पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की सफ़लता की कहानी | Paytm Founder Vijay Shekhar Sharma Success Story In Hindi

इस पोस्ट में हम PayTm Founder Vijay Shekhar Sharma Biography And Success Story In Hindi शेयर कर रहे हैं. 

PayTm Founder Vijay Shekhar Sharma Biography Success Story In Hindi

पेटीएम (Paytm) एक ऑनलाइन पेमेंट, ई-कॉमर्स और फाइनेंसियल सर्विस प्रदान वाली एक भारतीय कंपनी है, जिसका मुख्यालय नोएडा (उत्तर प्रदेश) में है. पेटीएम के मालिक/संस्थापक हैं – विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma), जिन्होंने अगस्त 2010 में पेटीएम (Paytm) कंपनी की स्थापना की थी.

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2 मिलियन डॉलर के प्रारंभिक निवेश से प्रारंभ किये गये पेटीएम का वर्ष 2020 में revenue 3629 करोड़ था. अपनी कंपनी को इस स्तर तक पहुँचाने की राह विजय शेखर शर्मा के लिए आसान नहीं रही. उन्होंने अपनी कमजोरियों पर विजय पाई, विपरीत परिस्थितयों से लड़े, दिल की सुनी और अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में मेहनत करते रहे. उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीज़ा है कि आज वे इस मुकाम पर खड़े हैं, जहाँ वो लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं.

आइये जानते हैं पेटीएम की सफ़लता की कहानी और उसके संस्थापक विजय शेखर शर्मा के जीवन और संघर्ष की कहानी :

PayTm Owner Vijay Shekhar Sharma Success Story In Hindi

Table of Contents

Vijay Shekhar Sharma Biography In Hindi 

नाम श्री विजय शेखर शर्मा
जन्म 15 जुलाई 1978
जन्म स्थान अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) भारत
शिक्षा स्नातक इंजीनियरिंग
व्यवसाय PayTm के संस्थापक

विजय शेखर शर्मा का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा| Vijay Shekhar Sharma Date Of Birth And Early Life

विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. उसके पिता शिक्षक और माता गृहणी थी. उनका बचपन अलीगढ़ में बीता. प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अलीगढ़ में ही प्राप्त की.

विजय शेखर शर्मा की शिक्षा | Vijay Shekhar Sharma Education 

विजय शेखर के स्कूली जीवन का आरंभ अलीगढ़ में हुआ. बारहवीं तक की शिक्षा अलीगढ़ में प्राप्त करने के बाद वे कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए.

विजय शेखर शर्मा का स्कूली जीवन | Vijay Shekhar Sharma School Life

विजय की प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ के एक हिंदी माध्यम स्कूल में हुई थी. वे प्रारंभ से ही मेधावी थे और कक्षा में हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करते थे. मात्र 14 वर्ष की आयु में ही उन्होंने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी.

विजय शेखर शर्मा ने इंजीनियरिंग कॉलेज में लिया दाखिला| Vijay Shekhar Sharma College Life 

12वीं के बाद उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने का विचार कर ‘Delhi College Of Engineering’ में दाखिला ले लिया. इंजीनियरिंग कॉलेज में उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती अंग्रेजी भाषा साबित हुई.

हिंदी माध्यम के छात्र होने के कारण उनकी अंग्रेजी भाषा पर पकड़ कमज़ोर थी. इस कारण वे क्लास में अंग्रेजी में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दे पाते थे. नतीज़न, स्कूल के दौरान हमेशा क्लास की प्रथम बेंच पर बैठने वाले विजय कॉलेज में अंतिम बेंच पर बैठने लगे.

कमज़ोर अंग्रेजी के कारण विजय पढ़ाई में पिछड़ने लगे. उनके लिए semester exam पास कर पाना भी मुश्किल हो गया. अपने स्कूली जीवन में टॉपर रहे विजय के लिए ये कहीं न कहीं अपमानजक भी था. असर ये हुआ कि इंजीनियरिंग छोड़ने का विचार उनके दिमाग पर हावी होने लगा.

