नटखट चूहे की कहानी | Natkhat Chuha Hindi Story For Class 2 NCERT

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम हिंदी कहानी ‘नटखट चूहा‘ (Natkhat Chuha Hindi Story For Class 2 NCERT) शेयर कर रहे हैं. ये कहानी एक नटखट चूहे की है, जो बाज़ार घूमने जाता है.बाज़ार में क्या-क्या होता है? जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी :

Natkhat Chuha Hindi Story For Class 2 NCERT

Natkhat Chuha Hindi Story For Class 2 NCERT
Natkhat Chuha Hindi Story For Class 2 NCERT

ये कहानी एक नटखट चूहे की है. एक छोटे से बिल में रहने वाला नटखट चूहा (Natkhat Chuha)  हर समय कुछ न कुछ शरारतें करने मचलता रहता था. लेकिन बहुत दिनों से बारिश होने के कारण वह अपने बिल से बाहर नहीं निकल पा रहा था.

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जिस दिन बारिश रुकी, उसने सोचा, “इतने दिन बिल में घुसे-घुसे मेरा मन उकता गया है. आज तो मैं शहर जाऊंगा और खूब घूमूंगा.”

वह झटपट तैयार हुआ और शहर की ओर निकल पड़ा. मस्ती में डूबा चूहा शहर में घूम रहा था. घूमते-घूमते वह शहर के बाज़ार में पहुँच गया. वहाँ उसे कपड़े की एक बड़ी सी दुकान दिखाई पड़ी. वह दुकान में घुस गया.

जब दुकानदार ने चूहे को देखा, तो बोला, “अरे चूहे, तू कैसे मेरी दुकान में घुस गया? चल भाग यहाँ से.”

चूहा बोला, “मुझे एक टोपी सिलवानी है. उसके लिए मैं कपड़ा ख़रीदने आया हूँ.”

उसकी बात सुनकर दुकानदार हँसते हुए बोला, “तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है. तू चूहा होकर टोपी पहनेगा..हा…हा…हा…ध्यान से सुन, मैं चूहों को कुछ नहीं बेचता. मेरा समय बर्बाद मत कर और भाग यहाँ से.”

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चूहे को गुस्सा आ गया. वह चिल्लाकर बोला, “तुम मुझे कपड़ा बेच रहे हो या नहीं?”

“नहीं” दुकानदार ने उत्तर दिया.

“रातों रात मैं आऊँगा.

अपनी सेना लाऊँगा.

तेरे कपड़े कुतरूँगा.” चूहा गाते हुए दुकानदार से बोला.

चूहे गाने के अर्थ समझकर दुकानदार डर गया और उसे रेशमी कपड़ा देकर बोला, “चूहे भाई, मेरे दुकान के कपड़े मत कुतरना. मेरा धंधा बर्बाद हो जायेगा.”

चूहे ने रेशमी कपड़ा लिया और नाचते-गाते दुकान से बाहर निकल गया. थोड़ी ही दूर पर दर्जी की दुकान थी. वह वहाँ पहुँचा और दर्जी से बोला, “दर्जी भाई, इस कपड़े से एक अच्छी सी टोपी सिल दो.”

चूहे हो देखकर दर्जी बोला, “देखता नहीं मेरे पास बहुत काम है. तेरी टोपी मैं कब सिलूं? इतना समय नहीं है मेरे पास. चल भाग जा…मेरा समय बर्बाद कर.”

चूहे को गुस्सा आ गया. वह चिल्लाकर बोला, “तुम मेरी टोपी सिलते हो या नहीं.”

“नहीं सिलता.” दर्जी भी चिल्लाकर बोला.

“रातों रात मैं आऊँगा.

अपनी सेना लाऊँगा.

तेरे कपड़े कुतरूँगा.” चूहा गाने लगा.

चूहे का गाना सुनकर दर्जी डर गया और उससे कपड़ा लेकर वह टोपी सिलने लगा. थोड़ी ही देर में एक सुंदर टोपी तैयार थी. चूहे ने टोपी पहनी और आईने में ख़ुद को देखा. टोपी सुंदर लग रही थी, लेकिन सादी थी. चूहे ने सोचा कि इसमें चमकीले सितारे लगवाऊँगा, तो यह और ज्यादा सुंदर लगने लगेगी.

