मेहनती लकड़हारा की कहानी (Mehnati Lakadhara Ki Kahani) Hardworking Woodcutter Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।
Mehnati Lakadhara Ki Kahani
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एक घने जंगल के किनारे पर बसे छोटे से गाँव में एक मेहनती आदमी रहता था। उसका नाम रामू था। एक दिन उसे जंगल में लकड़ी काटने का काम मिला। वह बहुत खुश हुआ क्योंकि उसे मेहनत करना पसंद था और उसे अपने काम में निपुणता दिखाने का एक मौका मिल गया था।
पहले दिन रामू बड़े उत्साह और जोश के साथ जंगल में गया। उसकी कुल्हाड़ी नई थी और उसकी धार तेज थी। उसने पूरे दिन मेहनत की और आठ पेड़ काटे। शाम को जब वह गाँव लौटा तो सभी ने उसकी तारीफ की। लोग कह रहे थे, “रामू, तुमने तो कमाल कर दिया! आठ पेड़ एक दिन में काट लेना आसान काम नहीं है।”
रामू को ये सुनकर बहुत गर्व हुआ। उसने सोचा कि अगर वह इसी तरह मेहनत करता रहा, तो वह और भी ज्यादा पेड़ काट सकता है और अच्छी कमाई कर सकता है। अगले दिन वह फिर से जंगल में गया, लेकिन इस बार उसने देखा कि पेड़ काटने में पहले जैसा मजा नहीं आ रहा है। कुल्हाड़ी चलाने में उसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी। फिर भी उसने मेहनत जारी रखी और इस दिन उसने पाँच पेड़ काटे।
जब वह गाँव लौटा तो वह थोड़ा थका हुआ और परेशान था। गाँव वालों ने फिर भी उसकी तारीफ की, लेकिन इस बार रामू के चेहरे पर पहले जैसी खुशी नहीं थी। उसने सोचा कि शायद वह थक गया है और अगले दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा।
तीसरे दिन वह फिर से जंगल में गया, लेकिन इस बार उसका हाल और भी बुरा था। पेड़ काटने में उसे बहुत मेहनत करनी पड़ी और वह सिर्फ दो पेड़ ही काट सका। अब वह सच में चिंतित हो गया। वह सोचने लगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। पहले दिन तो उसने आसानी से आठ पेड़ काट लिए थे, फिर अब इतनी कठिनाई क्यों हो रही है?
चौथे दिन जब वह जंगल में गया, तो उसकी हालत और भी खराब हो गई। उसने पूरे दिन में सिर्फ एक ही पेड़ काटा। अब उसकी हिम्मत टूट चुकी थी और वह बेहद उदास हो गया। वह जंगल में ही बैठ गया और सोचने लगा कि आखिर क्या गलती हो रही है।
उसी समय उसका मालिक, जो जंगल में काम की देखरेख करने आया था, ने रामू को उदास बैठे देखा। उसने पास आकर पूछा, “रामू, क्या हुआ? तुम इतने उदास क्यों हो?”
रामू ने अपनी स्थिति बताते हुए कहा, “मालिक, पहले दिन मैंने आठ पेड़ काटे थे। लेकिन अब मेरी हालत ऐसी हो गई है कि मैं सिर्फ एक ही पेड़ काट पा रहा हूँ। मेरी मेहनत में तो कोई कमी नहीं है, फिर भी ऐसा क्यों हो रहा है?”
मालिक ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर मुस्कराते हुए पूछा, “रामू, क्या तुमने अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज की है?”
रामू ने हैरानी से कहा, “नहीं, मालिक। मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया।”
मालिक ने समझाते हुए कहा, “देखो रामू, हर काम में मेहनत के साथ-साथ समझदारी की भी जरूरत होती है। अगर तुमने अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज नहीं की है, तो पेड़ काटना मुश्किल हो जाएगा, चाहे तुम कितनी भी मेहनत कर लो। तुम्हें समय-समय पर अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करनी चाहिए, ताकि तुम्हारी मेहनत का पूरा फल मिल सके।”
रामू ने मालिक की बात समझी और तुरंत अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करने लगा। उसने सोचा कि वह केवल मेहनत ही कर रहा था, लेकिन उसने यह ध्यान नहीं दिया कि उसकी कुल्हाड़ी की धार धीरे-धीरे कुंद हो रही थी। धार तेज करने के बाद रामू ने अपनी कुल्हाड़ी की चमक देखी और उसे लगा जैसे उसकी कुल्हाड़ी नई हो गई हो।
अगले दिन जब वह फिर से जंगल में गया, तो उसने पहले दिन की तरह ही उत्साह के साथ काम किया। इस बार उसने बिना किसी मुश्किल के आठ पेड़ काट लिए। अब उसे समझ आ गया था कि सही तरीके से और सही दिशा में मेहनत करना कितना जरूरी है।
इस प्रकार, रामू ने न केवल अपनी मेहनत से सफलता हासिल की, बल्कि एक महत्वपूर्ण सीख भी कि मेहनत और समझदारी के साथ किए गए काम का फल हमेशा मीठा होता है।
सीख
- सुनियोजित तरीके से कार्य करें।
- सही दिशा और सही तरीके से मेहनत करें।
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