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जीवन और मृत्यु का रहस्य जेन कथा | The Mystery of Life and Death Zen Story In Hindi

जीवन और मृत्यु का रहस्य जेन कथा (The Mystery of Life and Death Zen Story In Hindi)

जेन परंपरा में जीवन और मृत्यु को अलग-अलग नहीं देखा जाता। यह मान्यता है कि मृत्यु कोई अंत नहीं, बल्कि जीवन की निरंतरता का ही एक भाग है। जेन कहता है कि जो वास्तव में जीना सीख जाता है, वही बिना भय के मृत्यु को स्वीकार कर सकता है।

इस कथा में हम एक ऐसे शिष्य की यात्रा को देखेंगे जो जीवन और मृत्यु के रहस्य को समझने के लिए अपने गुरु के पास जाता है। यह कथा हमें सिखाती है कि मृत्यु से बचा नहीं जा सकता, लेकिन उसे समझकर हम जीवन को पूर्णता से जी सकते हैं।

The Mystery of Life and Death Zen Story In Hindi 

The Mystery of Life and Death Zen Story In Hindi 

जापान के एक प्राचीन जेन मठ में एक युवा शिष्य तोशिरो अपने गुरु सोयेन रोशी के पास आया। वह परेशान था, उसका मन भारी था।

“गुरुदेव,” उसने कहा, “मैं जीवन और मृत्यु को समझना चाहता हूँ। जब मैं मृत्यु के बारे में सोचता हूँ, तो भय महसूस करता हूँ। क्या मृत्यु का कोई रहस्य है?”

गुरु सोयेन रोशी मुस्कराए और बोले, “तुम इस प्रश्न का उत्तर चाहते हो? कल सुबह पहाड़ पर आना।”

तोशिरो अगली सुबह सूर्योदय से पहले पहाड़ पर पहुँचा। वहाँ गुरु पहले से ही ध्यान में बैठे थे। जब सूर्य की पहली किरणें पहाड़ों पर पड़ीं, तो गुरु ने पूछा,

“क्या तुमने सूर्योदय को देखा?”

“हाँ, गुरुदेव,” तोशिरो ने कहा।

“क्या यह नया सूरज था या वही जो कल अस्त हुआ था?”

तोशिरो चकित रह गया। उसने पहले कभी ऐसा नहीं सोचा था।

गुरु बोले, “सूर्य प्रतिदिन उगता और डूबता है, फिर भी यह वही है। क्या यह जीवन और मृत्यु जैसा नहीं है?”

तोशिरो समझ नहीं पाया, पर उसने प्रश्न करना उचित नहीं समझा।

गुरु ने उसे एक दिन मठ में रहने वाले एक बूढ़े भिक्षु के पास भेजा, जिनका नाम ग्योशो था। ग्योशो 80 वर्ष के थे, लेकिन उनकी ऊर्जा किसी युवा जैसी थी।

तोशिरो ने उनसे पूछा, “आपने जीवन में बहुत कुछ देखा है। क्या आप मृत्यु से डरते हैं?”

ग्योशो हँसे और बोले, “डर? जब मैं जन्मा था, तब मैंने रोया था और दुनिया हँसी थी। जब मैं मरूँगा, तो मैं हँसूँगा और दुनिया रोएगी!”

तोशिरो ने पूछा, “लेकिन मृत्यु के बाद क्या होता है?”

ग्योशो बोले, “जब तुम सोते हो, तो क्या तुम जाग्रत अवस्था की चिंता करते हो?”

“नहीं,” तोशिरो ने कहा।

“तो फिर मृत्यु की चिंता क्यों?” ग्योशो मुस्कराए और ध्यान में बैठ गए।

तोशिरो अब भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं था। उसने पुनः गुरु सोयेन रोशी से कहा, “गुरुदेव, मैं अभी भी नहीं समझ पाया। क्या मृत्यु के बाद कुछ होता है?”

गुरु मुस्कराए और बोले, “मुझे एक कप चाय लाकर दो।”

तोशिरो दौड़कर गया, चाय बनाई और गुरु को दी।

गुरु ने चाय का एक घूँट लिया और कप ज़मीन पर गिरा दिया। कप टूटकर बिखर गया।

तोशिरो चौंक गया।

गुरु बोले, “क्या चाय खत्म हो गई?”

तोशिरो बोला, “नहीं, चाय ज़मीन में फैल गई, लेकिन समाप्त नहीं हुई।”

गुरु बोले, “यही जीवन और मृत्यु का रहस्य है। रूप बदलता है, पर अस्तित्व बना रहता है।”

सीख

1. मृत्यु अंत नहीं, केवल रूपांतरण है – जैसे जल भाप बनकर हवा में विलीन हो जाता है, वैसे ही जीवन भी रूप बदलता है।

2. मृत्यु का भय जीवन को अधूरा बना देता है – जब हम मृत्यु के बारे में सोचकर भयभीत होते हैं, तो हम जीना भूल जाते हैं।

3. वर्तमान में जीने वाला मृत्यु से नहीं डरता – जेन कहता है कि जो इस क्षण को पूरी तरह जीता है, उसे मृत्यु का भय नहीं होता।

4. सृष्टि में कुछ भी नष्ट नहीं होता – जेन दृष्टि से देखें तो न कोई जन्मता है, न कोई मरता है। केवल परिवर्तन होता है।

5. जो मृत्यु को समझता है, वह सच्ची स्वतंत्रता प्राप्त करता है – भय और आसक्ति से मुक्त होकर जीवन जीना ही सच्चा आत्मबोध है।

“जीवन और मृत्यु का रहस्य” कोई रहस्य नहीं, बल्कि स्वीकृति है। जब हम इसे पूरी तरह स्वीकार कर लेते हैं, तो न जीवन हमें बाँधता है, न मृत्यु हमें डराती है। जेन हमें सिखाता है कि मृत्यु को टालने का कोई उपाय नहीं, लेकिन उसे समझकर हम जीवन को गहराई से जी सकते हैं।

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उम्मीद है आपको Jivan Aur Mrityu Ka Rahasya  Zen Story पसंद आई होगी। अन्य कहानियां भी पढ़ें। धन्यवाद।

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