लंगड़ा राजा की कहानी (Langda Raja Ki Kahani) Crippled King Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Langda Raja Ki Kahani
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बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से राज्य में विक्रम नाम का राजा राज करता था। राजा विक्रम बहुत ही समझदार और दयालु थे, लेकिन उनका एक पैर बचपन की दुर्घटना में खराब हो गया था। इस कारण उन्हें लंगड़ा राजा कहा जाता था। हालाँकि, राजा विक्रम ने कभी इस बात की चिंता नहीं की। वह हमेशा अपनी प्रजा की भलाई के लिए काम करते और उन्हें न्याय दिलाते थे। प्रजा भी उनसे बहुत प्यार करती थी, पर कुछ लोग थे जो उनके लंगड़ेपन का मज़ाक उड़ाया करते थे।
एक दिन पड़ोसी राज्य के राजा ने सोचा, “विक्रम तो लंगड़ा है, वह मुझसे युद्ध में कैसे लड़ पाएगा? क्यों न मैं उसके राज्य पर हमला कर दूँ?” पड़ोसी राजा ने अपनी विशाल सेना तैयार की और विक्रम के राज्य पर चढ़ाई करने की योजना बनाई।
राजा विक्रम को जब इस बात का पता चला, तो उनके मंत्रीगण घबरा गए। उन्होंने कहा, “महाराज, हमारी सेना बहुत छोटी है। पड़ोसी राज्य की सेना के आगे हम टिक नहीं पाएंगे।”
राजा विक्रम मुस्कुराए और बोले, “डरने की कोई बात नहीं है। जब हिम्मत और चतुराई साथ हो, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती।”
राजा विक्रम ने अपनी बुद्धिमानी का सहारा लिया। उन्होंने अपने सेनापतियों को बुलाया और एक योजना बनाई। राजा ने कहा, “दुश्मन सोच रहा है कि हम कमजोर हैं, लेकिन हम अपनी ताकत का इस्तेमाल सही तरीके से करेंगे। हम दुश्मन को अपनी योजना में फँसाएँगे।”
राजा विक्रम ने अपने सैनिकों को पहाड़ों और जंगलों में छिपने का आदेश दिया। उन्होंने अपनी सेना को कई छोटे दलों में बाँट दिया और हर दल को अलग-अलग जगह से हमला करने की योजना दी।
जल्द ही पड़ोसी राजा अपनी बड़ी सेना के साथ विक्रम के राज्य की सीमा पर आ धमका। उसे पूरा यकीन था कि वह आसानी से इस राज्य को जीत लेगा, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि राजा विक्रम की योजना क्या थी। जैसे ही दुश्मन की सेना ने राज्य में कदम रखा, विक्रम के सैनिकों ने चारों तरफ से उन पर हमला करना शुरू कर दिया।
दुश्मन की सेना को समझ में ही नहीं आ रहा था कि हमला कहाँ से हो रहा है। कभी कोई सैनिक पेड़ों के पीछे से तीर चलाता, तो कभी पहाड़ों के ऊपर से पत्थर गिराए जाते। दुश्मन के सैनिक डरने लगे।
इसी बीच, राजा विक्रम खुद भी युद्ध में उतर गए। उनका एक पैर लंगड़ा था, फिर भी वह घोड़े पर सवार होकर अपनी सेना का हौसला बढ़ाते हुए आगे बढ़े। दुश्मन की सेना ने जब देखा कि विक्रम खुद युद्ध में हिस्सा ले रहा है, तो उनकी हिम्मत टूटने लगी।
विक्रम की चतुराई और साहस के आगे दुश्मन टिक नहीं पाया। जल्द ही पड़ोसी राजा ने हार मान ली और अपनी सेना को पीछे हटने का आदेश दिया। वह यह सोचकर हैरान था कि एक लंगड़ा राजा कैसे इतना चतुर और वीर हो सकता है।
राजा विक्रम ने न केवल अपने राज्य को बचाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि शारीरिक कमजोरी से कुछ फर्क नहीं पड़ता, असली ताकत तो दिमाग और दिल में होती है।
इस घटना के बाद, राज्य के लोग और भी ज्यादा अपने राजा का सम्मान करने लगे। अब कोई उन्हें “लंगड़ा राजा” नहीं कहता था, बल्कि सब उन्हें “वीर विक्रम” के नाम से बुलाने लगे।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमारे मन में हिम्मत और सही सोच हो, तो हम किसी भी कमजोरी को ताकत में बदल सकते हैं। और कभी भी किसी की शारीरिक कमजोरी का मज़ाक नहीं उड़ाना चाहिए, क्योंकि हर किसी के अंदर कुछ खास होता है।