मुल्ला नसरुद्दीन और नखरेबाज मेहमान मज़ेदार कहानी | Mullah Nasruddin Aur Nakharebaz Mehman Majedar Kahani Funny Story In Hindi
मुल्ला नसरुद्दीन अपने हास्य और चतुराई के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कहानियाँ न केवल मनोरंजक होती हैं, बल्कि जीवन की गहरी सच्चाइयों को भी सरलता से प्रकट करती हैं। आज की इस कहानी में मुल्ला नसरुद्दीन ने अपने एक नखरेबाज मेहमान को ऐसा सबक सिखाया, जिसे वह कभी नहीं भूल सका।
Mullah Nasruddin Aur Nakharebaz Mehman
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एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन के घर एक मेहमान आया। वह उनके दूर के रिश्तेदार का मित्र था। आते ही उसने कहा, “मुल्ला, मैंने सुना है कि आप बड़े मेहमाननवाज हैं और आपकी पत्नी बहुत स्वादिष्ट खाना बनाती हैं। इसलिए सोचा, आपसे मिलने और खाना चखने आ जाऊं।”
मुल्ला और उनकी पत्नी ने मेहमान का स्वागत किया। मुल्ला की पत्नी ने पहले ही दिन खीर, बिरयानी, और तरह-तरह के पकवान बनाए। मेहमान ने पेट भरकर खाया, लेकिन खाने के बाद बोला,
“खाना ठीक है, पर मुझे लगता है कि इसमें थोड़ी कमी है। स्वाद बढ़ सकता था।”
अगले दिन मुल्ला की पत्नी ने शाही गोश्त और अन्य पकवान बनाए। मेहमान ने फिर से खूब खाया और वही बात दोहराई, “ठीक है, पर मजा नहीं आया। शायद मसाले कम थे।”
तीसरे दिन भी यही हुआ। मुल्ला और उनकी पत्नी की मेहनत के बावजूद मेहमान कभी खाने की तारीफ नहीं करता, और हर बार कुछ न कुछ कमी निकाल देता।
मुल्ला ने देखा कि यह मेहमान न केवल सारा खाना खा जाता है, बल्कि हर बार उसकी मेहनत को नकार देता है। इससे मुल्ला नाराज हो गया। उसने सोचा, “इस मेहमान को ऐसा सबक सिखाना होगा कि वह खाने की कद्र करना सीखे।”
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अगले दिन मुल्ला ने अपनी पत्नी के साथ एक मजेदार योजना बनाई। उन्होंने मेहमान को बुलाया और कहा, “आज हम तुम्हारे लिए खास पकवान बना रहे हैं, पर यह जादुई बर्तनों में परोसा जाएगा। यह खाना केवल बुद्धिमान व्यक्ति ही देख और खा सकता है।”
मुल्ला और उनकी पत्नी खाने की मेज पर खाली बर्तन लेकर बैठ गए। उन्होंने खाली चम्मच से बर्तन में घुमाया और मेहमान की थाली में डालते हुए कहा, “यह लीजिए, बिरयानी। अब ये शाही गोश्त। और ये रहा बादाम का हलवा।”
मेहमान हैरानी से देख रहा था कि थाली में कुछ नहीं है। लेकिन वह मूर्ख न दिखने के डर से बोला, “वाह, ये तो बड़ा स्वादिष्ट दिख रहा है।”
मुल्ला और उनकी पत्नी ने खाना “खाना” शुरू किया और कहते रहे,
“यह सबसे स्वादिष्ट बिरयानी है, जो हमने खाई है। तुम भी खाओ और बताओ कि कैसी है।”
मेहमान भी खाली थाली में चम्मच चलाने लगा और मजबूरी में बोला,
“हां, हां, बहुत स्वादिष्ट है। शायद ऐसी बिरयानी मैंने पहले कभी नहीं खाई।”
यह सिलसिला दो दिन तक चला। मेहमान हर दिन खाली थाली में चम्मच चलाता और खाने की तारीफ करता। लेकिन भूख के मारे उसका बुरा हाल हो गया।
तीसरे दिन मुल्ला ने मेहमान को सूखी रोटी और सादी दाल परोसी। भूख से परेशान मेहमान ने सब कुछ झटपट खा लिया।
मुल्ला ने पूछा, “तो बताओ, आज का खाना कैसा था?”
मेहमान ने कहा, “बहुत स्वादिष्ट! ऐसा खाना मैंने पहले कभी नहीं खाया।”
मुल्ला मुस्कुराए और बोले, “यही तो मैंने तुम्हें सिखाने की कोशिश की। जब पेट भरा हो, तो हम छोटी-छोटी बातों में कमी निकालते हैं। लेकिन जब भूख लगती है, तो सूखी रोटी भी स्वादिष्ट लगती है। खाना बनाने वालों की मेहनत और उसकी कद्र करनी चाहिए।”
मेहमान को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने माफी मांगते हुए कहा, “मुल्ला, आपने मुझे बड़ा सबक सिखाया। मैं कभी खाने की निंदा नहीं करूंगा और हमेशा दूसरों की मेहनत की इज्जत करूंगा।”
सीख
इस मजेदार कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें खाने की और उसे बनाने वाले की मेहनत की कद्र करनी चाहिए। नखरे और लालच के बजाय हमें विनम्रता और संतोष के साथ हर चीज का आनंद लेना चाहिए।
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