ईमानदारी की ३ सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ | 3 Moral Stories On Honesty In Hindi

Short Moral Story On Honesty In Hindi : Friends, आप सबने सुना होगा कि ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है (Honesty is the Best Policy). बेइमानी की राह पर चलकर क्षणिक सुख और सफ़लता तो प्राप्त हो सकती है, किंतु अंततः उसका फल बुरा ही होता है और जीवन में उसका बुरा फ़ल भोगना ही पड़ता है. वहीं ईमानदारी की राह मुश्किल अवश्य होती है, लेकिन जीवन के आदर्शों को उच्च रख यह अंतः हमें सुखद परिणाम और सफ़लता की मंज़िल पर पहुँचाती हैं. इसलिए सदा ईमानदारी की राह पर चले. 

आज इस लेख में हम आपके साथ ईमानदारी पर ३ कहानियाँ शेयर कर रहे हैं. पढ़िए  Honesty Is The Best Policy Story In Hindi :

Story On Honesty In Hindi 1# बेईमान दूधवाला 

Moral Story Honesty In Hindi
Moral Story On Honesty In Hindi : Image Source : Facebook

Dishonest Milkman Moral Story On Honesty In Hindi : एक गाँव में एक दूधवाला रहता है. उसके पास ४ गायें थी, जिनका दूध निकाल कर वह शहर जाकर बेचा करता था.

शहर जाने के लिए दूधवाले को गाँव की नदी पार करनी पड़ती थी. वह नाव से नदी पार कर शहर जाता था और अपने ग्राहकों को दूध बेचकर नाव से ही वापस गाँव आ जाता था.

दूधवाला एक बेईमान व्यक्ति था. नदी पार करते समय वह रोज़ दूध में नदी का पानी मिला देता और पानी मिला दूध अपने ग्राहकों को बेचा करता था. इस तरह वह बहुत मुनाफ़ा कमाया करता था.

एक दिन ग्राहकों से दूध के पैसे इकठ्ठे कर दूधवाला शहर के बाज़ार चला गया. कुछ ही दिनों में उसके बेटे का विवाह था. उसने बाज़ार से ढेर सारे कीमती कपड़े, गहनें और आवश्यक सामग्रियाँ ख़रीदी.

ख़रीददारी करते-करते उसे शाम हो गई. शाम को सारा सामान लेकर वह गाँव लौटने के लिए नाव से नदी पार करने लगा. नाव में लदे सामान का भार अधिक था, जिसे नाव झेल नहीं पाई और असंतुलित होकर पलट गई. दूधवाले ने जैसे-तैसे अपनी जान बचा ली. किंतु कीमती सामानों को नहीं बचा पाया. सारा सामान नदी की तेज धार में बह गया

कीमती सामान से हाथ धो देने के बाद दूधवाला दु:खी हो गया और नदी किनारे बैठकर जोर-जोर से विलाप करने लगा. तभी नदी से एक आवाज़ आई, “रोते क्यों हो भाई? तुमने वही गंवाया है, जो धोखा देकर कमाया था. दूध में पानी मिलाकर जो तुमने कमाया, वो पानी में ही चला गया. अब रोना बंद करो. ये तुम्हारी बेईमानी का फ़ल था.”

सीख- अपने काम में सदा ईमानदारी रखे. बेईमानी से कमाया धन कभी नहीं टिकता.


Story On Honesty In Hindi 2# लकड़हारा और कुल्हाड़ी 

Moral Story On Honesty In Hindi
Moral Story On Honesty In Hindi

The Woodcutter And The Axe Moral Story On Honesty In Hindi : बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में एक गरीब लकड़हारा अपने परिवार के साथ रहता था. वह रोज़ सुबह गाँव के समीप स्थित जंगल में जाकर लकड़ियाँ काटता और उसे बाज़ार में बेचकर पैसे कमाता था. इस तरह उसकी और उसके परिवार की गुजर-बसर चल रही थी.

एक दिन वह जंगल में नदी किनारे लगे एक पेड़ की लकड़ियाँ काट रहा था. अचानक उसकी कुल्हाड़ी उसके हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी. नदी गहरी थी, जिसमें उतरकर कुल्हाड़ी निकाल पाना लकड़हारे के लिए संभव नहीं था.

लकड़हारे के पास एक ही कुल्हाड़ी थी. उस कुल्हाड़ी के नदी में गिर जाने से वह परेशान हो गया कि अब वह अपनी जीविका कैसा चलायेगा. उसके पास जीविका चलाने का कोई और साधन नहीं था.

वह दु:खी होकर नदी किनारे खड़ा हो गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा कि वे उसकी कुल्हाड़ी किसी तरह उसे वापस दिला दें.

लकड़हारे की सच्चे मन से की गई प्रार्थना सुनकर भगवान प्रकट हुए. उन्होंने उससे पूछा, “पुत्र! तुम्हें क्या समस्या है?”

लकड़हारे ने कुल्हाड़ी नदी में गिरने की बात भगवान को बता दी और उनसे याचना की कि वे उसकी कुल्हाड़ी वापस दिला दें.

उसकी याचना सुनकर भगवान ने नदी के पानी में हाथ डालकर एक कुल्हाड़ी बाहर निकाली. वह कुल्हाड़ी चाँदी की थी. भगवान ने लकड़हारे से पूछा, “पुत्र! क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है.”

लकड़हारा बोला, “नहीं भगवन्, ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है.”

भगवान ने पुनः अपना हाथ पानी में डाला. इस बार उन्होंने जो कुल्हाड़ी निकाली, वो सोने की थी. उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “पुत्र! क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”

लकड़हारा बोला, “नहीं भगवन्, ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है.”

