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पशु प्रेम पर कहानी | Pashu Prem Ki Kahani

पशु प्रेम पर कहानी (Pashu Prem Ki Kahani) यह कहानी है अनिरुद्ध और एक आवारा कुत्ते बूटू की, जो अनिरुद्ध के जीवन में न केवल उसका साथी बनता है, बल्कि उसे जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक भी सिखाता है।

अनिरुद्ध एक महानगर में रहने वाला एक युवा, व्यस्त और महत्वाकांक्षी लड़का था। उसे जानवरों से कोई खास लगाव नहीं था। उसे लगता था कि उसकी जिंदगी में किसी इंसान या जानवर की जगह नहीं है, क्योंकि वह केवल अपने करियर और खुद की जिंदगी को संवारने में ही व्यस्त रहता था। लेकिन किस्मत ने उसे ऐसा मोड़ दिखाया, जहाँ उसे न केवल एक नयी दृष्टि मिली, बल्कि अपने जीवन में सच्चे प्रेम और दया का महत्व भी समझ आया।  

Pashu Prem Ki Kahani

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Pashu Prem Ki Kahani

अनिरुद्ध एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर था, और दिन-रात अपने काम में ही डूबा रहता था। उसके पास न तो किसी रिश्ते का वक्त था, न किसी दोस्त का। उसे बस तरक्की और पैसे कमाने की होड़ थी। एक दिन जब वह ऑफिस से लौट रहा था, तो उसे एक छोटा मरियल सा कुत्ता दिखाई दिया, जो बारिश में भीगकर ठंड से काँप रहा था। अनिरुद्ध ने उसे देखा तो उसे उस पर दया तो आयी, लेकिन उसने उसे अनदेखा कर दिया और अपनी कार में बैठकर घर चला गया।

अगले दिन जब वह अपने ऑफिस जा रहा था, तो वही कुत्ता उसे फिर से सड़क के किनारे पड़ा दिखाई दिया। इस बार उसने महसूस किया कि कुत्ता बीमार और कमजोर लग रहा था। न जाने क्यों, इस बार अनिरुद्ध का दिल पसीज गया। उसने पास की एक दुकान से बिस्किट खरीदे और उस कुत्ते के पास जाकर उसे खाने के लिए दिए। वह कुत्ता कमजोर था, फिर भी उसने बिस्किट खाये और अपनी छोटी सी पूंछ हिलाकर जैसे अनिरुद्ध का धन्यवाद किया। अनिरुद्ध को उसकी ये मासूमियत अच्छी लगी और उसने उसे बूटू नाम दिया। 

धीरे-धीरे अनिरुद्ध का रूटीन बनने लगा कि वह रोज़ बूटू के लिए कुछ न कुछ खाने का सामान लेकर आता और उसके साथ कुछ समय बिताता। उसकी जिन्दगी में बूटू एक साथी जैसा बन गया था। पहले वह उसे महज दया के भाव से देखता था, लेकिन अब उसे उससे लगाव हो गया था। 

फिर एक दिन अनिरुद्ध का अचानक तबादला दूसरे शहर में हो गया। वह खुश था, क्योंकि यह उसके करियर के लिए एक बड़ा अवसर था, लेकिन बूटू का ख्याल आते ही उसे दुख भी हुआ। वह एक हफ्ते तक उससे मिलने नहीं गया, क्योंकि उसने सोचा कि उससे दूर होने से ही बेहतर होगा कि वह उससे मिलने ही न जाए। 

लेकिन बूटू भी अनिरुद्ध से बहुत जुड़ गया था। उसने रोज़ अनिरुद्ध का इंतजार किया और जब अनिरुद्ध नहीं आया, तो वह बेचैन रहने लगा। बूटू अब कमजोर होता जा रहा था, लेकिन वह रोज़ उसी जगह पर बैठा रहता, उम्मीद करते हुए कि अनिरुद्ध फिर से आएगा।