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वह दर्जी की दुकान से निकला और सितारों की दुकान खोजने लगा. थोड़ी ही दूर पर एक छोटी सी सितारों की दुकान थी. नटखट चूहा (Natkhat Chuha) उसमें घुस गया. दुकान के अंदर जाकर वह बोला, “भैया, मुझे इस टोपी में चमकीले सितारे लगवाने है. अपनी दुकान के सबसे सुंदर और चमकीले सितारे दिखाओ.”

टोपी पहने हुए चूहे को देखकर दुकानदार जोर से हँसा और बोला, “तेरे लिए ऐसी ही टोपी ठीक है. मैं तुझे सितारे नहीं दूंगा. भाग यहाँ से.”

“तुम मुझे सितारे देते हो या नहीं.” चूहा गुस्से में बोला.

“नहीं” दुकानदार बोला.

“रातों रात मैं आऊँगा

अपनी सेना लाऊँगा

सारे सितारे बिखेरूँगा.” चूहे ने गाना गया.

सितारे बिखेरने की बात सुनकर दुकानदार डर गया और बोला, “अरे चूहे भाई, क्यों नाराज़ होते हैं? मैं तुम्हें अभी सितारे दिखाता हूँ. जो सितारे तुम्हें पसंद हो, उसे तुम्हारी टोपी में टांक भी देता हूँ.”

कुछ ही देर में चूहे की टोपी पर चमकीले सितारे लग गए. जब उसने टोपी पहनकर ख़ुद को आईने में देखा, तो ख़ुशी से झूमने लगा. वह ख़ुद को राजा से कम नहीं समझ रहा था.

सितारों की दुकान से बाहर निकलने के बाद वह सोचने लगा, “मैं इस सुंदर टोपी में राजा लग रहा हूँ. ऐसा करता हूँ कि राजा के पास जाता हूँ और उन्हें अपनी टोपी दिखता हूँ.”

वह कूदते-फांदते राजमहल को ओर जाने लगा. राजमहल पहुँचकर वह चमकीली टोपी के साथ तनकर राजा के सामने खड़ा हो गया.

राजा उसे देखकर हैरत में पूछा, “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

चूहा बोला, “महाराज! आज ही मैंने ये टोपी सिलवाई है. आपको दिखाने आया हूँ. आप बताइये कि इस टोपी में मैं कैसा लग रहा हूँ?”

“तुम तो इसमें बहुत जंच रहे हो. एकदम राजकुमार लग रहे हो.” राजा ने उत्तर दिया.

चूहा ख़ुश हो गया और बोला, “ऐसी बात है, तो राजसिंहासन से उतरो. मैं उस पर बैठूंगा.”

चूहे की बात पर राजा जोर-जोर से हँसने लगा. फिर बोला, “अरे चूहे, मैं इस राज्य का राजा हूँ. इस राजसिंहासन पर मैं ही बैठूंगा, कोई चूहा नहीं.”

चूहा तैश में आकर बोला, “तुम इस सिंहासन से उतरते हो या नहीं.”

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सैनिक चूहे को पकड़ने के लिए जैसे ही आगे बढ़े, चूहा फुदककर दूसरी ओर भाग गया. सैनिकों नटखट चूहे को पकड़ने के लिए उसके पीछे बहुत भागे, लेकिन वो उनकी पकड़ में नहीं आया. जब वे थक-हार गए, तो चूहा राजा के सामने तनकर खड़ा हो गया और बोला –

“रातों रात को मैं आऊँगा

अपनी सेना लाऊँगा

तेरे कान कुतरूँगा.”

चूहे की बात सुनकर राजा डर गया. वह सोचने लगा, “चूहे की सेना तो पूरे राजमहल को तहस-नहस कर देगी.”

चूहा चिल्लाया, “सिंहासन से उतरते हो या नहीं.”

राजा डर के मारे तुरंत सिंहासन से उतर गया और बोला, “मैं तो सिंहासन से उतर गया, अब तुम जितनी देर चाहो इस पर बैठो.”

राजा के उतरते ही चूहा मज़े से सिंहासन पर बैठ गया. रात भर वह सिंहासन पर बैठकर आराम करता रहा. फिर उठकर ख़ुशी में नाचता-गाता अपने दोस्तों के पास चला गया. दोस्तों के बीच पहुँचकर उसने अपनी सुंदर चमकीली टोपी दिखाई और दिन भर का किस्सा उन्हें सुनाया.


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