Mulla Nasruddin Ki Kahaniya

मुल्ला नसरुद्दीन और मुफ्त का खाना मज़ेदार कहानी | Mulla Nasruddin Aur Muft Ka Khana Majedar Kahani

मुल्ला नसरुद्दीन और मुफ्त का खाना मज़ेदार कहानी (Mulla Nasruddin Aur Muft Ka Khana Majedar Kahani Funny Story In Hindi)

मुल्ला नसरुद्दीन, एक ऐसा नाम है जो बुद्धिमानी, हास्य और जीवन के गहरे सत्य का प्रतीक है। उनकी कहानियाँ सरल, मनोरंजक और गहरी सीख देने वाली होती हैं। उनकी चतुराई और व्यावहारिक सोच से हमें न केवल हंसने का मौका मिलता है, बल्कि जीवन में महत्वपूर्ण मूल्य भी समझने को मिलते हैं। आज की कहानी में, मुल्ला नसरुद्दीन की मजेदार सोच और व्यावहारिक ज्ञान का एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया गया है।

Mulla Nasruddin Aur Muft Ka Khana

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Mulla Nasruddin Aur Muft Ka Khana

एक बार मुल्ला नसरुद्दीन के गाँव में एक बड़ा उत्सव मनाया जा रहा था। गाँव के सभी लोग बड़े उत्साह से त्योहार की तैयारियों में जुटे हुए थे। उत्सव में दूर-दूर से व्यापारी, कलाकार और लोग शामिल होने आए थे। हर ओर रौनक थी।

गाँव के मुखिया ने घोषणा की कि इस बार उत्सव में “सबसे बड़े खाने का आयोजन” किया जाएगा। इसमें सभी लोगों को स्वादिष्ट भोजन मुफ्त में मिलेगा। यह सुनकर पूरे गाँव में खुशी की लहर दौड़ गई।

मुल्ला नसरुद्दीन ने भी यह खबर सुनी। उन्होंने सोचा, “फ्री में खाना मिलेगा, यह तो मजेदार है। लेकिन मुफ्त चीज़ों के पीछे हमेशा कोई न कोई चाल होती है। मुझे देखना चाहिए कि यह आयोजन सच में कैसा होगा।”

अगले दिन, मुल्ला उत्सव में पहुंचे। वह देखना चाहते थे कि मुफ्त खाने के चक्कर में लोग क्या-क्या कर रहे हैं।

खाने की पंक्तियाँ काफी लंबी थीं। लोग प्लेट लेकर इंतजार कर रहे थे। आयोजकों ने घोषणा की, “हर व्यक्ति को जितना खाना चाहिए, उतना मिलेगा। लेकिन एक बार ही प्लेट में खाना लिया जा सकता है।”

यह सुनकर लोग अपने-अपने बर्तनों में ज़्यादा से ज़्यादा खाना लेने लगे। किसी ने प्लेट पर पहाड़ जैसा खाना लगा लिया तो किसी ने दो-दो कटोरियाँ भर लीं। लेकिन अधिकतर लोग यह नहीं सोच रहे थे कि वे इतना खाना खा भी पाएंगे या नहीं।

मुल्ला ने यह सब देखकर मुस्कुराते हुए सोचा, “लोग मुफ्त चीज़ों के चक्कर में अपनी समझदारी खो बैठते हैं। मुझे इन्हें एक मजेदार सीख देनी होगी।”

मुल्ला ने अपने साथ एक छोटी सी प्लेट लेकर खाने की लाइन में लग गए। जब उनकी बारी आई, तो उन्होंने प्लेट में केवल एक चम्मच चावल, एक टुकड़ा रोटी और थोड़ा सा सलाद लिया। आयोजकों ने उन्हें देखकर हैरानी से पूछा, “मुल्ला साहब, क्या आपको और खाना नहीं चाहिए?”

मुल्ला ने हंसते हुए कहा, “नहीं, मुझे भूख केवल इतनी ही है।”

लोगों ने मुल्ला का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। एक आदमी बोला, “मुल्ला साहब, आप इतने कंजूस क्यों हैं? मुफ्त का खाना है, जितना चाहे खा सकते हैं।”

खाने के बाद आयोजकों ने एक और घोषणा की, “हमारा नियम है कि आप जितना खाना लेंगे, उसे पूरा खत्म करना होगा। अगर आपकी प्लेट में खाना बचा, तो आपको जुर्माना देना पड़ेगा।”

यह सुनकर लोगों के चेहरे उतर गए। जो लोग अपने बर्तनों में ढेर सारा खाना भरकर लाए थे, अब घबराने लगे। किसी की प्लेट में ढेर सारे चावल बचे थे तो किसी के पास मीठे पकवान। सब लोग परेशान थे कि इस सजा से कैसे बचा जाए।

मुल्ला नसरुद्दीन अपनी छोटी सी प्लेट लेकर आराम से खाने लगे। उन्होंने अपने हिस्से का खाना खत्म किया और मुस्कुराते हुए आयोजकों की तरफ देखा।

उन्होंने कहा, “मुझे पहले से ही अंदाजा था कि मुफ्त चीज़ों के साथ कोई न कोई चाल जरूर होगी। इसीलिए मैंने केवल उतना ही लिया, जितना खा सकता था।”

लोगों ने मुल्ला की बुद्धिमानी की प्रशंसा की। कुछ ने कहा, “हमने लालच में आकर अपनी समस्या खुद ही खड़ी कर ली। हमें मुल्ला से सीख लेनी चाहिए।”

सीख

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मुफ्त चीज़ों के चक्कर में हमें अपनी समझदारी नहीं खोनी चाहिए। लालच और बिना सोचे-समझे फैसले लेने से हम मुश्किलों में पड़ सकते हैं। मुल्ला नसरुद्दीन ने सरलता से हमें यह समझाया कि अपनी जरूरत से ज्यादा कुछ भी लेना अंततः हमारे लिए परेशानी का कारण बनता है।

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियाँ केवल मनोरंजक नहीं होतीं, बल्कि उनमें जीवन की गहरी सीख छिपी होती है। उनकी हाजिरजवाबी और व्यावहारिक दृष्टिकोण से हमें यह समझने को मिलता है कि छोटी-छोटी चीजों में भी बड़ा ज्ञान छिपा हो सकता है।

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