मूर्ख लकड़हारा की कहानी (Murkh Lakadhara Ki Kahani) Foolish Woodcutter Story In Hindi एक शिक्षाप्रद कहानी है, जो हमें यह समझाती है कि लालच, आलस्य और जल्दबाजी हमें मुसीबत में डाल सकते हैं। यह कहानी सरल जीवन जीने, मेहनत करने और सही निर्णय लेने का महत्व बताती है। कभी-कभी मूर्खता भरे निर्णय हमारे जीवन को नष्ट कर सकते हैं। इस कहानी में एक मूर्ख लकड़हारे की कथा है, जो अपनी गलती और लालच के कारण अपना सबकुछ खो बैठता है।
Murkh Lakadhara Ki Kahani
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बहुत समय पहले एक छोटे से गाँव में एक लकड़हारा रहता था। वह गरीब था, लेकिन ईमानदारी से मेहनत करता था। वह रोज़ सुबह जंगल जाता, पेड़ों की लकड़ियाँ काटता और गाँव के बाजार में उन्हें बेचकर अपने परिवार के लिए रोटी-कपड़े का इंतजाम करता। लेकिन वह व्यक्ति थोड़ी आलसी प्रवृत्ति का भी था। वह चाहता था कि उसे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े और जल्दी ही अमीर बन जाए।
एक दिन वह लकड़हारा जंगल में पेड़ काटने गया। वह नदी के किनारे एक बड़े पेड़ को काटने में जुटा था। वह पूरे जोश से अपनी कुल्हाड़ी चला रहा था कि अचानक उसकी कुल्हाड़ी का फाल नदी में गिर गया। वह घबरा गया, क्योंकि कुल्हाड़ी ही उसकी रोज़ी-रोटी का साधन थी।
लकड़हारा नदी के किनारे बैठकर रोने लगा। तभी अचानक नदी से एक जलपरी प्रकट हुई। उसने लकड़हारे से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?” लकड़हारे ने अपनी समस्या बताई और कहा, “मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है। मैं अब अपना काम कैसे करूँगा?”
जलपरी ने लकड़हारे की बात सुनी और उसे दिलासा दिया। उसने कहा, “चिंता मत करो। मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी खोजकर लाती हूँ।” यह कहकर जलपरी नदी में गायब हो गई। कुछ देर बाद, वह सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर वापस आई। उसने लकड़हारे से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारे ने कुल्हाड़ी को देखा। वह बेहद कीमती लग रही थी। लेकिन लकड़हारा ईमानदार था। उसने कहा, “नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी।”
जलपरी ने फिर नदी में गोता लगाया और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी लेकर आई। उसने पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” लकड़हारे ने फिर कहा, “नहीं, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
आखिरकार, जलपरी ने तीसरी बार गोता लगाया और लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आई। लकड़हारे ने उसे देखते ही कहा, “हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है।” लकड़हारे की ईमानदारी से जलपरी बहुत प्रसन्न हुई। उसने इनाम स्वरूप उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ दे दीं। लकड़हारे ने धन्यवाद कहा और खुशी-खुशी घर लौट आया।
लकड़हारे ने जब यह कहानी गाँव में सुनाई, तो सभी लोग उसकी किस्मत और ईमानदारी की प्रशंसा करने लगे। लेकिन गाँव में एक और लकड़हारा था, जो आलसी और मूर्ख था। वह मेहनत करने से बचता था और हमेशा छोटे रास्ते तलाशता रहता था। जब उसने सुनहरी और चांदी की कुल्हाड़ी वाली बात सुनी, तो उसका मन लालच से भर गया। उसने सोचा, “अगर मैं भी अपनी कुल्हाड़ी नदी में गिरा दूँ, तो मुझे भी जलपरी से सुनहरी और चांदी की कुल्हाड़ी मिल जाएगी।”
अगले दिन, वह मूर्ख लकड़हारा अपनी पुरानी कुल्हाड़ी लेकर नदी के पास पहुँचा। उसने जानबूझकर अपनी कुल्हाड़ी नदी में फेंक दी और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। थोड़ी देर बाद जलपरी फिर प्रकट हुई। उसने लकड़हारे से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?”
लकड़हारे ने झूठ बोलते हुए कहा, “मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई है। मैं अब अपना काम कैसे करूँगा?”
जलपरी ने उसकी बात सुनी और कहा, “चिंता मत करो। मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी खोजकर लाती हूँ।”
वह नदी में गई और सुनहरी कुल्हाड़ी लेकर वापस आई। उसने लकड़हारे से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लालच में अंधा लकड़हारा चिल्लाया, “हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है!”
जलपरी उसकी झूठी बात सुनकर नाराज हो गई। उसने लकड़हारे की बेईमानी को पहचान लिया। उसने कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो। यह कुल्हाड़ी तुम्हारी नहीं है। तुम्हारी बेईमानी की सज़ा तुम्हें मिलेगी।” यह कहकर जलपरी सुनहरी कुल्हाड़ी के साथ-साथ उसकी अपनी लोहे की कुल्हाड़ी भी लेकर नदी में गायब हो गई।
अब मूर्ख लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी से भी हाथ धो बैठा। वह खाली हाथ घर लौटा और अपने लालच और मूर्खता पर पछताने लगा।
कुछ दिनों बाद, मूर्ख लकड़हारे ने फिर से जंगल जाना शुरू किया। लेकिन अब उसके पास नई कुल्हाड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे। उसे दूसरों से कुल्हाड़ी उधार लेनी पड़ती थी और बदले में अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा देना पड़ता था। उसकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती गई।
गाँव के लोग उससे कहते, “अगर तुमने लालच और झूठ का सहारा न लिया होता, तो तुम्हारी कुल्हाड़ी न जाती। मेहनत से ही सफलता मिलती है।” मूर्ख लकड़हारे ने अपनी गलती समझ ली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सीख
इस कहानी से हमें कई महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं:
1. ईमानदारी का महत्व : ईमानदार व्यक्ति हमेशा दूसरों का सम्मान और इनाम पाता है, जबकि झूठ और बेईमानी का परिणाम बुरा होता है।
2. लालच बुरी बला है : लालच व्यक्ति को उसकी जरूरतों से भी वंचित कर सकता है।
3. मेहनत ही सफलता की कुंजी है : शॉर्टकट से कुछ हासिल करने की बजाय कड़ी मेहनत और सच्चाई से काम करना अधिक लाभदायक होता है।
4. जल्दबाजी में निर्णय न लें : कोई भी निर्णय लेने से पहले सोचना चाहिए कि उसका परिणाम क्या होगा।
कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई, मेहनत और ईमानदारी से ही जीवन में सच्चा सुख और सफलता मिलती है। लालच और झूठ केवल दुख और पछतावा ही लाते हैं।
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