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धनी मूर्ख का दृष्टांत | Bible Parable Of The Rich Fool In Hindi

धनी मूर्ख का दृष्टांत बाइबल (Bible Parable Of The Rich Fool In Hindi)

धन-संपत्ति का संचय हर मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। लेकिन, यदि यह संचय केवल स्वार्थ, भौतिक सुख और दिखावे के लिए हो, तो यह विनाशकारी हो सकता है। बाइबल में यीशु मसीह ने ऐसे ही एक धनी व्यक्ति का दृष्टांत सुनाया, जिसे “धनी मूर्ख” कहा गया। यह दृष्टांत हमें जीवन की सच्ची संपत्ति और मानव जीवन की अनिश्चितता का मूल्य सिखाता है।

 Parable Of The Rich Fool In Hindi

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Parable Of The Rich Fool In Hindi

कई वर्ष पहले, एक गाँव में एक धनी किसान रहता था। उसके पास बहुत सी जमीन-जायदाद, अनाज के भंडार, और संपत्ति थी। उसकी फसलें इतनी प्रचुर मात्रा में होती थीं कि उसे हर साल नए भंडार बनवाने पड़ते। वह अपने धन और संपत्ति पर गर्व करता और सोचता कि उसका भविष्य सुरक्षित है।

एक दिन, उसकी फसल असाधारण रूप से अच्छी हुई। खेतों में अनाज इतना भर गया कि उसके पुराने भंडार पूरी तरह से भर गए। किसान अपनी सफलता पर फूला न समाया, लेकिन जल्द ही उसे समस्या का एहसास हुआ। उसने खुद से कहा, “मेरे पास इतनी जगह नहीं है कि इस सारी फसल को जमा कर सकूं। अब मुझे क्या करना चाहिए?”

फिर उसने एक योजना बनाई। उसने सोचा, “मैं अपने पुराने भंडार तोड़ दूंगा और उनसे भी बड़े भंडार बनवाऊंगा। मैं सारा अनाज और अपनी बाकी संपत्ति इन नए भंडारों में जमा कर लूंगा। तब मुझे कई सालों तक कुछ भी करने की जरूरत नहीं होगी। मैं आराम से बैठकर खाऊंगा, पीऊंगा और मौज-मस्ती करूंगा।”

उस किसान ने तुरंत अपने काम पर लगने का फैसला किया। उसने अपने मजदूरों को बुलाया और पुराने भंडार तोड़कर नए, बड़े भंडार बनवाने का आदेश दिया। दिन-रात काम चलता रहा, और आखिरकार, बड़े भंडार तैयार हो गए। किसान ने अपनी फसल और संपत्ति उनमें भर दी। अब उसे लग रहा था कि वह दुनिया का सबसे बुद्धिमान और भाग्यशाली व्यक्ति है।

उस रात, किसान अपने आलीशान घर में बैठा था। उसने सोचा, “अब मुझे किसी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मैं अपना पूरा जीवन सुख और आराम में बिता सकता हूँ।” वह अपनी योजनाओं को लेकर संतुष्ट और आत्ममुग्ध था। लेकिन, उसे यह नहीं पता था कि उसके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ आने वाला है।

अचानक, आधी रात को उसकी नींद टूटी। उसने एक गहरी, गंभीर आवाज सुनी। वह आवाज जैसे आसमान से आ रही थी। आवाज ने कहा, “अरे मूर्ख व्यक्ति! आज रात तुम्हारी आत्मा तुमसे मांग ली जाएगी। तब बताओ, जो कुछ तुमने जमा किया है, वह किसका होगा?”

किसान सन्न रह गया। उसे अपनी योजनाओं की नासमझी का एहसास हुआ, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उसी रात, उसकी मृत्यु हो गई। उसके भरे हुए भंडार और सारी संपत्ति दूसरों के हाथों में चली गई। वह अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सका। 

यीशु ने इस कहानी को सुनाने के बाद कहा, “ऐसा ही होता है उनके साथ, जो अपने लिए संपत्ति इकट्ठा करते हैं, लेकिन ईश्वर के प्रति धनी नहीं होते।”

सीख

इस दृष्टांत से कई महत्वपूर्ण शिक्षाएँ मिलती हैं:

1. जीवन की अनिश्चितता: मनुष्य के पास कोई गारंटी नहीं है कि वह कल जीवित रहेगा। भविष्य की चिंता में व्यस्त रहने से वर्तमान में ईश्वर और दूसरों के प्रति हमारी जिम्मेदारी नजरअंदाज हो जाती है।

2. सच्ची संपत्ति का महत्व: भौतिक संपत्ति केवल इस दुनिया के लिए है। असली संपत्ति वह है जो हम अपने अच्छे कर्मों, परोपकार और ईश्वर पर विश्वास के माध्यम से अर्जित करते हैं। 

3. स्वार्थ का परिणाम: स्वार्थ और लोभ हमें ईश्वर से दूर कर देते हैं। जो केवल अपनी इच्छाओं और सुख-सुविधाओं के लिए जीते हैं, उनका अंत दुःखद होता है।

4. ईश्वर के प्रति धनी होना: सच्चा धन ईश्वर के प्रति आस्था और दूसरों की सेवा में है। भौतिक संपत्ति जीवन का अंतिम उद्देश्य नहीं हो सकती।

इस दृष्टांत का मूल संदेश यह है कि धन का सही उपयोग ही इसे सार्थक बनाता है। मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी संपत्ति का उपयोग दूसरों की भलाई और ईश्वर की महिमा के लिए करे। यही जीवन का सच्चा अर्थ है। 

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