जीवन की प्राथमिकतायें : प्रेरणादायक कहानी | Motivational Story About Priority Management In Hindi

Motivational Story About Priority Management In Hindi
Motivational Story About Priority Management In Hindi

Motivational Story About Priority Management In Hindi : एक व्यक्ति अपने जीवन में बहुत परेशान था. सब कुछ होने के बावजूद भी वह ख़ुश नहीं रह पता था. एक दिन वह अपने गुरूजी के पास गया और उन्हें अपनी समस्या बताते हुए बोला, “गुरूजी! आपने मुझे सफलता प्राप्ति ने लिए मेहनत और लगन से काम करने की सलाह दी थी. मैंने वैसा ही किया और आज मैं अपने जीवन में सफ़ल हूँ. मेरे पास गाड़ी, बंगला, पैसा और एशो-आराम के सारे साधन हैं. फिर भी मैं ख़ुश नहीं हूँ. मुझे लगता था कि सफ़लता प्राप्त कर लेने से सुकून भी मिल जायेगा. लेकिन मेरे जीवन में वो सुकून नहीं है. मैं ख़ुशी और सुकून से भरा जीवन चाहता हूँ गुरूजी. अब आप ही मेरा मार्गदर्शन करें.”

गुरूजी ने उसकी बात ध्यान से सुनी. फिर मुस्कुराते हुए घर के कमरे में चले गए. थोड़ी देर बाद जब वे बाहर आये, तो उनके हाथ में तीन गेंदे थी. एक गेंद कांच की, एक चीनी मिट्टी की और एक गेंद रबर की थी.

वे गेंदे उस व्यक्ति के हाथ में देकर वे बोले, “बेटा! मैं तुम्हारी समस्या का समाधान तुम्हें बताऊंगा. लेकिन उसके पहले तुम्हें एक छोटा सा काम देता हूँ. जो गेंदे मैंने तुम्हें दी हैं, उन्हें तुम अपने हाथों में लेकर एक के बाद एक इस तरह उछालते जाओ कि एक समय में कम से एक गेंद हवा में ज़रूर रहे.”

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व्यक्ति उन गेंदों को हवा में उछालने लगा. वह एक गेंद हवा में फेंकता, तो दो गेंद उसके हाथों में रहती. जब हवा में उछाली गई गेंद नीचे गिरने वाली होती, तो वह हाथ में रखी गेंदों में से एक को हवा में उछालकर उस गेंद को पकड़ लेता. ये सिलसिला इसी तरह चल रहा था. इस तरह गुरूजी के कहे अनुसार एक समय में एक गेंद हवा में अवश्य रहती थी.

कुछ देर बाद एक ऐसा समय आया जब चीनी मिट्टी की गेंद हवा में थी और कांच और रबर के गेंद उसके हाथ में थी. लेकिन इस बार उसका सही संतुलन नहीं बन पाया और हवा में उछाली गई चीनी मिट्टी की गेंद नीचे जमीन पर गिरने लगी. चीनी मिट्टी की गेंद सबसे ज्यादा कीमती थी. इसलिए व्यक्ति ने सोचा जब दो ही गेंद जमीन में गिरने से बचाई जा सकती है, तो चीनी मिट्टी और कांच की गेंद को बचाना ज्यादा सही है. उसने तुरंत अपने हाथ में से रबर की गेंद नीचे गिरा दी और चीनी मिट्टी की गेंद पकड़ ली.  

गेंद गिरने से वह दु:खी हो गया क्योंकि वह गुरूजी का बताया गया काम सही तरीके से पूरा नहीं कर पाया. उसने जब अपने गुरूजी को देखा, तो गुरूजी ने पूछा,  “बेटा! तुमने रबर की गेंद क्यों गिरा दी? चीनी मिट्टी की गेंद क्यों नहीं गिरने दी?“

उसने उत्तर दिया, ”गुरूजी! चीनी मिट्टी की गेंद सबसे ज्यादा कीमती थी, इसलिए मैंने उसे जमीन पर गिरने नहीं दिया. यदि कांच की या चीनी मिट्टी की गेंद जमीन पर गिर जाती, तो वे टूट जाती. लेकिन रबर की गेंद को नीचे गिरने से कोई नुकसान नहीं होता. इसलिए जब मुझे लगा कि मैं दो ही गेंद हाथ में संभाल पाऊंगा, तो मैंने चीनी मिट्टी और कांच की गेंदों को हाथों में संभाला और रबर की गेंद नीचे गिरा दी.”

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उसका उत्तर सुनकर गुरूजी बोले, “बेटा! जिस समस्या का समाधान ढूंढने तुम मेरे पास आये थे, उसका समाधान तो तुमने ख़ुद ही निकाल लिया. अब ज़रा गौर से सुनो. ये तीन गेंदे तुम्हारे जीवन की प्राथमिकताओं को दर्शाती हैं. चीनी मिट्टी की गेंद तुम और तुम्हारा परिवार है. कांच की गेंद तुम्हारी नौकरी, व्यवसाय, पैसे और जीवन के आवश्यक साधन है. रबर की गेंद वो विलासिता की चीज़ें हैं, जिनके बिना भी जीवन आराम के कट सकता है, जैसे महंगा मोबाइल, महंगी घड़ी और अन्य महंगे शौक. तुमने अपने जीवन में कांच और रबर की गेंद पर ध्यान दिया और नौकरी, घर, गाड़ी, बंगला, सुख-सुविधा के सारे साधनों के साथ अपने महंगे शौक भी पूरे किये. लेकिन चीनी मिट्टी की गेंद यानी ख़ुद पर, अपने परिवार पर ध्यान नहीं दिया. यही कारण है कि तुम्हें अपने जीवन में ख़ुशी और सुकून की कमी खल रही है. बेटा, जीवन में आगे बढ़ते समय अपनी प्राथमिकता तय करके रखो. जब भी जीवन की तीन गेंदों का संतुलन बिगड़ता सा महसूस हो, तो रबर की गेंद छोड़ो. जीवन में ख़ुशियाँ सदा बनी रहेंगी.

सीखजीवन में अक्सर ऐसा होता है कि काम और पैसे के पीछे भागते-भागते हम अपने लिए और अपने अपनों के लिए समय नहीं निकाल पाते. यही कारण है कि हम ख़ुशी और सुकून के लिए तरसते रह जाते हैं. जीवन में इतना तेज भी क्या भागना कि ख़ुशियाँ पीछे रह जाये. अपनी प्राथमिकताओं को समझो. आगे बढ़ना और सफ़ल होना जितना महत्त्वपूर्ण है, उतनी ही ख़ुशियाँ और सुकून भी है. उन्हें नज़रंदाज़ ना करें.

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