Zen Katha

गायब चाँद ज़ेन कथा | Missing Moon Zen Story In Hindi

गायब चाँद ज़ेन कथा (Missing Moon Zen Story In Hindi) Gayab Chand Zen Katha 

ज़ेन कथाएँ सादगी में गहन सत्य को उजागर करती हैं। “गायब चाँद” ऐसी ही एक कथा है, जो एक शिष्य की आध्यात्मिक खोज और उसके गुरु की सूक्ष्म शिक्षा के माध्यम से जीवन के शाश्वत सवालों को छूती है। यह कहानी हमें बताती है कि सत्य हमेशा हमारे सामने है, बस उसे देखने के लिए मन के बादलों को हटाना होता है। एक चाँद, कुछ बादल, और गुरु-शिष्य का संवाद—इस छोटी सी कहानी में छिपा है आत्म-जागरूकता का गहरा पाठ।

Missing Moon Zen Story In Hindi 

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Missing Moon Zen Story In Hindi

हिमालय की तलहटी में, जहाँ हवा में सनातन शांति की सुगंध तैरती थी, एक प्राचीन ज़ेन मठ बसा था। यह मठ न तो बहुत बड़ा था, न ही वैभवशाली, पर इसकी सादगी में एक ऐसी गहराई थी जो हर आने वाले को अपनी ओर खींच लेती थी। मठ के चारों ओर बर्फीली चोटियाँ थीं, जो रात में चाँद की रोशनी में चमकती थीं, मानो स्वयं चाँद पृथ्वी पर उतर आया हो। इस मठ में रहते थे गुरु शिनरिन, जिनका नाम दूर-दूर तक उनके गहन ज्ञान और सरल स्वभाव के लिए जाना जाता था। उनके शिष्य, जो दुनिया के कोने-कोने से आए थे, उनके कथनों में छिपे सत्य को खोजने की लालसा रखते थे।

इन शिष्यों में एक था काइतो, एक युवा जो जापान के एक छोटे से गाँव से आया था। काइतो का मन बेचैन था। वह बचपन से ही सवालों का पीछा करता था—जीवन क्या है? सत्य क्या है? आत्मा का स्वरूप क्या है? इन सवालों ने उसे किताबों से लेकर तीर्थस्थानों तक खींचा, लेकिन जवाब कहीं नहीं मिला। जब उसने गुरु शिनरिन के बारे में सुना, तो उसने तय किया कि वह उनके पास जाएगा, शायद वहाँ उसे अपने सवालों का जवाब मिले।

काइतो मठ में कई महीनों से था। वह रोज़ सुबह ध्यान करता, मठ की सफाई करता, और गुरु के साथ समय बिताता। लेकिन उसका मन अभी भी स्थिर नहीं था। वह चाहता था कि गुरु उसे कोई गहरा रहस्य बताएँ, कोई ऐसी बात जो उसके सारे सवालों को एक झटके में खत्म कर दे। लेकिन गुरु शिनरिन केवल मुस्कुराते और कहते, “काइतो, धैर्य रखो। सत्य तुम्हारे सामने है, बस उसे देखने की आँख चाहिए।”

एक रात, आकाश में पूर्णिमा थी। चाँद इतना चमकीला था कि मठ के बगीचे में हर पत्ती, हर फूल उसकी रोशनी में नहाया हुआ लग रहा था। काइतो अपने कमरे की खिड़की से चाँद को देख रहा था। उसका मन उस रात और भी बेचैन था। वह सोच रहा था, “यह चाँद इतना सुंदर है, लेकिन यह भी तो एक दिन ढल जाएगा। क्या इसकी सुंदरता भी क्षणिक है? क्या संसार में कुछ भी स्थायी नहीं?” ये विचार उसके मन में तूफान की तरह उठ रहे थे।

अचानक, एक काला बादल आया और चाँद को ढक लिया। चाँद की रोशनी गायब हो गई, और बगीचा अंधेरे में डूब गया। काइतो का मन और उदास हो गया। वह सोचने लगा, “यह चाँद भी कितना नश्वर है। एक छोटा सा बादल इसे छिपा सकता है। तो फिर सत्य क्या है, जो कभी न छिपे?” वह अपने सवालों का बोझ लिए गुरु शिनरिन के पास गया।

गुरु उस समय मठ के बरामदे में बैठे थे, एक छोटे से मिट्टी के दीये की रोशनी में। उनके चेहरे पर हमेशा की तरह शांति थी, मानो संसार की कोई भी हलचल उन्हें छू न सके। काइतो ने झुककर प्रणाम किया और कहा, “गुरु, मेरा मन बहुत व्याकुल है। मैं चाँद को देख रहा था। वह इतना सुंदर था, लेकिन एक बादल ने उसे ढक लिया। अब वह गायब है। क्या संसार में कुछ भी स्थायी नहीं? क्या सत्य भी बादलों की तरह आता-जाता रहता है?”

