Motivational Story About Success In Hindi : कई बार हम जीवन में अटक कर रह जाते हैं. जीवन में न कुछ अच्छा हो रहा होता है, न ही बुरा. यूँ लगता कि जीवन की गाड़ी आगे बढ़ी ही नहीं रही है. हम जीवन से बहुत कुछ अपेक्षा करते हैं, हम बहुत आगे जाना चाहते हैं. लेकिन लगता है कि जीवन थम सा गया है.
ऐसी परिस्थिति हममें से कई लोगों की होती है. चाहते हुए भी कुछ हो नहीं पाता. ऐसे में क्या करें? ये कहानी (Story) शायद आपको कुछ समझा पाए. Success Mantra में पढ़िए दो तोतों की कहानी:
एक बार एक देश का राजा (King) दूसरे देश घूमने गया. उस देश में उसका बहुत आदर सत्कार किया गया. उसकी आवभगत में कोई कमी नहीं रखी गई. राजा अपनी इस ख़ातिरदारी से बहुत ख़ुश हुआ.
जब वह वापस अपने देश आने को हुआ, तो दूसरे देश के राजा ने इन्हें उपहार में दो तोते दिए. दोनों तोते दिखने में एक समान थे. तोतों को लेकर राजा ख़ुशी-ख़ुशी अपने देश वापस आ गया.
वापस आकर उसने उन तोतों के रहने की व्यवस्था शाही बाग़ में करवाई. बैग के बीचों-बीच स्थित पेड़ की डाल पर तोतों के रहने के लिए एक पिंजरा लटकाया गया. तोतों को उड़ना सिखाने के लिए एक प्रशिक्षक रखा गया.
१०-१५ दिन तक प्रशिक्षक रोज़ आता रहा और तोतों को उड़ना सिखाता रहा. एक तोते ने तो बहुत जल्दी उड़ना सीख लिया. लेकिन एक तोता लाख सिखाने के बाद भी उड़ना नहीं सीख पाया.
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जब राजा ने प्रशिक्षक को बुलाकर तोतों के बारे में पूछा, तो प्रशिक्षक ने सारी बात बता दी, “महाराज! एक तोता बहुत जल्दी सब कुछ सीख गया है. वह तो राजमहल से भी ऊँचा उड़ने लगा है. लेकिन दूसरा तोता कुछ सीखने को राज़ी ही नहीं है. मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन वह पेड़ की एक डाल पर बैठा रहता है. उड़ता ही नहीं है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं?”
राजा चाहता था कि दोनों तोते अच्छी तरह से उड़ना सीख जायें. उसने अपने मंत्रियों से मंत्रणा की और मंत्रणा उपरांत दूसरे तोते के लिए एक अन्य प्रशिक्षक की व्यवस्था की. किंतु दूसरा प्रशिक्षक भी उस तोते को उड़ना नहीं सिखा पाया. इस तरह कई प्रशिक्षक आये, लेकिन कोई भी दूसरे तोते को उड़ना नहीं सिखा पाया.
राजा ने फिर से मंत्रियों को बुलाया और दूसरे तोते को उड़ना सिखाने के उपाय के बारे में मंत्रणा की. इस बार मंत्रियों ने गाँव के एक ऐसे व्यक्ति को बुलाने का परामर्श दिया, जिसे तोते के स्वाभाव के बारे में अच्छी पहचान थी.
उस व्यक्ति को बुलाया गया. जिस दिन व्यक्ति आया, उसी दिन से दूसरा तोता भी उड़ने लगा. जब राजा तक ये ख़बर पहुँची कि दूसरा तोता (Parrot) उड़ रहा है और वो भी पहले तोते से भी ऊँचा, तो वह ख़ुश हो गया.
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उसने फ़ौरन उस व्यक्ति को बुलवाया और उससे पूछा, “तुमने आखिर ऐसा क्या किया कि इतने दिनों से पेड़ की डाली से टस से मस न होने वाला तोता उड़ने लगा.”
व्यक्ति ने उत्तर दिया, “महाराज! मैंने वह डाली ही काट दी, जिस पर वह तोता बैठा करता था.”
सीख – अपने जीवन में भी उस दूसरे तोते की तरह व्यवहार करते हैं. हम ऊँचे-ऊँचे सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने की ख्वाहिश करते हैं. लेकिन हम कभी अपनी कम्फर्ट ज़ोन छोड़ना नहीं चाहते. हम हमेशा रिस्क लेने से डरते हैं और इसलिए चाहते हुए भी अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा पाते. क्या हम तभी उड़ेंगे, जब कोई आकर हमारी डाल काट दे अर्थात् जब हमारे जीवन में समस्या आ खड़ी हो. बेहतर नहीं कि हम पहले ही उड़ना सीख जायें. आप क्या सोचते हैं?
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