लेकिन उन्होंने इन विचारों पर काबू पाया और हार न मानने का फैसला किया. उन्होंने अंग्रेजी की किताबें ख़रीदी और दोस्तों के मदद से अपनी अंग्रेजी में सुधार करने का प्रयास करने लगे. वे किसी भी विषय की हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा की किताबें लेकर आते और साथ-साथ उन्हें पढ़ते. धीरे-धीरे उनका प्रयास रंग लाने लगा और उन्होंने अपनी अंग्रेजी भाषा में काफ़ी सुधार कर लिया.

Business के प्रति रूझान

विजय कॉलेज की पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं कर पा रहे थे. अपनी यह frustration उन्होंने computer lab में निकाली और अपने दिन का अधिकांश समय computer के साथ बिताने लगे.

दरियागंज के संडे मार्केट से वे 5-10 रुपये में सेकंड हैंड किताबें और मैगज़ीन ख़रीदा करते थे. वहीँ से एक दिन उन्होंने fortune magazine ख़रीदी और पहली बार मैगज़ीन के ज़रिये अमरीका की Silicon Valley के बारे में जाना.   

यह 1995-96 की बात है. उन दिनों internet business तो बहुत दूर, websites भी बहुत कम हुआ करती थी. उस समय India में मात्र indiagate नाम की एक वेबसाइट थी. यहाँ तक कि US में भी Tripod और Jiocity जैसे गिनी-चुनी websites ही थीं. यह वह समय था, जब yahoo एक छोटी सी web directory भर थी. लेकिन विजय के मन में computer और internet के क्षेत्र में कुछ करने का विचार जन्म लेने लगा था.

वे Standford University जाकर पढ़ने का सपना देखने लगे, क्योंकि Sillicon Vally’s के कई बड़े-बड़े उद्योगपति ने Standford University से ही पढ़ाई की थी. लेकिन कमज़ोर आर्थिक स्थिति उन्हें विदेश जाकर पढ़ने की इज़ाज़त नहीं देती थी.

मगर कुछ कर गुजरने की चाह मन में घर कर चुकी थी और इसके लिए विदेश जाकर पढ़ना ही एकमात्र रास्ता नहीं था. उन्होंने सोचा कि कुछ करने का ज़ज़्बा हो, तो कहीं भी रहकर कुछ भी किया जा सकता है और उन्होंने भारत में रहकर कुछ बड़ा कर गुजरने की ठान ली. वे दिग्गजों की राह पर चलते हुए किताबें पढ़कर ख़ुद से coding सीखने लगे.

XS Company की स्थापना | Founded XS Company

Coding सीखने के बाद विजय ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक search engine बनाया. फिर उन्होंने आज के WordPress की तरह एक Content Management System भी तैयार किया. कई अख़बारों को उनका बनाया Content Management System बहुत पसंद आया और The Indian Express सहित कई बड़े अख़बार इसे इस्तेमाल करने लगे. इस तरह इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष में ही विजय अपनी एक कंपनी खोल ली, जिसे उन्होंने XS Company का नाम दिया.

19999 में उन्होंने अपनी यह कंपनी ‘Lotus Interworks’ नामक अमरीकन कंपनी को ५ लाख डॉलर में बेच दी. उन्होंने विजय को भी employee के तौर पर अपनी कंपनी में रख लिया. वहाँ काम करते हुए विजय को ये समझ आ गया कि वे business के लिए बने हैं और वे दूसरों की नौकरी नहीं कर सकते. उस समय भारत में भी internet business की थोड़ा-बहुत फलने-फूलने लगा था. भारत में naukari.com, makemytrip.com जैसे website based business का दौर प्रारंभ हो चुका था. इस दौर में विजय भी अपना कुछ business करना चाहते थे.

One97 Company की स्थापना | Founded One97 Company 

‘Lotus Interworks’ की नौकरी छोड़ने के बाद वर्ष 2001 में विजय ने One97 नामक कंपनी की स्थापना की. यह एक content service प्रदान करने वाली कंपनी थी. ये call और sms द्वारा लोगों तक internet content पहुँचाती थी. 

वे पूरी लगन और मेहनत से इस कंपनी को बड़ा करने में लग गए. कंपनी बड़ी तो हो रही थी, लेकिन साथ ही खर्चा भी बढ़ रहा था. sever, staff सहित अन्य खर्चे manage करना आसान नहीं था. वह भी तब, जब आपको कंपनी से मुनाफ़ा न हो रहा हो.

