मुल्ला नसरुद्दीन की हाज़िरजवाबी का किस्सा | Mulla Nasruddin Ki Hazirjawabi Ka Kissa

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम मुल्ला नसरुद्दीन की हाज़िरजवाबी का किस्सा (Mulla Nasruddin Ki Hazirjawabi Ka Kissa) शेयर कर रहे हैं. उधारी लेकर पैसे वापस करने के समय मुल्ला की हाज़िरजवाबी कैसे काम आई? ये किस्सा उस घटना का वर्णन करता है. जानने के लिए पढ़िए ये मज़ेदार किस्सा :  

Mulla Nasruddin Ki Hazirjawabi Ka Kissa

Mulla Nasruddin Ki Hazirjawabi Ka Kissa
Mulla Nasruddin Ki Hazirjawabi Ka Kissa

पढ़ें मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियों का संग्रह

उन दिनों मुल्ला नसीरुद्दीन का काम-काज़ ठीक नहीं चल रहा था. वह जैसे-तैसे दिन काट रहा था. कई दिन तो ऐसे होते थे कि उसकी जेब में एक ठेला भी नहीं होता था. ऐसे में लोगों से पैसे उधार मांग कर वह अपना काम चलाता था.

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एक बार ज़रूरत पड़ने पर उसने अपने पड़ोसी से ५०० दीनार उधार लिये. उधार चुकाने का वक़्त मुक़र्रर था. लेकिन, वह मुक़र्रर वक़्त तक उधार चुका नहीं पाया. पड़ोसी कई बार मुल्ला के घर पैसे मांगने आया, लेकिन मुल्ला आज-कल करता हुआ टालता गया.

आखिरकार, तंग आकर एक दिन पड़ोसी ने मुल्ला की शिकायत बादशाह से कर दी. बादशाह ने मुल्ला को हाज़िर होने का हुक्म सुनाया. मुल्ला बादशाह ने सामने हाज़िर हुआ.

“मुल्ला! तुमने इस आदमी से ५०० दीनार उधार लिये हैं?” बादशाह ने मुल्ला से पूछा.

“जी जहाँपनाह! मैंने इससे ५०० दीनार उधार लिये हैं.” मुल्ला बेफ़िक्री से बोला.

“तो तुम उधार क्यों नहीं चुकाते?” बादशाह ने फिर से पूछा.

“जहाँपनाह! मैं अब तक इसका उधार चुका नहीं पाया हूँ. लेकिन बहुत जल्द मैं पाई-पाई चुका दूंगा, भले ही इसके लिए मुझे अपनी गाय और घोड़ा ही क्यों न बेचना पड़े?” मुल्ला भरोसा जताते हुए बोला.

बादशाह कुछ कहते, इसके पहले ही पड़ोसी बोल पड़ा, “जहाँपनाह! ये झूठ बोल रहा है. इसके पास न गाय है, ना ही घोड़ा. ये तो कंगाल है. दो जून खाने को तरस रहा है. ये कहाँ से मेरे पैसे लौटाएगा?”

मुल्ला हाथ जोड़कर बोला, “ मेरा हाल तो इसके मुँह से ही आपने सुन लिया जहाँपनाह. अब आप ही बताइए कि इस तंगहाली में मैं इतनी जल्दी कैसे इसका उधार चुका सकता हूँ. कहाँ से करूं इसके पैसे का बंदोबस्त, जब खाने के लाले पड़े हैं.” 

मुल्ला की हालत देख बादशाह ने पूरा मामला रफ़ा-दफ़ा कर दिया. इस प्रकार अपनी हाज़िरजवाबी से मुल्ला ने अपनी जान छुड़ाई और उस वक़्त उधार चुकाने से बच गया.

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