कौन मालिक और कौन नौकर? : अकबर बीरबल | Master And Servant Akbar Birbal Tale

मित्रों, ‘Master And Servant Akbar Birbal Tale‘ में एक अजीबोगरीब प्रकरण बादशाह अकबर ने समक्ष आता है, जिसमें दो व्यक्तियों में ये पता लगाना होता है कि मालिक कौन है और नौकर कौन? दोनों ही मालिक होने का दावा कर रहे थे. अकबर यह काम बीरबल को सौंपते हैं. बीरबल कैसे ये पता लगाता है? जानने के लिए पढ़िये पूरी कहानी :

Master And Servant Akbar Birbal Tale

Table of Contents

Master And Servant Akbar Birbal Tale
Master And Servant Akbar Birbal Story In Hindi : Source : Akbar Birbal PNG

बादशाह अकबर के दरबार में उनका एक मंत्री दो व्यक्तियों को लेकर उपस्थित हुआ और सलाम करने के बाद बोला, “जहाँपनाह! ये दोनों आज सुबह अपना झगड़ा लेकर मेरे पास आये. बहुत सोचने के बाद भी मैं समझ नहीं पाया कि इनका झगडा मैं कैसे सुलझाऊं. इसलिए दरबार में आपके सामने लेकर आया हूँ.”

>

“बताओ क्या मसला है? ये दोनों किस बात पर झगड़ रहे हैं?” बादशाह अकबर ने पूछा.

मंत्री बोला, “हुज़ूर! इन दोनों के मुँह से ही पूरी बात सुन लें.”

फिर उसने उन दोनों को अपना-अपना पक्ष रखने को कहा. पहला व्यक्ति बोला, “हुज़ूर! मेरा नाम अमीर है. मैं एक व्यापारी हूँ और मेरे पास कई एकड़ जमीनें भी है. लेकिन ये आदमी दावा कर रहा है कि मैं इसका नौकर हूँ और इसकी पहचान लेकर मैंने इसके व्यापार, जमीन और दौलत पर कब्ज़ा कर लिया है.”

दूसरा आदमी बोला, “हुज़ूर! ये झूठ बोल रहा है. असल में मैं अमीर हूँ. मेरी कई एकड़ जमीनें हैं और मेरा अच्छा-ख़ासा व्यापार है. ये मेरा नौकर है. ६ माह के लिए व्यापार के सिलसिले में मुझे अफगानिस्तान जाना पड़ा. उस दौरान मैंने अपने व्यवसाय और जमीनों के देखभाल की ज़िम्मेदारी इसे सौंप दी. अपने जीवन भर की कमाई दौलत भी मैंने इसे संभालकर रखने के लिए दी. लेकिन मेरे जाते ही इसके मन में खोट आ गया. अब मैं वापस आया हूँ, तो ये स्वयं को अमीर बता रहा है और कह रहा है कि यह व्यवसाय और जमीनों का मालिक है. इसने मेरी दौलत भी हड़प ली है. हुज़ूर न्याय करें.”

पढ़ें : मित्रता का महत्त्व बतलाती ४ कहानियां | Story On Friendship In Hindi

अकबर पूरा प्रकरण सुनकर सोच में पड़ गए. फिर उन्होंने दरबार में उपस्थित मंत्रियों से पूछा, “यहाँ ऐसा कोई है, जो इस प्रकरण को सुलझा पाये? जो भी यह बता पाया कि इनमें से कौन मालिक है और कौन नौकर? उसे मैं सोने की १०० अशर्फियाँ ईनाम में दूंगा.”

हमेशा की तरह बीरबल झट से खड़ा हो गया और बोला, “हुज़ूर! मैं इस प्रकरण को अभी सुलझा सकता हूँ.”

फिर वह दोनों व्यक्तियों के पास गया और बोला, “तुम्हें शायद पता नहीं कि मैं लोगों के दिमाग में चल रही बातें पढ़ सकता हूँ. इसलिए चाहो भी तो तुम दोनों मुझसे सच छुपा नहीं सकते. इसलिए बेहतरी इसी में है कि खुद सारी बातें सच-सच बता दो.”

लेकिन दोनों में से कोई कुछ न बोला. तब बीरबल बोला, “तो तुम लोग सच नहीं बताने वाले. ठीक है. अब ऐसा करो कि अपने पेट के बल जमीन पर लेट जाओ. मैं अपनी ऑंखें बंद कर तुम्हारे दिमाग में चल रही बातें पढ़ता हूँ. फिर मैं सबको बता दूंगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा?”

दोनों व्यक्तियों ने वैसा ही किया. बीरबल आँखें बंद कर कुछ देर ध्यान लगाने का स्वांग करने लगा. फिर आँखें खोलकर एक सैनिक को बोला, “सैनिक! जाओ और नौकर का गला काट दो.”

सैनिक को समझ नहीं आया कि किसका गला काटे? लेकिन बीरबल का आदेश पाकर वह तलवार हाथ में लिए दोनों व्यक्तियों की ओर बढ़ा. जैसे ही वह उनके करीब पहुँचा, पहला व्यक्ति उठा और अकबर के पैरों पर जाकर गिर पड़ा. वह माफ़ी मांगते हुए बोला, “मुझे माफ़ कर दें हुज़ूर! मैंने इस आदमी की दौलत चुराई है. मैं मालिक नहीं हूँ. मैं नौकर हूँ.”

इस तरह बीरबल ने अपनी अक्लमंदी से झूठ और सच का पता लगा लिया और ईनाम का हक़दार बना.


दोस्तों, आशा है आपको ये “Master And Servant Akbar Birbal Story In Hindi“ पसंद आयी होगी. आप इसे Like कर सकते हैं और अपने Friends के साथ Share भी कर सकते हैं. मज़ेदार “Akbar Birbal Ke Kisse” पढ़ने के लिए हमें Subscribe ज़रूर कीजिये. Thanks.        

Read More Hindi Stories :

Leave a Comment