विजय दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेकर किसी तरह कंपनी को चला रहे थे. कंपनी की पूरी कमाई staff की salary देने, server के maintenance और ऑफिस के अन्य ख़र्चों सहित लोगों का उधार चुकाने में निकल रही थी. विजय के पास इतना पैसा भी नहीं बचता था कि वे अपने घर के किराया दे सकें. मकान मालिक का सामना करना मुश्किल हो रहा था. वे आधी रात के बाद अपने घर जाते और सुबह होने के पहले घर से निकल जाते, ताकि मकान मालिक का सामना करने से बच सकें.   

साल गुजरते जा रहे थे. उधार का बोझ बढ़ते-बढ़ते 8 लाख तक पहुँच चुका था. आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब हो चुकी थी कि कई बार उनकी जेब में खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. वे अपने मित्रों के घर चले जाते थे, ताकि वहाँ उन्हें कुछ खाने को मिल सके. दिल्ली के मूलचंद बाज़ार में एक पराठे वाली दुकान में कम कीमत पर मिलने वाले पराठे खाकर वे अपना काम चला रहे थे.  

दिन पर दिन बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखकर विजय ने कई part-time job हाथ में ले लिए. वे कई companies में जाकर consultancy और training देने लगे. इस काम के उन्हें 1 दिन के 1000 रुपये तक मिल जाते थे. computer और networking solution के काम से भी कुछ पैसे निकल जाते थे. हाल ये था कि उनकी company One97 का संचालन staff कर रहा था और विजय खर्चे उठाने के लिए दूसरी companies की website बना रहे थे या अन्य काम कर रहे थे. 

Consultancy का काम करते हुए एक दिन विजय मुलाकात पीयूष अग्रवाल से हुई, जिन्हें अपनी company के software के लिए विजय की सहायता और परामर्श की आवश्यकता थी. विजय की सहायता से पीयूष ने अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा कमाया. वे विजय से बेहद प्रभावित हुए और उनके सामने अपनी कंपनी में CEO का पद संभालने का प्रस्ताव रखा. लेकिन विजय ने वह job offer यह कहते हुए ठुकरा दिया कि मुझे अपनी ख़ुद की कंपनी चलानी है.

एक तरफ विजय अपनी कंपनी चलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर उनके परिवार का शादी के लिए दबाव बढ़ने लगा. वे चाहते थे कि विजय कहीं एक अच्छी सी नौकरी कर लें, ताकि उनकी शादी हो सके. घर वालों के दबाव को देखते हुए विजय ने बीच का रास्ता निकाला.

वे पीयूष अग्रवाल से मिले और उनसे सामने यह प्रस्ताव रखा कि आधा दिन वे उनकी कंपनी का काम देखेंगे और आधा दिन अपनी कंपनी का काम करेंगे. इसके लिए हर महीने उन्होंने 30,000 रुपये salary की demand की. पीयूष अग्रवाल को इतना किफ़ायती CEO कहीं और नहीं मिल सकता था. उन्होंने विजय की बात मान ली. उन्होंने विजय के ऑफिस के लिए भी उसी बिल्डिंग में व्यवस्था करवा दी, जहाँ उनका ख़ुद का ऑफिस था. इस तरह विजय के लिए दोनों कंपनी पर एक साथ ध्यान देना आसान हो गया.  

धीरे-धीरे विजय की कंपनी पटरी पर आने लगी. लेकिन 8 लाख रूपये के उधार का बोझ अब भी सिर पर था. एक दिन विजय ने उधार चुकाने के लिए पीयूष अग्रवाल से कर्जा मांगा. पीयूष ने उन्हें कर्ज देने से तो मना कर दिया. लेकिन वे 8 लाख रुपये उनकी कंपनी में पूंजी लगाने राज़ी हो गए. इस तरह One97 company में 40% हिस्सेदारी पीयूष अग्रवाल की हो गई.

