मकड़ी और गिरगिट की कहानी (Makadi Aur Girgit Ki Kahani) Spider And Chameleon Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये मकड़ी और गुरगिट की बहस के बारे में है, जिसमें गिरगिट मकड़ी की क्षमता को कम आंकती है।
Makadi Aur Girgit Ki Kahani
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एक घने जंगल में एक मकड़ी अपने जाले पर बैठी थी। वह कुशल कारीगर थी और उसने एक मजबूत और सुंदर जाला बनाया था। मकड़ी जाले में कीड़ों के फंसने का इंतजार कर रही थी।
थोड़ी देर बाद एक रंगीन गिरगिट जंगल में घूमते हुए आया। गिरगिट मकड़ी के जाले को देखकर रुक गया। उसने मकड़ी को जाले पर बैठे हुए देखा और उससे पूछा, “तुम क्या कर रही हो?”
मकड़ी ने जवाब दिया, “मैं अपने जाले में कीड़ों के फंसने का इंतजार कर रही हूँ।”
गिरगिट ने हँसते हुए कहा, “तुम्हारा जाल बहुत छोटा है। कोई भी बड़ा कीड़ा इसमें नहीं फंसेगा।”
मकड़ी ने नाराजगी से कहा, “मेरा जाल छोटा हो सकता है, लेकिन यह मजबूत है। कोई भी कीड़ा इससे बच नहीं सकता।”
गिरगिट ने मकड़ी को चुनौती दी, “अगर तुम्हें इतना ही भरोसा है, तो मैं तुम्हारे जाले में फंसने की कोशिश करता हूँ।”
मकड़ी ने सहमति जताई। गिरगिट ने धीरे-धीरे जाले की तरफ बढ़ना शुरू किया। जैसे ही वह जाले के करीब पहुंचा, मकड़ी ने उस पर हमला कर दिया। गिरगिट जाले में फंस गया और छूटने की कोशिश करने लगा।
लेकिन जाल मजबूत था और गिरगिट बच नहीं पाया। मकड़ी ने गिरगिट को अपने जाले में लपेट लिया और उसे मारने की तैयारी की।
गिरगिट डर गया और मकड़ी से माफी मांगने लगा। उसने कहा, “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। मैंने तुम्हारी क्षमता को कम आंका। कृपया मुझे माफ़ कर दो और मुझे छोड़ दो।”
मकड़ी को गिरगिट पर दया आ गई। उसने उसे जाले से मुक्त कर दिया। गिरगिट ने मकड़ी का धन्यवाद किया और जंगल में चला गया।
इस घटना से गिरगिट को एक सबक मिला। उसने सीखा कि कभी भी किसी की क्षमता को कम नहीं आंकना चाहिए, चाहे वे कितने भी छोटे या कमजोर क्यों न लगें।
सीख
- हमें कभी भी किसी की क्षमता को कम नहीं आंकना चाहिए।
- हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए और दूसरों से माफी मांगने में शर्म नहीं करनी चाहिए।
- दयालुता और क्षमा हमेशा शक्ति से अधिक प्रभावी होती है।
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