Zen Katha

कोई क्रोध नहीं जेन कहानी | No Anger Zen Story In Hindi

कोई क्रोध नहीं जेन कहानी (No Anger Zen Story In Hindi) Zen Story On Anger In Hindi  

क्रोध, हमारे भीतर छिपा वह ज्वालामुखी है जो कई बार दूसरों को नहीं, खुद हमें ही जला देता है। हम सोचते हैं, “अगर सामने वाला बदल जाए तो मुझे ग़ुस्सा नहीं आएगा।” पर क्या सच में क्रोध बाहरी परिस्थितियों की वजह से आता है?

ज़ेन परंपरा में, क्रोध को देखा जाता है अज्ञान और स्व-अहं की एक परछाई के रूप में।

यह कहानी Zen Story On Anger In Hindi एक ऐसे योद्धा और ज़ेन गुरु की है, जहाँ एक अहंकारी चुनौती और एक शांत मुस्कान के बीच एक महान पाठ छिपा है।

No Anger Zen Story In Hindi

No Anger Zen Story In Hindi

(क्रोध पर जेन कथा) Zen Story On Anger In Hindi  

पुराने जापान की बात है। एक ज़ेन मठ की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। वहाँ एक वृद्ध गुरु रहते थे—ताकु आन, जो साधनों से नहीं, मौन और दृष्टि से सिखाते थे।

एक दिन गाँव में एक ख़बर फैल गई—

“केनशो आ रहा है!”

वह एक प्रसिद्ध योद्धा था, जिसने कई युद्ध जीते थे, पर उसके स्वभाव में क्रोध और अहंकार की चिंगारी हमेशा जलती रहती थी।

उसने सुना था कि यह ज़ेन गुरु हर प्रश्न का उत्तर शांति से देते हैं, कभी क्रोधित नहीं होते।

उसे विश्वास नहीं हुआ।

“अगर मैं उन्हें नीचा दिखाऊँ, और फिर भी वह क्रोधित न हों, तभी मैं मानूँगा कि वे सच्चे गुरु हैं।” उसने ठान लिया।

वह मठ पहुँचा। भीतर आया। गुरु ताकु आन ध्यानमग्न बैठे थे।केनशो ने तलवार ज़मीन पर पटकी।

“हे गुरु! सुना है तुम कभी क्रोधित नहीं होते। तो बताओ—क्या तुम डरते नहीं? क्या तुम्हारा धैर्य असली है या केवल दिखावा?”

गुरु ने आँखें खोलीं, मुस्कुराए, लेकिन बोले कुछ नहीं।

केनशो चिल्लाया, “उत्तर दो! वरना तलवार तुम्हारे गले पर होगी!”

ताकु आन ने धीरे से कहा, “तुम थके हुए लगते हो। पहले पानी पी लो, फिर बात करते हैं।”

उसका स्वर इतना शांत था कि केनशो का हाथ काँप गया।

“तुम मुझसे डरते नहीं?” उसने पूछा।

गुरु बोले, “अगर कोई मुझे थप्पड़ मारे और मैं पलटकर मारूँ — तो क्या हम दोनों में कोई फ़र्क़ रह जाएगा?”

“अगर कोई मुझे अपमानित करे और मैं जवाब दूँ — तो मैं भी उसी जाल में फँस गया।”

केनशो बोला, “पर सम्मान के लिए लड़ना तो धर्म है।”

ताकु आन मुस्कराए, “जो अपने भीतर शांत है, उसका सम्मान कोई छीन नहीं सकता।

क्रोध वहाँ आता है जहाँ भीतर डर होता है — कुछ खोने का डर।

लेकिन ज़ेन में, हमने सब छोड़ दिया है — इसलिए कोई क्रोध नहीं बचता।”

केनशो स्तब्ध रह गया।

उसने तलवार उठाई… और गुरु के चरणों में रख दी।

“आपसे बड़ा योद्धा मैंने आज तक नहीं देखा।” उसने कहा।

सीख (Moral Of The Story)

  • क्रोध हमारी प्रतिक्रिया नहीं, हमारी असुरक्षा का प्रतिबिंब है।
  • जब हम भीतर से सुरक्षित होते हैं, तो बाहरी आंधियाँ हमें नहीं हिला सकतीं।
  • ज़ेन यह नहीं कहता कि तुम कमजोर बनो, बल्कि यह सिखाता है कि सामर्थ्य का उच्चतम रूप — नियंत्रण है, प्रतिक्रिया नहीं।
  • कोई तुम्हें अपमानित करता है — यह उसका कर्म है। तुम उसे उत्तर देते हो — यह तुम्हारा चरित्र है।
  • जो क्रोध को जीतता है, वही सच्चा विजेता है।
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