फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम मुल्ला नसरुद्दीन और उसके पड़ोसी की कहानी (Mulla Nasruddin And His Neighbour Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. बार-बार कुछ न कुछ मांगने आ जाने वाले पड़ोसी से मुल्ला कैसे निपटता है. यही इस मज़ेदार किस्से में बताया गया है. पढ़िए मुल्ला नसरुद्दीन का ये मज़ेदार किस्सा :
Mulla Nasruddin And His Neighbour Story In Hindi
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Mulla Nasruddin And His Neighbour Story In Hindi
पढ़ें मुल्ला नसरुद्दीन की संपूर्ण कहानियों का संग्रह
मुल्ला नसरुद्दीन का पड़ोसी अक्सर कुछ न कुछ मांगने उसके घर आ जाया करता था. मुल्ला उसकी मांगने की आदत से परेशान हो चुका था. लेकिन, पड़ोसी बाज़ नहीं आता था.
हमेशा की तरह एक दिन वह पड़ोसी मुल्ला के घर पहुँचा और दरवाज़े पर खड़ा होकर आवाज़ देने लगा, “मुल्ला….मुल्ला….बाहर तो आओ.”
मुल्ला बाहर आया और पड़ोसी से पूछा, “क्यों भाई कैसे आना हुआ?”
“मुल्ला! एक ज़रूरत पड़ गई है. मुझे कुछ सामान लेकर शहर जाना है. क्या तुम अपना गधा एक दिन के लिए मुझे दे सकते हो?” पड़ोसी बोला.
“अरे भाई! तुमने तो देर कर दी. मैंने सुबह ही अपना गधा किसी और को दे दिया है.” मुल्ला बोला. वास्तव में ऐसा कुछ नहीं था. बस मुल्ला अपना गधा उस पड़ोसी को नहीं देना चाहता था. इसलिए उसने बहाना बनाया था.
यह बात सुन पड़ोसी जाने को हुआ कि घर के अंदर से मुल्ला के गधे के रेंकने की आवाज़ आने लगी. पड़ोसी समझ गया कि मुल्ला ने बहाना बनाया है.
वह बोला, “मुल्ला, तुम तो कह रहे थे कि तुमने अपना गधा किसी को दे दिया है. लेकिन उसके रेंकने की आवाज़ तो तुम्हारे घर के अंदर से आ रही है.”
“तुम्हें किस पर यकीन है मुझ पर या गधे पर?” मुल्ला तुकनकर बोला और अंदर चला गया.
पड़ोसी मुँह लटकाकर वापस चला गया और फिर कभी मुल्ला से कुछ मांगने नहीं आया.
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