पेटीएम (Patym) का इतिहास | History Of PayTm 

One97 company अब पटरी पर आ चुकी थी. इस बीच स्मार्ट फोन की लोकप्रियता देखकर विजय के दिमाग में “cash less transaction” का आईडिया आया. अपने इस आईडिया को लेकर वे अपनी कंपनी के बोर्ड के समक्ष गए. लेकिन कंपनी ने लंबे समय बाद स्थायित्व प्राप्त किया था. ऐसे में किसी नए आईडिया पर काम करने का रिस्क उठाने बोर्ड राज़ी नहीं हुआ.

Company Board द्वारा वह आईडिया नकार दिए जाने के बाद भी विजय उस पर काम करने के लिए उत्सुक थे. उन्होंने अपनी personal equity का 1% इस आईडिया में इस्तेमाल कर 2010 में Patym की स्थापना की.   

प्रारंभ में Paytm द्वारा दी जाने वाली सेवाएं थी – mobile recharge और DTH recharge. धीरे-धीरे Patym ने सेवाओं का दायरा बढ़ाया और gas bill payment, electricity bill payment की सेवायें भी देने लगी.

2014 में उन्होंने online wallet की सुविधा प्रदान की और बाद में उन्होंने Paytm पर e-commerce प्लेटफार्म भी प्रदान कर विभिन्न वस्तुओं का विक्रय का काम भी प्रारंभ किया गया.

पेटीम को प्राप्त पूंजी निवेश | Paytm Funding

सफलता के मार्ग पर चलने के साथ ही जैक माँ, रतन टाटा, राकेश झुनझुनवाला, वारेन बुफे से भी निवेश प्राप्त हुआ. 

पेटीएम का रेवेन्यू मॉडल  | Paytm Revenue Model

  • Paytm का एक revenue model ‘Paytm For Business’ है. इस revenue model के अंतर्गत Paytm सभी बड़े transaction पर seller से GST सहित 55% charge वसूल करता है.
  • Paytm का user base 30 करोड़ का है. यह अपने users को advertisers के Ads दिखाता है. इन Ads के लिए Paytm अपने advertisers को charge करता है. Paytm ने advertisers को monthly subscription और monthly pay per click के हिसाब से payment करने की सुविधा भी दी हुई है.
  • Patym अपने mobile wallet में जमा पैसे की Fixed Deposite कराकर interest भी कमाता है.
  • यह e-commerce platform पर gross sale और up ssale पर भी charge करता है.

पेटीएम पेमेंट बैंक की शुरुआत | Paytm Payment Bank

अगस्त 2015 में पेटीएम को भारतीय रिज़र्व बैंक की तरफ़ से पेमेंट बैंक (Payment Bank) लांच करने का लाइसेंस प्राप्त हुआ. इस अधिकारिक रूप से उद्घाटन नवंबर 2017 में भारतीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली द्वारा किया गया. इसका उद्देश्य भारत भर में 1,00,000 से अधिक बैंकिंग आउटलेट खोलने का है.

पेटीएम पेमेंट बैंक (Paytm Payment Bank) एक पृथक निकाय है, जिसमें 51% शेयर संस्थापक विजय शेखर शर्मा के पास, 39% शेयर One97 Communication और 10% विजय शर्मा तथा One97 की subsidiary के पास है. वर्तमान में इसके मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ श्री सतीश कुमार गुप्ता है.

पेटीएम मॉल की शुरुआत | Paytm Mall

पेटीएम द्वारा फ़रवरी 2017 में Paytm Mall app लांच किया गया. चीन के सबसे बड़े B2C रिटेल प्लेटफॉर्म TMall के मॉडल पर आधारित यह एक ऑनलाइन शॉपिंग एप है, जिसमें लगभग 1.4 लाख विक्रेता पंजीयत है. पेटीएम मॉल के लिए पेटीएम को अलीबाबा ग्रुप और SAIF Partners से मार्च 2018 में 200 मिलियन डॉलर का पूंजी निवेश प्राप्त हुआ था.  

