मुल्ला नसरुद्दीन और अनोखा फैसला मज़ेदार कहानी | Mulla Nasruddin Aur Anokha Faisla Mazedar Kahani Funny Story In Hindi
मुल्ला नसरुद्दीन का नाम आते ही हमारी कल्पना में एक चतुर, मजाकिया और हाजिरजवाब इंसान की तस्वीर उभरती है। उनकी कहानियाँ न केवल हमें हंसाती हैं बल्कि जीवन के अहम सबक भी सिखाती हैं। आज की कहानी में मुल्ला नसरुद्दीन ने अपने अनोखे अंदाज में एक मुश्किल विवाद का ऐसा हल निकाला, जिसे सुनकर हर कोई हंस पड़ा।
Mulla Nasruddin Aur Anokha Faisla Mazedar Kahani
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एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन के गाँव में दो पड़ोसियों के बीच झगड़ा हो गया। एक व्यक्ति, करीम, ने दावा किया कि उसका पड़ोसी रहीम उसकी बकरी चुरा कर ले गया है। करीम ने कहा, “यह बकरी मेरी है। मैंने इसे अपने हाथों से पाला है।”
रहीम ने पलटकर जवाब दिया, “यह बकरी मेरी है। मैं इसे बचपन से अपने घर में रखता हूं।”
दोनों के झगड़े से पूरा गाँव परेशान हो गया। आखिरकार, गाँववालों ने फैसला किया कि इस विवाद को सुलझाने के लिए मुल्ला नसरुद्दीन के पास जाया जाए।
मुल्ला नसरुद्दीन ने दोनों पक्षों को ध्यान से सुना। करीम ने बकरी की पहचान के लिए उसके गले की पट्टी, उसके रंग और उसकी चाल का जिक्र किया। रहीम ने भी बकरी के खाने की आदतें और उसकी पसंदीदा जगहों का हवाला दिया।
मुल्ला ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, मैं इस मामले का फैसला करूंगा। लेकिन पहले मुझे बकरी को देखना होगा।”
बकरी को पेश किया गया। वह एक मोटी और स्वस्थ बकरी थी, जो बेफिक्री से इधर-उधर देख रही थी। मुल्ला ने बकरी को गौर से देखा और फिर एक विचार उनके दिमाग में आया।
मुल्ला ने घोषणा की, “हम यह तय करेंगे कि बकरी किसकी है, लेकिन इसके लिए एक परीक्षा होगी। बकरी को यहाँ खड़ा किया जाएगा, और तुम दोनों उसे अपने-अपने घर बुलाओगे। जिसकी तरफ बकरी जाएगी, वही उसका असली मालिक होगा।”
गाँव के लोग इस फैसले से खुश हो गए। सभी ने सोचा कि यह एक अच्छा और सीधा तरीका है।
पहले करीम ने बकरी को बुलाया, “आ मेरी प्यारी बकरी, घर चलो। मैं तुम्हें स्वादिष्ट घास खिलाऊंगा।”
बकरी ने उसकी तरफ देखा, लेकिन हिली नहीं।
फिर रहीम ने बकरी को बुलाया, “आओ मेरी बकरी, तुम्हारा पसंदीदा चारा तैयार है।”
बकरी ने उसकी तरफ भी देखा, लेकिन वह फिर भी वहीं खड़ी रही।
अब स्थिति अजीब हो गई। बकरी किसी की ओर नहीं जा रही थी। मुल्ला ने सोचा, “यह मामला और भी दिलचस्प हो गया है।”
मुल्ला ने कुछ सोचा और फिर जोर से कहा, “बकरी का मालिक वह है जो इसके लिए सबसे ज्यादा बलिदान देगा। इसलिए अब यह तय होगा कि तुम दोनों में से कौन इसे अधिक चाहता है।”
मुल्ला ने कहा, “बकरी को आधा-आधा काटकर तुम दोनों में बांट दिया जाएगा।”
यह सुनकर करीम ने गुस्से में कहा, “यह कैसे हो सकता है? यह बकरी मेरी है। मैं इसे जिंदा चाहता हूं, न कि मरा हुआ।”
लेकिन रहीम चुपचाप खड़ा रहा और फिर बोला, “हां, मुल्ला साहब, अगर यही सही है, तो इसे काट दो। कम से कम मुझे इसका आधा हिस्सा मिल जाएगा।”
मुल्ला ने तुरंत बकरी को करीम को सौंपते हुए कहा, “यह बकरी करीम की है। केवल असली मालिक ही अपनी बकरी को किसी भी कीमत पर बचाना चाहेगा। रहीम का लालच उसकी सच्चाई उजागर कर गया।”
गाँव वाले मुल्ला की चतुराई देखकर हंस पड़े। रहीम ने शर्मिंदा होकर अपनी गलती मान ली और माफी मांगी।
सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चा मालिक वही होता है, जो अपने अधिकार के साथ अपनी जिम्मेदारी को भी निभाने के लिए तैयार हो। लालच और धोखे से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
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