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लालची सेठ की कहानी | Lalchi Seth Ki Kahani

lalchi seth ki kahani लालची सेठ की कहानी | Lalchi Seth Ki Kahani
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लालची सेठ की कहानी (Lalchi Seth Ki Kahani) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये एक ऐसे लालची सेठ की कहानी है, जो लालच में भगवान का भी नहीं हुआ। पढ़िए पूरी कहानी :

Lalchi Seth Ki Kahani

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Lalchi Seth Ki Kahani

बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से कस्बे में एक बहुत धनी और लालची सेठ रहता था। उसका नाम धनलाल था। उसके पास दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन जितनी दौलत वह इकट्ठा करता, उसका लालच उतना ही बढ़ता जाता। वह हमेशा और अधिक संपत्ति, सोना और जमीन पाने की सोचता रहता। 

एक दिन अचानक सेठ धनलाल गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। वह बहुत घबरा गया, क्योंकि उसकी बीमारी इतनी गंभीर थी कि उसके बचने की उम्मीद कम थी। उसने बहुत से वैद्यों और डॉक्टरों से इलाज करवाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जैसे-जैसे उसके ठीक होने की उम्मीद धुंधली होती जा रही थी, सेठ को अपनी मौत का भय सता रहा था। आखिरकार, उसने भगवान को याद किया और उनसे प्रार्थना करने लगा। 

“हे भगवान!” सेठ ने कहा, “अगर आप मुझे इस बीमारी से मुक्ति दिला दें, तो मैं आपके चरणों में हजार सोने के सिक्के चढ़ाऊंगा।”

भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली और धीरे-धीरे सेठ की तबीयत सुधरने लगी। कुछ ही दिनों में वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। लेकिन जैसे ही वह ठीक हुआ, उसकी लालची प्रवृत्ति फिर से उभर आई। उसने सोचा, “हजार सोने के सिक्के चढ़ाने से मेरी बहुत सी दौलत चली जाएगी। इससे अच्छा तो यह होगा कि मैं कुछ और चढ़ा दूं, जो सस्ता हो। भगवान को क्या फर्क पड़ता है, उन्हें तो भक्ति चाहिए।”

फिर क्या था, सेठ ने सोने के सिक्कों के बदले हजार आटे की गोलियां मंदिर में चढ़ा दीं और अपने मन में सोचा कि भगवान तो सब जानते हैं, उन्हें क्या बताना।

कुछ दिन बीते, और एक रात सेठ धनलाल को सपना आया। सपने में एक भूत प्रकट हुआ और उसने सेठ से कहा, “तुम बहुत लालची हो, लेकिन तुम्हारे लिए एक अवसर है। अगर तुम जंगल में जाकर एक विशेष स्थान पर खुदाई करोगे, तो तुम्हें वहां बहुत खजाना मिलेगा।”

सेठ का लालच जाग गया। वह सुबह उठते ही जंगल की ओर चल पड़ा। वह सपने में बताए गए स्थान पर पहुंचा और खुदाई शुरू की। कुछ ही देर में उसे एक भारी बर्तन मिला। उसके चेहरे पर खुशी की चमक आ गई, उसने सोचा कि अब तो उसकी दौलत दोगुनी हो जाएगी। उसने बर्तन खोला, तो उसमें वाकई में खजाना था, जिसे चोरों ने वहां छुपा रखा था।

सेठ जैसे ही खजाना लेकर, वहां से जाने को हुआ, चार चोर वहां आ पहुंचे। उन्होंने सेठ को घेर लिया और कहा, “तुम हमारे खजाने के पास क्या कर रहे हो?”

सेठ ने घबराते हुए कहा, “मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हें हजार सोने के सिक्के दूंगा।”

चोरों ने हंसते हुए कहा, “तुम जैसे कपटी इंसान का क्या भरोसा? जो भगवान से कपट कर सकता है, वह हमसे भी धोखा कर सकता है।”

चोरों ने सेठ को जंगल की एक गुफा में बंद कर दिया। सेठ को अपनी लालच और धोखेबाजी की भारी कीमत चुकानी पड़ी। उसका लालच ही उसकी बर्बादी का कारण बना। 

सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच और धोखेबाजी कभी भी अच्छे परिणाम नहीं लाते। जो व्यक्ति भगवान से भी छल करता है, वह समाज और जीवन में कभी भी सफलता नहीं पा सकता। जब हम अपने लालच के कारण सही रास्ते से भटक जाते हैं, तो अंततः हमें अपने ही कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। हमें हमेशा ईमानदारी और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। 

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