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मेहनत की कमाई मणिपुरी लोक कथा | Mehnat Ki Kamai Manipuri Lok Katha

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इस पोस्ट में हम मेहनत की कमाई मणिपुरी लोक कथा Mehnat Ki Kamai Manipuri Lok Katha, Manipur Ki Lok Katha शेयर कर रहे हैं। Mehnat Ki Kamai Folk Tale Of Manipur In Hindi भिखारी परिवार में ब्याह दी गई तोम्बी नामक अनाथ लड़की की कहानी है। कैसे वह अपनी सूझबूझ से घर में सबको मेहनत का महत्व सिखलाती है और घर का कायाकल्प करती है, यही इस कहानी में वर्णन किया गया है। पढ़िए पूरी कहानी :

Mehnat Ki Kamai Manipuri Lok Katha

Mehnat Ki Kamai Manipuri Lok Katha

मणिपुर में लोकटक झील के तट पर एक टूटी फूटी झोपड़ी थी, उसमें तोमचा नामक एक वृद्ध व्यक्ति अपने चार बेटों के साथ रहता था। तोमचा की पत्नी की सालों पहले मृत्यु हो चुकी थी। घर में कोई स्त्री नहीं थी, जो घर की देखभाल कर सकें। 

तोमचा के चारों बेटों को कोई काम नहीं आता था। वे पिता के साथ भीख मांग कर अपना जीवन यापन करते थे। पांचों सुबह-सुबह अपना-अपना कटोरा उठाकर गांव में निकल जाते और दिन भर भीख मांग कर शाम को लौटते। झोपड़ी में पांच चूल्हे थे। पांचों अपने-अपने कटोरे का अनाज चूल्हे में भूलते और खा कर सो जाते। जीवन इसी तरह व्यतीत हो रहा था।

एक दिन तोमचा को न जाने क्या विचार आया कि उसने अपने बड़े बेटे के विवाह की ठान ली। उसके लिए दुल्हन की खोज शुरू हुई, लेकिन भिखारी घर में कोई लड़की देना नहीं चाहता था। काफी खोजबीन के बाद उन्हें एक लड़की मिली। नाम था – तोम्बी। 

तोम्बी एक अनाथ लड़की थी, जो माता पिता के गुजर जाने के बाद से अपने मामा के घर रहा करती थी। मामा ने पीछा छुड़ाने के लिए उसका विवाह तोमचा के बड़े बेटे से करवा दिया।

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तोम्बी विवाह के बाद अपने ससुराल आई, तो वहां का बुरा हाल देखकर अपना सिर पीट लिया। पूरा घर धूल, जालों और गंदगी से भरा हुआ था। जैसे ही उसका ससुर, पति और देवर भीख मांगने गए, तोम्बी काम में जुट गई। झाड़ बुहार कर उसने पूरा घर साफ किया। उसने घर के पांच चूल्हों में से चार चूल्हे तोड़ दिए। फिर वह पड़ोस में गई और उनसे थोड़ा सा चांवल मांग लाई। उसकी बाड़ी से उसने कुछ टमाटर भी तोड़ लिए।

घर आकर उसने चूल्हे में चांवल बनाया और टमाटर की चटनी भी पका ली।

शाम को तोमचा चारों बेटे के साथ वापस लौटा। घर पहुंचते ही खाने की खुशबू ने सबका स्वागत किया। तोम्बी ने उन्हें हाथ मुंह धोने को कहा और सबके लिए भोजन परोस दिया। इतना स्वादिष्ट भोजन उन लोगों ने पहले कभी नहीं किया था। सबने पेट भरकर भोजन किया। भोजन के बाद जब वे उठे, तो तोमचा की दृष्टि चार टूटे हुए चूल्हों पर पड़ी।

वह गुस्से में तोम्बी पर बरस पड़ा। उसके उसे खूब खरी खोटी सुनाई कि वह सारे भाइयों में फूट डलवाना चाहती है। तोम्बी बोली कि वह बस घर को साफ सुथरा करना चाहती थी। भाइयों में फूट डालने का उसका कोई इरादा नहीं था। वैसे भी अब भोजन बनाने की जिम्मेदारी उसकी है। इसलिए चार चूल्हों की जरूरत नहीं है। अगर वे सब फिर से खुद भोजन बनाना चाहते हैं, तो वह चार चूल्हे बना देगी।

तोम्बी के हाथ का स्वादिष्ट भोजन सब खा चुके थे। इसलिए उन्होंने भोजन बनाने की जिम्मेदारी उसे ही सौंप दी। तोम्बी ने भीख के अनाज से पड़ोसी का उधार चुका दिया और अगले दिन के लिए थोड़ा अनाज बचा लिया।

अगले दिन तोम्बी ने अपने ससुर से कहा कि वह जंगल से थोड़ी लकड़ियां काटकर ले आएं, ताकि वह उन्हें जलाकर खाना बना सके।

चारों लड़के उस पर भड़कने लगे कि वह उन सब हृष्ट पुष्ट लड़कों के होते हुए उनके पिता से काम करवा रही है। तब तोम्बी बोली कि जब आप सब इतने हृष्ट पुष्ट हैं, तो जंगल से लकड़ियां काटकर उसे बाजार में बेच क्यों नहीं आते।

उस दिन चारों भाइयों ने जंगल से लकड़ियां काटी और उसे बाजार में बेच दिया। बदले में उन्हें पैसे मिले। अपनी मेहनत की कमाई देखकर वे सब बहुत खुश हुए। उन्होंने घर आकर पैसे तोम्बी को दिए। वह भी बहुत खुश हुई। और उस दिन और स्वादिष्ट भोजन उन्हें खिलाया।

उस दिन के बाद से चारों लड़के लड़कियां काटकर बाजार में बेचने लगे। तोम्बी घर को व्यवस्थित ढंग से रखने लगी। अपनी सूझबूझ से वह चार पैसे भी बचा लेती और थोड़ा अनाज भी। पड़ोसन के करघे से उसने सुंदर मेखला बनाई और उसे बेचकर कुछ पैसे कमा लिए। उन पैसों से उसने घर के लिए जरूरी सामान खरीदा।

तोम्बी की सूझबूझ और सब की मेहनत से धीरे-धीरे घर की दशा बदलने लगी। उसने अपने ससुर के लिए गांव में ही चाय की दुकान खोल ली। घर में खाली समय में वह करघे पर कपड़ा बुनने लगी। उसके पति और अन्य भाइयों ने लकड़ी की टाल खोल ली। 

समय बीतता गया और वे तरक्की करते गए। जो भिखारी थे, आज गांव के प्रसिद्ध व्यापारी बन गए। तोम्बी की सूझबूझ और मेहनत से पूरे घर में खुशहाली छा गई। 

तोमचा इतनी समझदार बहू पाकर बहुत खुश था और उसकी तारीफ करते हुए हमेशा कहता कि भगवान ऐसी गुणी बहू सबको दे।

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