गेहूं और जंगली बीज का दृष्टांत बाइबल (Parable Of Wheat And Tares In Hindi Bible) बाइबल में यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों को समझाने के लिए कई दृष्टांतों का उपयोग किया। इन दृष्टांतों के माध्यम से उन्होंने गहरे आध्यात्मिक सत्य और नैतिक शिक्षा को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया ताकि आम लोग उन्हें समझ सकें और अपने जीवन में लागू कर सकें। ऐसे ही एक दृष्टांत में उन्होंने गेंहू और जंगली बीज का उदाहरण दिया है, जिसे मत्ती 13:24-30 में वर्णित किया गया है। यह दृष्टांत अच्छे और बुरे के सह-अस्तित्व और अंतिम न्याय पर केंद्रित है। इसमें सिखाया गया है कि कैसे संसार में अच्छाई और बुराई एक साथ रहते हैं, और कैसे अंत में परमेश्वर का न्याय दोनों को अलग करेगा।
Parable Of Wheat And Tares In Hindi
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एक समय की बात है, यीशु ने अपने शिष्यों और श्रोताओं को एक दृष्टांत सुनाया। उन्होंने कहा, “स्वर्ग का राज्य उस व्यक्ति के समान है जिसने अपने खेत में अच्छे गेंहू के बीज बोए। उस व्यक्ति ने बहुत मेहनत से अपने खेत की जुताई की थी और उसमें सिर्फ अच्छे बीज ही डाले थे। उसने अपने खेत की बहुत देखभाल की ताकि फसल अच्छी हो और उसे अपने श्रम का पूरा फल मिल सके।
परंतु, जब रात आई और सभी लोग सो रहे थे, उस किसान का दुश्मन चुपके से उसके खेत में आकर जंगली बीज (दुष्ट बीज) बो गया। यह काम वह बुरी नीयत से करता है, ताकि किसान की फसल नष्ट हो जाए। उसे पता था कि ये जंगली बीज गेंहू के साथ बढ़ेंगे और फसल को बर्बाद कर देंगे।
कुछ समय बीतने के बाद, गेंहू के पौधे उगने लगे और उनके साथ जंगली बीज भी बढ़ने लगे। जब खेत के मजदूरों ने यह देखा, तो वे चिंतित हो गए और जाकर किसान से कहा, ‘स्वामी, आपने तो अपने खेत में अच्छे बीज बोए थे। फिर ये जंगली बीज कहाँ से आ गए?’
किसान ने उत्तर दिया, ‘यह किसी दुश्मन का काम है।’
मजदूरों ने किसान से पूछा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम जाकर इन जंगली बीजों को उखाड़ दें?’
किसान ने उन्हें रोका और कहा, ‘नहीं, क्योंकि यदि तुम जंगली बीज उखाड़ने जाओगे, तो शायद गेंहू भी उनके साथ उखड़ जाएगा। उन्हें अभी बढ़ने दो। दोनों को एक साथ बढ़ने दो जब तक कि कटाई का समय न आ जाए। तब, कटाई के समय मैं कटाई करने वालों से कहूँगा कि पहले जंगली बीज इकट्ठा करें और उन्हें जलाने के लिए बंध लें। उसके बाद वे अच्छे गेंहू को इकट्ठा कर मेरे खलिहान में जमा करेंगे।'”
यह कहकर यीशु ने दृष्टांत समाप्त किया और शिष्यों को इसके गहरे अर्थ समझने का निमंत्रण दिया।
सीख
- यह दृष्टांत अच्छाई और बुराई के सह-अस्तित्व की एक महत्वपूर्ण सच्चाई को दर्शाता है। संसार में अच्छाई (गेंहू) और बुराई (जंगली बीज) दोनों एक साथ बढ़ते हैं। जैसे किसान ने अपने खेत में अच्छे बीज बोए थे, वैसे ही परमेश्वर ने संसार में अच्छाई और सत्य की स्थापना की। लेकिन, शैतान, जो किसान का दुश्मन है, बुराई और पाप को फैलाने का काम करता है। वह धोखे से अच्छे लोगों के बीच बुरे प्रभाव डालता है ताकि अच्छाई कमजोर हो जाए।
- इस दृष्टांत का एक मुख्य संदेश यह है कि हमें संसार में अच्छाई और बुराई के सह-अस्तित्व को स्वीकार करना होगा। हम अक्सर यह चाहते हैं कि बुराई तुरंत समाप्त हो जाए, लेकिन परमेश्वर का तरीका और समय हमारे से भिन्न हो सकता है। किसान का निर्णय जंगली बीज को उसी समय न उखाड़ने का था, क्योंकि इससे गेंहू को नुकसान हो सकता था। इसी प्रकार, परमेश्वर भी बुराई को तुरंत समाप्त नहीं करते, क्योंकि उनका उद्देश्य है कि सभी लोगों को पश्चाताप का समय और अवसर मिले।
- यह दृष्टांत न्याय और धैर्य का भी प्रतीक है। अंततः, अंतिम न्याय के समय परमेश्वर अच्छे और बुरे का उचित निर्णय करेंगे। जैसे कटाई के समय किसान ने जंगली बीज को गेंहू से अलग करने का आदेश दिया, वैसे ही अंत समय में परमेश्वर पापियों और धर्मियों को अलग करेंगे। पापियों को उनके पापों के कारण दंडित किया जाएगा, जबकि धर्मियों को उनका इनाम मिलेगा और वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे।
- इस दृष्टांत का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हमें खुद को जज बनने से बचना चाहिए। जैसे मजदूरों को गेंहू और जंगली बीज को एक साथ बढ़ने देने का आदेश दिया गया, वैसे ही हमें दूसरों के बारे में जल्दी निर्णय नहीं करना चाहिए। बुराई को पहचानना और उससे दूर रहना आवश्यक है, लेकिन यह परमेश्वर का काम है कि वह अंत में निर्णय करें कि कौन अच्छा है और कौन बुरा।
- अंत में, गेंहू और जंगली बीज का दृष्टांत हमें सिखाता है कि हमें धैर्यवान और सहनशील होना चाहिए, अच्छाई के साथ बढ़ने का प्रयास करना चाहिए, और यह विश्वास रखना चाहिए कि परमेश्वर न्याय करेंगे।
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