भगवान बोले, “इसे अच्छी तरह से देख लो. ये सोने की कुल्हाड़ी है. क्या वास्तव में ये तुम्हारी नहीं है?”

“नहीं भगवन्” लकड़हारा बोला, “सोने की इस कुल्हाड़ी से लकड़ियाँ नहीं कटती. ये मेरे किसी काम की नहीं है. मेरी कुल्हाड़ी तो लोहे की है.”

भगवान मुस्कुराये और फिर से पानी में हाथ डाल दिया. इस बार जो कुल्हाड़ी उन्होंने निकाली, वह लोहे की थी. वह कुल्हाड़ी लकड़हारे को दिखाते हुए भगवान ने पूछा, “पुत्र! क्या यही है तुम्हारी कुल्हाड़ी?”

इस बार कुल्हाड़ी देख लकड़हारा प्रसन्न हो गया और बोला, “भगवन्, यही मेरी कुल्हाड़ी है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.”

भगवान लकड़हारे की ईमानदारी देख बहुत प्रसन्न हुए और बोले, “पुत्र! मैं तुम्हारी ईमानदारी से बहुत अत्यंत प्रसन्न हूँ. इसलिए तुम्हें लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने और चाँदी की कुल्हाड़ी भी देता हूँ.”

यह कहकर भगवान अंतर्ध्यान हो गये. लकड़हारे अपनी ईमानदारी के कारण पुरुस्कृत हुआ.

सीख – सदा ईमानदार रहें. ईमानदारी सदा सराही जाती है.


Story On Honesty In Hindi 3# राजा और बीज

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The King And The Seed Moral Story On Honesty In Hindi : एक राजा के तीन पुत्र थे. वह वृद्ध हो चला था. इसलिए तीनों में से सबसे योग्य पुत्र के हाथों अपना राज-पाट सौंप देना चाहता था.

एक दिन उसने तीनों राजकुमारों की योग्यता की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें अपने पास बुलाया और उन्हें एक-एक बीज देकर कहा, “पुत्रों! मैं चाहता हूँ कि तुम तीनों इन बीजों को एक-एक गमले में लगाओ और एक वर्ष तक उसकी अच्छी तरह देख-रेख करो. एक वर्ष उपरांत तुम तीनों अपने-अपने गमले के साथ मेरे समक्ष उपस्थित होना. तुम अपने साथ क्या लेकर आते हो, वह देखकर मैं तय करूंगा कि तुममें से कौन मेरा राज-पाट संभालेगा.”

तीनों राजकुमारों ने राजा से वे बीज ले लिए और शाही बाग़ में जाकर अपने लिए एक-एक गमला चुनकर उनमें अपने-अपने बीज बो दिए. उस दिन के बाद से वे रोज शाही बाग़ में जाकर अपने बीजों की देखभाल करने लगे.

एक वर्ष पूर्ण होने के उपरांत राजा ने तीनों को अपने पास बुलवाया. तीनों अपना-अपना गमला लेकर राजा के पास पहुँचे. जहाँ दोनों बड़े राजकुमार प्रसन्न थे, वहीं सबसे छोटा राजकुमार उदास था.

राजा के कहने पर दोनों बड़े राजकुमारों ने बड़े गर्व से अपने द्वारा बड़े किये हुए पौधे राजा को दिखाये. किंतु छोटे राजकुमार ने खाली गमला राजा के सामने रख दिया और बोला, “पिताश्री! मैंने पूरे वर्ष बीज को पानी दिया. इसकी अच्छे तरीके से देख-भाल की. किंतु यह अंकुरित ही नहीं हुआ.”

राजा ने तीनों गमलों को देखा और बोला, “अब वह समय आ गया है कि मैं तुम्हें बता दूं कि इस राज्य की बाग़डोर मैं किसके हाथों सौंपने वाला हूँ.”

दोनों बड़े राजकुमार उत्साहित होकर राजा की ओर देखने लगे. लेकिन छोटे राजकुमार ने अपनी दृष्टि नीची कर ली. उसे पता था कि खाली गमला देख राजा उसे अपना उत्तराधिकारी नहीं बनायेंगे.

अगले की क्षण राजा ने घोषणा की, “इस राज्य की बागडोर मैं छोटे राजकुमार के हाथों सौंपता हूँ.”

यह सुन दोनों बड़े राजकुमार बोल पड़े, “पिताश्री! आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? हम आपके द्वारा दिए बीज से उत्पन्न पौधों के साथ उपस्थित हुए हैं और छोटे राजकुमार का गमला खाली है. फिर भी आपने हमें न चुनकर उसे अपना उत्तराधिकारी चुन लिया. ये तो अन्याय है.”

राजा मुस्कुराते हुए बोला, “पुत्रों! एक वर्ष पूर्व जब मैंने तुम तीनों को बीज दिए थे, तब मैंने तुम्हें ये नहीं बताया था कि वे बीज उबले हुए हैं. उन बीजों से पौधों का उगना तो संभव ही नहीं था. तुम दोनों ने असंभव को कैसे संभव कर दिखाया, ये मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है. तुम्हारे लाये गमलों में जो पौधे हैं, वे असल में उस बीज के हैं ही नहीं है, जो मैंने तुम्हें दिए थे. तुम दोनों झूठे हो. छोटा राजकुमार सच्चा और ईमानदार है. इसलिए मेरा उत्तराधिकारी बनने के योग्य है.”

इस तरह सच्चाई और ईमानदारी के पथ पर चलकर छोटा राजकुमार राजा बन गया और दोनों बड़े राजकुमार पछताते रह गये.

सीख – सदा सच्चे और ईमानदार रहे.  


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