फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम “नन्हीं चिड़िया की कहानी” (Nanhi Chidiya Ki Kahani) शेयर कर रहे हैं. Nanhi Chidiya Story In Hindi एक छोटी सी चिड़िया के कभी भी परिस्थिति से हार ना मानने के ज़ज़्बे के बारे में है और यह कहानी आपको भी विपत्ति के सामने घुटने ना टेककर प्रयास करने की सीख देगी. पढ़िए :
Nanhi Chidiya Ki Kahani
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एक समय की बात है. एक घना जंगल था, जिसमें हर तरह के छोटे-बड़े जानवरों और पक्षियों का बसेरा था. उसी जंगल के एक पेड़ पर घोंसला बनाकर एक नन्हीं चिड़िया भी रहा करती थी.
एक दिन उस जंगल में भीषण आग गई. समस्त प्राणियों में हा-हाकार मच गया. सब अपनी जान बचाकर भागने लगे. नन्हीं चिड़िया जिस पेड़ पर रहा करती थी, वह भी आग की चपेट में आ गया था. उसे भी अपना घोंसला छोड़ना पड़ा.
लेकिन वह जंगल की आग देखकर घबराई नहीं. वह तुरंत नदी के पास गई और अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल की ओर लौटी. चोंच में भरा पानी आग में पानी छिड़ककर वह फिर नदी की ओर गई. इस तरह नदी से अपनी चोंच में पानी भरकर बार-बार वह जंगल की आग में डालने लगी.
जब बाकी जानवरों ने उसे ऐसा करते देखा, तो हँसने लगे और बोले, “अरे चिड़िया रानी, ये क्या कर रही हो? चोंच भर पानी से जंगल की आग बुझा रही हो. मूर्खता छोड़ो और प्राण बचाकर भागो. जंगल की आग ऐसे नहीं बुझेगी.”
उनकी बातें सुनकर नन्हीं चिड़िया बोली, “तुम लोगों को भागना है, तो भागो. मैं नहीं भागूंगी. ये जंगल मेरा घर है और मैं अपने घर की रक्षा के लिए अपना पूरा प्रयास करूंगी. फिर कोई मेरा साथ दे न दे.”
चिड़िया की बात सुनकर सभी जानवरों के सिर शर्म से झुक गए. उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ. सबने नन्हीं चिड़िया से क्षमा मांगी और फिर उसके साथ जंगल में लगी आग बुझाने के प्रयास में जुट गए. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और जंगल में लगी आग बुझ गई.
सीख (Moral of the story nanhi chidiya)
विपत्ति चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो? बिना प्रयास के कभी हार नहीं मानना चाहिए.
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