छिपे हुए खजाने का दृष्टांत बाइबल (Parable Of Hidden Treasure In Hindi Bible) यह दृष्टांत बाइबल के नए नियम में, मत्ती 13:44 में आता है। यह एक छोटी लेकिन गहन कहानी है, जिसमें परमेश्वर के राज्य की महत्ता और उसकी प्राप्ति के लिए समर्पण का महत्व समझाया गया है।
Parable Of Hidden Treasure In Hindi
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बहुत समय पहले एक किसान था, जो एक छोटे से गाँव में रहता था। वह मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था, लेकिन उसकी जिंदगी संघर्षों से भरी हुई थी। उसकी खेती में ज्यादा लाभ नहीं होता था, और कई बार उसे खाने के लिए भी पर्याप्त अनाज नहीं मिलता था। वह दिन-रात मेहनत करता, पर उसकी हालत में खास सुधार नहीं होता था।
एक दिन वह खेत जोत रहा था। जैसे ही उसने हल चलाया, अचानक हल एक पत्थर से टकराया और जमीन में धंस गया। किसान ने सोचा कि शायद यह कोई साधारण पत्थर होगा, जो उसके काम में बाधा डाल रहा है। उसने पत्थर को हटाने के लिए जमीन खोदनी शुरू की। पर थोड़ी गहराई में उसे पत्थर के नीचे एक धातु का बक्सा दिखाई दिया। उसे आश्चर्य हुआ और उसने उत्सुकता से उस बक्से को बाहर निकाला।
बक्सा पुराना था, लेकिन मजबूत। उसने जब उसे खोला, तो उसकी आँखें चमक उठीं। बक्से में सोने, चांदी, और बहुमूल्य रत्न भरे हुए थे। किसान ने अपने जीवन में कभी इतनी दौलत नहीं देखी थी। यह खजाना अनमोल था, और अब वह जानता था कि उसकी किस्मत बदलने वाली है।
पर किसान ने तुरंत यह खजाना अपने पास रखने का फैसला नहीं किया। वह जानता था कि यह खेत उसका नहीं है, यह किसी और का था। उसे यह भी मालूम था कि अगर वह खेत का असली मालिक बन जाता है, तो यह खजाना कानूनी रूप से उसका हो जाएगा। किसान ने मन ही मन एक योजना बनाई।
उसने खजाने को फिर से वही दबा दिया और गाँव की ओर चल पड़ा। उसने अपना घर, अपनी थोड़ी सी ज़मीन, और अपनी सारी संपत्ति बेचनी शुरू कर दी। गाँव के लोग हैरान थे कि वह क्यों सब कुछ बेच रहा है। लेकिन किसान ने किसी को कुछ नहीं बताया। वह जानता था कि यह एक बहुत बड़ी योजना का हिस्सा है।
जब उसके पास पर्याप्त पैसा हो गया, तो वह उस खेत के मालिक के पास गया और उसने पूरा खेत खरीद लिया। खेत का मालिक खुश था, क्योंकि उसे पता नहीं था कि खेत में खजाना दबा हुआ है। किसान ने खुशी-खुशी सौदा किया और खेत का मालिक बन गया।
अब किसान को वह अनमोल खजाना कानूनी रूप से मिल गया था। वह अब न सिर्फ संपन्न था, बल्कि उसे परम आनंद और शांति भी मिली। उसकी मेहनत और बलिदान ने उसे एक नए जीवन की ओर अग्रसर कर दिया था। वह जानता था कि उसने जो पाया है, वह साधारण दौलत नहीं है, बल्कि एक ऐसी दौलत है जो जीवनभर के लिए है।
सीख
- यह दृष्टांत हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। परमेश्वर का राज्य एक अनमोल खजाने के समान है। जैसे किसान ने खजाने के लिए अपनी सारी संपत्ति बेच दी, वैसे ही हमें भी परमेश्वर के राज्य के लिए हर चीज़ का त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह दृष्टांत यह नहीं कहता कि हमें अपनी संपत्ति छोड़नी चाहिए, बल्कि यह सिखाता है कि हमें अपनी प्राथमिकताओं को पहचानना चाहिए और परमेश्वर के राज्य को सबसे ऊँचा स्थान देना चाहिए।
- खजाना छिपा हुआ था, जिसका अर्थ है कि हर कोई इसे नहीं देखता। हमें परमेश्वर के राज्य की महिमा को समझने के लिए जागरूक और समर्पित होना चाहिए। कई बार यह खजाना सीधे सामने नहीं आता, और हमें इसे पाने के लिए कड़ी मेहनत और प्रयास करने पड़ते हैं।
- किसान ने जब खजाना पाया, तो उसने तुरंत उसे ले नहीं लिया, बल्कि पहले उसने कानूनी रूप से खेत को अपना बनाया। इसका मतलब यह है कि हमें सही तरीके से, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ परमेश्वर के राज्य को प्राप्त करना चाहिए। यह केवल बाहरी कर्मकांड या दिखावे से नहीं मिलता, बल्कि दिल से समर्पण और ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करने से मिलता है।
- कहानी यह भी सिखाती है कि जब कोई व्यक्ति परमेश्वर के राज्य की महिमा को समझ लेता है, तो वह उसके लिए हर चीज़ का त्याग करने के लिए तैयार हो जाता है। किसान ने अपनी सारी संपत्ति बेच दी क्योंकि वह जानता था कि खजाना उसकी हर संपत्ति से कहीं अधिक कीमती है। इसी प्रकार, जब हम परमेश्वर के राज्य को समझते हैं, तो हम अपने स्वार्थ, अहंकार और दुनियावी इच्छाओं को छोड़ने के लिए तैयार होते हैं।
- दृष्टांत का मुख्य संदेश यह है कि परमेश्वर का राज्य सबसे बड़ा खजाना है। इसे पाने के लिए हमें बलिदान देना पड़ता है, लेकिन यह बलिदान अनमोल होता है। जैसे किसान को खजाने के मिलने के बाद सच्ची खुशी मिली, वैसे ही परमेश्वर के राज्य को पाने के बाद हमें भी सच्चा आनंद और शांति मिलती है।
निष्कर्ष:
यह दृष्टांत सरल लेकिन अत्यंत गहन है। यह हमें जीवन की सच्ची संपत्ति की पहचान करने के लिए प्रेरित करता है। दुनियावी धन और संपत्ति अस्थायी होते हैं, लेकिन परमेश्वर का राज्य अनंत और स्थायी है। इसे प्राप्त करने के लिए हमें अपने जीवन में सही निर्णय लेने होते हैं और उन चीज़ों का त्याग करना होता है, जो हमें इससे दूर ले जाती हैं।
जैसे किसान ने खजाने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया, वैसे ही हमें भी परमेश्वर के राज्य के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए तैयार रहना चाहिए। सच्ची संपत्ति हमारे अंदर होती है, जिसे खोजने के लिए समर्पण, धैर्य और विश्वास की आवश्यकता होती है।