हैं: तेनालीराम ने एक साधारण चीज़, जैसे कि एक कुआँ, का उपयोग करके एक मुश्किल समस्या का समाधान निकाला। यह हमें बताता है कि समाधान हमेशा हमारे आसपास होते हैं, बस हमें उन्हें ढूंढने की जरूरत होती है।
तेनाली राम और महाराज की वाहवाही