मीठी सारंगी : हिंदी कहानी कक्षा २ | Mithi Sarangi Hindi Story Class 2 NCERT

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम हिंदी कहानी ‘मीठी सारंगी’ (Mithi Sarangi Hindi Story Class 2 NCERT) शेयर कर रहे हैं. कक्षा २ की ये मजेदार कहानी (Funny Story In Hindi) भोला नाम के एक मूर्ख व्यक्ति की है, जो गाँव में आये सारंगी वाले की सारंगी सुनने जाता है. वहाँ क्या होता है? जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी :

Mithi Sarangi Hindi Story Class 2 NCERT Rimjhim

Mithi Sarangi Hindi Story Class 2 NCERT
Mithi Sarangi Hindi Story Class 2 NCERT

गाँव में एक बार एक सारंगी वाला आया. रात में वह वहीं ठहरा. खा-पीकर वह चौपाल पर बैठ गया और सारंगी बजाने लगा. सारंगी की मीठी धुन सुनकर गाँव के लोग चौपाल पर इकट्ठे हो गए और वहीं बैठकर सारंगी सुनने लगे.

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वे सारंगी वाले की कला से प्रभावित थे. सब कह रहे थे – कितना आनंद आ रहा है. ऐसे सारंगी आज तक नहीं सुनी. कितनी मीठी सारंगी है?

गाँव के लोगों में एक भोला नाम का व्यक्ति भी था. वो चुपचाप बैठे सारी बातें सुन रहा था. वह सोचने लगा – कैसे इन लोगों को ये सारंगी मीठी लग रही है. मेरा मुँह तो मीठा हुआ ही नहीं. ये सब झूठ कह रहे हैं.

कुछ देर वह अपने स्थान पर ही बैठा रहा. फ़िर सोचा कि हो सकता है सारंगी वाले के पास बैठने से मेरा मुँह मीठा हो जाये. वह अपने स्थान से उठा और सारंगी वाले के पास जाकर बैठ गया.

गाँव के लोग रात के तीन-चार बजे तक सारंगी सुनते रहे. जब सारंगी वाले ने सारंगी बजाना बंद किया, तो वे बोले – आपकी सारंगी बहुत ही मीठी है. हम इसका और आनंद लेना चाहते हैं. आप हमारे गाँव में कुछ दिन और ठहरिये.

गाँव वालों की बातें भोला के पल्ले नहीं पड़ी. वह झुंझलाते हुए सोचने लगा – सारे गाँव के लोग तो एक साथ झूठ नहीं बोल सकते. सारंगी ज़रूर मीठी है. शायद, मैंने उसका स्वाद ठीक तरह से लिया नहीं. इसलिए मुझे सारंगी मीठी नहीं लगी.

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रात ज्यादा हो गई थी. इसलिए गाँव के लोग घर ना जाकर चौपाल पर ही सो गए. सारंगी वाला भी थक गया था, सारंगी पर खोली चढ़ाकर उसने उसे अपने सिरहाने रख लिया और गहरी नींद में सो गया.

इधर भोला को अब तक चैन ना आया? वह अब तक मीठी सारंगी के बारे में सोच रहा था. सबके सो जाने के बाद वह उठा और चुपके से सारंगी वाले के पास जाकर उसके सिरहाने से सारंगी उठा ली.

धीरे-धीरे उसने सारंगी का खोल हटाया और उसका स्वाद लेने के लिए उसे जीभ से चाटकर देखा. उसे कुछ स्वाद नहीं आया. तब वह सारंगी को हिलाने लगा. फ़िर उसके छेद के पास मुँह ले गया और उसे अपने मुँह में उड़ेलने लगा.

लेकिन, सारंगी से कोई मीठी बूंद नहीं निकली. उसकी झुंझलाहट बढ़ गई. वह सोचने लगा – ये सारे गाँव वाले बेवकूफ हैं. कहाँ से इन्हें सारंगी मीठी लग रही है?

वह सारंगी लेकर गाँव के बाहर चला गया और उसे वहाँ फेंककर चौपाल पर वापस आ गया. वह मन ही मन सबकी बेवकूफ़ी पर हँस रहा था. कुछ देर बाद उसे नींद आ गई और वो सो गया.

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सुबह हुई और गाँव वाले जाग गए. सारंगी वाला भी जाग गया. उसने अपने सिरहाने पर देखा, तो सारंगी नहीं दिखी. वह परेशान हो गया. उसने गाँव वालों को ये बात बताई, तो सब बहुत दुखी हुए.

वे कहने लगे- कितनी मीठी सारंगी थी. पता नहीं कौन ले गया उसे?

ये सुनकर भोला को गुस्सा आ गया. वह बोला- कहाँ से सारंगी मीठी थी? मैंने तो उसे हर जगह से चाटकर देखा. मुझे तो मीठी नहीं लगी. झूठ बोलते तो तुम सब.

भोला की बात पर लोग अचरज में पड़ गए. उन्होंने उसे पूछा – क्या तुम्हें पता है कि सारंगी कहाँ है?

भोला ने उन्हें बताया – मैं उस सारंगी को गाँव के बाहर फेंक आया हूँ. वहीं पड़ी होगी.

लोग भोला की बात सुनकर अपना सिर पीटने लगे.

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