माता पिता की सेवा पर कहानी | Mata Pita Ki Seva Par Kahani

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम माता पिता की सेवा पर कहानी (Mata Pita Ki Seva Par Kahani) शेयर कर रहे हैं. यह कहानी यह सीख देती है कि चाहे  किसी व्यक्ति में कितने ही गुण हों, गुणवान वही होता है, जो अपने माता-पिता की सेवा करता है. पढ़िए पूरी कहानी :  

Mata Pita Ki Seva Par Kahani

Mata Pita Ki Seva Par Kahani
Mata Pita Ki Seva Par Kahani

गाँव के पनघट पर चार औरतें पानी भरने आई. पानी भरते-भरते वे एक-दूसरे से बातें करने लगी. चारों के एक-एक पुत्र थे. बातों-बातों में उन्होंने अपने पुत्रों के गुणों का बखान करना प्रारंभ कर दिया. पहली औरत बोली, “मेरा पुत्र बहुत सुरीली बांसुरी बजाता है. जो भी उसकी बांसुरी सुनता है, मंत्रमुग्ध हो जाता है. मैं ऐसा गुणवान पुत्र पाकर बहुत प्रसन्न हूँ.”

>

दूसरी औरत बोली, “मेरा पुत्र बहुत बड़ा पहलवान है. इस गाँव में ही नहीं, बल्कि दूर-दूर के गाँव में उसकी बहादुरी का डंका बजता हैं. ऐसा गुणवान पुत्र भगवान सबको दे.”

तीसरी औरत कहाँ पीछे रहती, वह बोली, “मेरा पुत्र कुशाग्र बुद्धि है. उससे अधिक बुद्धिमान इस पूरे गाँव में नहीं. लोग अपनी समस्यायें लेकर उसके पास आते हैं. मैं ऐसा पुत्र पाकर धन्य हो गई.”

चौथी औरत ने सबकी बातें सुनी, लेकिन कहा कुछ भी नहीं. इस पर वे औरतें उससे कहने लगी, “बहन! तुम भी तो कुछ कहो ना. तुम्हारे पुत्र में क्या गुण है? कोई न कोई गुण तो उसमें अवश्य होगा.”

वह औरत बोली, “क्या कहूं बहनों? मेरे पुत्र में तुम्हारे पुत्रों की तरह कोई गुण नहीं है.”

उसकी बात सुनकर तीनों औरतों ने गर्व ने अपना सिर उठा लिया. कुछ देर में सबने पानी भर लिया और वापस जाने के लिए अपना-अपना घड़ा उठाने लगी. उसी समय पहली औरत का पुत्र हाथ में बांसुरी लिए वहाँ से गुजरा. उसने देखा कि उसकी माँ पानी से भरा घड़ा नहीं उठा पा रही है. किंतु वह यह अनदेखा कर बांसुरी बजाते हुए वहाँ से चला गया.

दूसरी औरत का पहलवान पुत्र कुछ ही दूरी पर मुद्गर घुमा रहा था. उसकी माँ कुएं से घड़ा उठाकर जैसे ही उतरी, उसका पैर फिसल गया. किसी प्रकार वह संभल गई, किंतु पहलवान पुत्र अपनी माँ को नज़र उठा कर देखने के बाद भी उसके पास नहीं आया और अपनी कसरत में लगा रहा.

तीसरी औरत का पुत्र भी वहाँ से किताब पढ़ते हुए निकला. उसकी माँ ने उससे कहा, “पुत्र! मैं दोनों हाथों से घड़ा पकड़े हुए हूँ. ये रस्सी जरा मेरे कंधे पर डाल दे.” लेकिन वह अपनी माँ की बात अनसुनी कर वहाँ से चला गया.

तभी चौथी औरत का पुत्र वहाँ आया. अपनी माँ के सिर पर घड़ा देख वह उसके पास गया और उसके सिर से घड़ा उतारकर अपने सिर पर रखकर चलने लगा.

कुएं के पास बैठी एक बुढ़िया यह सब देख-सुन रही थी. वह बोल पड़ी, “मुझे तो यहाँ बस एक ही गुणवान पुत्र नज़र आ रहा है – वही जो अपने सिर पर घड़ा लिए जा रहा है. माता-पिता की सेवा करने वाले पुत्र से गुणवान पुत्र भला कौन हो सकता है. ”

सीख (Moral of the story)

गुणवान वही है, जो अपने माता-पिता की सेवा करे और साथ ही सबकी सहायता के लिए तत्पर रहे. 


Friends, आपको ये ‘Mata Pita Ki Seva Par Kahani‘ कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. ये Hindi Kahani पसंद आने पर Like और Share करें. ऐसी ही और  Stories In Hindi पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.

 “शिक्षाप्रद कहानियों” का पूरा संकलन यहाँ पढ़ें : click here

अन्य हिंदी कहानियाँ :

हमेशा सीखते रहो : प्रेरणादायक कहानी

समस्या का दूसरा पहलू : प्रेरणादायक कहानी 

बंद मुट्ठी खुली मुट्ठी : शिक्षाप्रद कहानी

अहंकार का फल शिक्षाप्रद कहानी

 

Leave a Comment