एक दिन अनिरुद्ध ने उस जगह जाने का फैसला किया, जहाँ वह रोज बूटू से मिलता था। जब वह वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि बूटू वहीँ बैठा था, बहुत कमजोर और बीमार हालात में। उसे देखकर अनिरुद्ध का दिल भर आया। उसने तुरंत बूटू को अपनी गोद में उठाया और एक पशु चिकित्सक के पास ले गया। 

डॉक्टर ने बताया कि बूटू को कुपोषण और ठंड की वजह से निमोनिया हो गया है। उसकी हालत नाजुक थी, लेकिन अगर उसकी अच्छे से देखभाल की जाए, तो वह बच सकता था। अनिरुद्ध ने बूटू को अपने साथ घर ले जाने का फैसला किया और उसका ध्यान रखना शुरू किया। 

उसने बूटू की सेहत का ख्याल रखा, उसे समय पर दवा दी और धीरे-धीरे बूटू फिर से स्वस्थ हो गया। बूटू अब एक प्यारा मस्तीखोर कुत्ता बन गया था, जो हर वक्त अनिरुद्ध के आसपास ही घूमता रहता। अनिरुद्ध ने भी अब महसूस किया कि बूटू उसकी जिंदगी में कितना महत्वपूर्ण हो गया है। बूटू की मासूमियत और निस्वार्थ प्रेम ने अनिरुद्ध के दिल में एक नई तरह की खुशी और शांति भर दी थी।

एक दिन अनिरुद्ध के ऑफिस में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था और वह उसमें बहुत व्यस्त था। इसी बीच एक रात बूटू अचानक बीमार हो गया। अनिरुद्ध ने ध्यान नहीं दिया और सोचा कि अगले दिन वह उसे डॉक्टर के पास ले जाएगा। अगले दिन, जब अनिरुद्ध ने देखा कि बूटू की हालत बहुत खराब हो चुकी थी, तब वह घबरा गया। उसने तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाने का फैसला किया।

रास्ते में बूटू ने एक बार अपनी आंखें खोलीं और अनिरुद्ध की ओर देखा। उसकी आँखों में दर्द था, लेकिन फिर भी वह अपनी कमजोर सी पूंछ हिलाकर अनिरुद्ध को देखने लगा। अनिरुद्ध की आँखों में आँसू आ गए। उसने समझा कि उसका प्यार और उसकी परवाह बूटू के लिए ही थी, लेकिन उसने काम के चलते बूटू को नज़रअंदाज़ किया। 

बूटू ने अनिरुद्ध की गोद में ही अपनी आखिरी सांस ली। अनिरुद्ध उस वक्त बहुत दुखी हो गया। उसने महसूस किया कि किसी का प्यार और साथ कितना अनमोल होता है। वह समझ गया कि सच्चे प्रेम का मूल्य समझने के लिए हमें सिर्फ इंसान ही नहीं, बल्कि हर जीव-जंतु से प्रेम करना चाहिए। 

अनिरुद्ध ने बूटू के जाने के बाद एक पशु संरक्षण संस्था से जुड़ने का फैसला किया, ताकि वह दूसरे बेसहारा पशुओं की मदद कर सके। बूटू ने उसे प्रेम, करुणा और जिम्मेदारी का सबक सिखा दिया था। बूटू ने अनिरुद्ध के दिल में जो जगह बनाई थी, वह हमेशा खाली रहेगी, लेकिन उसने अनिरुद्ध को जीवन का एक नया मकसद दे दिया था। 

सीख

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि पशु भी इंसान की तरह ही भावनाएँ रखते हैं और उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी होती है। बूटू की निस्वार्थ प्रेम और वफादारी ने अनिरुद्ध को यह सिखाया कि जीवन में सच्चा सुख करुणा, प्रेम और जिम्मेदारी में है, न कि केवल पैसे और सफलता में। हर जीव की भावनाओं का आदर करना और उसकी देखभाल करना ही असली इंसानियत है।

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