लूत और उसकी बेटियों की कहानी बाइबल (Lot And His Daughters Story In Hindi Bible) लूत और उसकी बेटियों की कहानी बाइबल के पुराने नियम में उत्पत्ति (Genesis) के पुस्तक में पाई जाती है, विशेष रूप से अध्याय 19 में। यह कहानी नैतिकता, विश्वास, और निर्णय लेने की जटिलताओं के बारे में गहरी समझ प्रदान करती है।
Lot And His Daughters Story In Hindi
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लूत, अब्राहम का भतीजा, सोदोम शहर में रहता था। सोदोम और अमोरा (गोमोरा) के शहर अपने पाप और दुष्टता के लिए प्रसिद्ध थे। परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि वह इन शहरों को उनके पापों के कारण नष्ट कर देगा। लेकिन अब्राहम ने परमेश्वर से प्रार्थना की कि यदि वहां कुछ धर्मी लोग मिल जाएं, तो शहरों को नष्ट न किया जाए। परमेश्वर ने वादा किया कि यदि वह सोदोम में दस धर्मी लोगों को पाता है, तो वह शहर को बचा लेगा।
एक शाम, दो स्वर्गदूत सोदोम पहुंचे। लूत ने उन्हें शहर के द्वार पर देखा और आग्रह किया कि वे उसके घर में आकर रात बिताएं। स्वर्गदूतों ने पहले मना किया, लेकिन लूत के बार-बार अनुरोध करने पर वे मान गए।
रात में, सोदोम के सभी पुरुष, युवा और वृद्ध, लूत के घर के चारों ओर इकट्ठे हुए और स्वर्गदूतों को बाहर लाने की मांग की ताकि वे उन्हें “जान सकें” (बाइबिल में यह शब्द अक्सर यौन संबंध के लिए प्रयोग किया जाता है)। लूत ने बाहर आकर उनसे कहा, “मेरे भाइयों, ऐसा बुरा काम मत करो। मेरे पास दो बेटियां हैं जो अभी तक पुरुष के साथ नहीं रही हैं। मैं उन्हें तुम्हारे पास लाता हूं, तुम जैसा चाहो उनके साथ कर लो। लेकिन इन पुरुषों के साथ कुछ मत करो, क्योंकि वे मेरी छत के नीचे आए हैं।”
यह सुनकर पुरुषों ने लूत पर हमला करने की धमकी दी। तब स्वर्गदूतों ने लूत को अंदर खींच लिया और दरवाजे को बंद कर दिया। उन्होंने उन पुरुषों को अंधा कर दिया, जिससे वे दरवाजा नहीं ढूंढ सके।
स्वर्गदूतों ने लूत से कहा कि वह अपने परिवार को लेकर तुरंत शहर छोड़ दे, क्योंकि परमेश्वर ने सोदोम और अमोरा को नष्ट करने का निश्चय किया था। लूत, उसकी पत्नी, और उसकी दो बेटियां जल्दी से शहर छोड़ने लगे। स्वर्गदूतों ने उन्हें चेतावनी दी कि वे पीछे मुड़कर न देखें और न ही कहीं रुकें, बस पहाड़ों की ओर भागें।
लूत ने स्वर्गदूतों से कहा कि पहाड़ों तक पहुंचना मुश्किल होगा और उन्होंने ज़ोआर नामक छोटे शहर में जाने की अनुमति मांगी, जो स्वर्गदूतों ने दी।
लूत, उसकी पत्नी और बेटियां जब शहर से बाहर भाग रहे थे, तो लूत की पत्नी ने पीछे मुड़कर देखा। इस उल्लंघन के कारण, वह नमक का स्तंभ बन गई। यह घटना लूत और उसकी बेटियों के लिए एक कठोर सबक थी कि परमेश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
लूत और उसकी बेटियां ज़ोआर पहुंची और वहां रहने लगे। लेकिन लूत को ज़ोआर में भी डर लगने लगा, इसलिए वे पहाड़ों में एक गुफा में जाकर बस गए।
लूत की बेटियों ने देखा कि उनके पास कोई पुरुष नहीं है जो उनकी संतति को बढ़ा सके। उन्होंने सोचा कि उनके पिता के वंश को जारी रखने के लिए उन्हें कुछ करना होगा।
एक रात, बड़ी बेटी ने अपने पिता को शराब पिलाई और उसके साथ सोई। अगली रात, छोटी बेटी ने भी यही किया। दोनों बेटियां अपने पिता से गर्भवती हो गईं।
बड़ी बेटी ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम मोआब रखा। मोआब मोआबियों का पूर्वज बना। छोटी बेटी ने भी एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम बेन-अम्मी रखा। बेन-अम्मी अम्मोनियों का पूर्वज बना।
लूत और उसकी बेटियों की कहानी नैतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। यह कहानी दिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी, विश्वास और भगवान पर भरोसा बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। लूत की बेटियों का निर्णय अपने पिता के वंश को जारी रखने के लिए था, लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने अनैतिकता और पाप का सहारा लिया।
यह कहानी यह भी दिखाती है कि परमेश्वर की योजनाएं और निर्णय मानव समझ से परे हो सकते हैं, और उनकी आज्ञाओं का उल्लंघन गंभीर परिणाम ला सकता है। लूत की पत्नी का नमक का स्तंभ बनना इसका एक स्पष्ट उदाहरण है।
लूत और उसकी बेटियों की कहानी बाइबिल में नैतिकता, विश्वास, और मानव निर्णय की जटिलताओं की गहन समझ प्रदान करती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमें अपने विश्वास और धार्मिकता पर अडिग रहना चाहिए और परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। लूत की बेटियों का निर्णय एक नैतिक शिक्षा के रूप में काम करता है, जो दिखाता है कि सही इरादों के बावजूद गलत तरीके अपनाने के परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
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