गुरु शिनरिन ने काइतो की ओर देखा और हल्के से मुस्कुराया। उनकी आँखों में एक गहरी चमक थी, जैसे वह काइतो के मन के तूफान को देख रहे हों। उन्होंने कहा, “काइतो, चलो, बगीचे में चलते हैं।” काइतो थोड़ा हैरान हुआ, क्योंकि रात गहरी हो चुकी थी, और बाहर अंधेरा था। लेकिन उसने गुरु का अनुसरण किया।

बगीचे में पहुँचकर गुरु एक पत्थर की बेंच पर बैठ गए। आकाश में बादल अभी भी चाँद को ढके हुए थे। चारों ओर सन्नाटा था, केवल दूर कहीं एक झरने की मधुर आवाज़ सुनाई दे रही थी। गुरु ने काइतो से कहा, “बैठो, और मुझे बताओ, तुम क्या देख रहे हो?”

काइतो ने आसमान की ओर देखा और कहा, “गुरु, मैं कुछ नहीं देख रहा। चाँद बादलों में छिप गया है। केवल अंधेरा है।”

गुरु ने फिर पूछा, “क्या तुम्हें यकीन है कि चाँद गायब हो गया है?”

काइतो ने भ्रमित होकर कहा, “हाँ, गुरु। बादल उसे ढक रहे हैं। वह दिखाई नहीं दे रहा।”

गुरु ने एक गहरी साँस ली और कहा, “काइतो, चाँद हमेशा वहाँ है, चाहे तुम उसे देखो या न देखो। बादल केवल तुम्हारी आँखों को ढक रहे हैं, चाँद को नहीं।”

काइतो चुप हो गया। गुरु के शब्द उसके मन में गूँज रहे थे, लेकिन वह अभी भी समझ नहीं पा रहा था। उसने कहा, “गुरु, लेकिन अगर मैं उसे देख नहीं सकता, तो वह मेरे लिए गायब ही है। सत्य भी क्या ऐसा ही है? क्या वह भी मेरी आँखों से छिपा हुआ है?”

गुरु ने हँसते हुए कहा, “काइतो, तुम्हारा मन बादलों से भरा है—सवालों के बादल, शंकाओं के बादल, अपेक्षाओं के बादल। ये बादल तुम्हें सत्य को देखने से रोक रहे हैं। सत्य चाँद की तरह है। वह हमेशा वहाँ है, लेकिन तुम उसे अपने मन के बादलों के कारण नहीं देख पाते।”

काइतो ने पूछा, “तो मैं इन बादलों को कैसे हटाऊँ, गुरु?”

गुरु ने कहा, “बादलों को हटाने की कोशिश मत करो। उन्हें देखो। उन्हें समझो। जब तुम उनके साथ रहना सीख जाओगे, वे स्वयं बिखर जाएँगे। ध्यान करो, काइतो। अपने मन को शांत करो। जब मन शांत होगा, तब चाँद अपने आप दिखाई देगा।”

गुरु के शब्द काइतो के मन में गहरे उतर गए। वह चुपचाप बगीचे में बैठा रहा। रात गहरी होती जा रही थी, और बादल धीरे-धीरे हटने लगे। अचानक, एक हल्की चाँदनी बगीचे पर पड़ी। काइतो ने ऊपर देखा—चाँद फिर से चमक रहा था, पहले से भी अधिक सुंदर। उसका मन एक पल के लिए शांत हो गया। उसे लगा कि गुरु के शब्द अब उसके भीतर जड़ें जमा रहे हैं।

अगले दिन, काइतो सुबह जल्दी उठा और ध्यान करने बैठ गया। उसने अपने सवालों को एक तरफ रख दिया और केवल अपनी साँसों पर ध्यान देना शुरू किया। उसका मन बार-बार भटकता, लेकिन वह उसे वापस लाता। कई दिन, कई सप्ताह बीत गए। काइतो का मन धीरे-धीरे शांत होने लगा। वह अब चाँद को केवल आकाश में ही नहीं, बल्कि अपने भीतर भी देखने लगा था।

एक रात, जब वह फिर से बगीचे में गुरु के साथ बैठा था, उसने कहा, “गुरु, मुझे लगता है कि मैं समझने लगा हूँ। चाँद हमेशा वहाँ है, और सत्य भी। मेरे मन के बादल अब कम हो रहे हैं।”

गुरु ने मुस्कुराकर कहा, “काइतो, यह केवल शुरुआत है। चाँद को देखना आसान है, लेकिन उसे हर पल अपने भीतर रखना कठिन। सत्य को जीने के लिए, हर क्षण को जीने की कला सीखो।”

काइतो ने उस रात चाँद को फिर से देखा। बादल फिर से आ गए थे, लेकिन इस बार वह उदास नहीं हुआ। वह जानता था कि चाँद वहाँ है, और वह उसे अपने मन की आँखों से देख सकता है। उसने गुरु को प्रणाम किया और अपने ध्यान में लौट गया, इस बार एक नई शांति के साथ।

शिक्षा

यह कथा हमें सिखाती है कि सत्य हमेशा हमारे सामने होता है, लेकिन हमारा मन विचारों, शंकाओं और इच्छाओं के बादलों से ढका रहता है। ध्यान और आत्म-जागरूकता के माध्यम से हम इन बादलों को हटा सकते हैं और सत्य को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। जैसे चाँद बादलों के पीछे भी मौजूद रहता है, वैसे ही सत्य हमारे भीतर हमेशा विद्यमान है।

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