पेटीएम की सफ़लता के कारण | PayTm Success Reasons

  • Cashless Trasaction – Paytm के द्वारा cashless trasaction आसान हो गया. जिससे लोगों को होने वाली छुट्टे की समस्या हल हो गई. आज बड़े से बड़े businessman के साथ-साथ छोटा ठेले वाला और सब्जी वाला तक Paytm पर move कर चुका है.
  • Paytm Offline Model – छोटे डीलर को ध्यान में रखकर Paytm online model के साथ ही offline model भी लेकर आया. जिन छोटे व्यवसायियों के पास online transaction की सुविधा नहीं थी, जिनका ख़ुद का bank account नहीं था, उन्हें भी Paytm wallet की सुविधा दी गई. वे बिना bank account के भी Paytm से जुड़ सकते हैं, बिना bank account के वे Paytm से पैसा ले सकते हैं और Paytm से पैसा खर्च कर सकते हैं. छोटे से छोटे व्यापारी को भी अपने साथ जोड़ लेना Paytm के बहुत काम आया. 

पेटीएम के सामने आई चुनौतियाँ | PayTm Challenges

  • Demonitisation के दौरान Paytm की growth 1000% क्रॉस कर गई. customer base अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गया. अचानक कस्टमर की संख्या में हुई इस वृद्धि को हैंडल करना Paytm के customer care center के लिए मुश्किल हो गया. लोग Paytm के customer care center फ़ोन लगाते और उसे वह हमेशा busy मिलता. इससे लोग परेशान हो गए और उन्होंने अपना गुस्सा twitter जाकर निकाला. सबने Paytm को twitter पर बहुत बुराइयाँ की और इससे Paytm की image बहुत ख़राब हुई. लेकिन Paytm ने अपनी customer care service में सुधार किया और फिर से customers का विश्वास हासिल कर लिया.
  • दूसरी सबसे बड़ी चुनौती Paytm के सामने उसके logo के कारण आई. Paytm के logo की color scheme दुनिया की सबसे बड़ी online payment company ‘Paypal’ से काफ़ी मिलती-जुलती है. इस बात पर ‘Paypal’ ने आपत्ति जताई और Paytm पर कोर्ट केस कर दिया. यह court case वर्तमान में भी court में चल रहा है.

कस्टमर सर्विस बेहतर बनाने के लिए पेटीएम के प्रयास | PayTm Customer Service Efforts

सामने आ रही चुनौतियों के बाद भी Paytm ने हार नहीं मानी और वह विकास करता गया. साथ ही जो भी तकनीकी खामियाँ उसके सिस्टम में थी, वह सुधारता भी गया. Paytm अपनी तकनीक पर बहुत ध्यान दे रहा है, ताकि उसके customer को सर्विस अच्छी मिले और साथ ही fraud की समस्या की गुंजाईश भी खत्म हो जाए.

इसके लिए Paytm कई काम कर रहा है :

  • यह एक Face Recognistion software तैयार कर रहा है, ताकि fraud को आसानी से manage किया जा सके.
  • Cross border trasaction में सुधार की दिशा में भी Paytm काम कर रहा है. Cross border trasaction बहुत slow होता है और साथ ही expensive भी. यहाँ भी Paytm अपने ग्राहकों को अच्छी और वाज़िब सेवा देने की कोशिश में है.
  • Multi-currency को मैनेज करने की दिशा में भी Paytm प्रयासरत है. जब भी अन्य देशों से money transfer होता है, तो अलग currency में होता है, जिसमें कई regularity की समस्या होती है. Paytm इसे भी manage करने की कोशिश कर रहा है.
  • Card data security पर भी काम किया जा रहा है, ताकि fraud पर लगाम लगाया जा सके.

Paytm के पास 7500 लोगों की टीम है और यह ग्राहकों को बेहतरीन सुविधाएँ देने के प्रयास में लगी हुई है. वर्ष 2020 में Paytm कंपनी का रेवेन्यू 3629 करोड़ था और विजय शेखर शर्मा अपनी कंपनी के साथ नित नई सफ़लता के सोपान चढ़ रहे हैं.

Frequently Asked Questions

पेटीएम क्या है? | What Is Paytm?

पेटीएम (Paytm) एक ऑनलाइन पेमेंट, ई-कॉमर्स और फाइनेंसियल सर्विस प्रदान वाली एक भारतीय कंपनी है.

पेटीएम का मालिक कौन है?

पेटीएम के मालिक/संस्थापक विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) है.

वर्तमान में पेटीएम के सीईओ कौन है 2021?

वर्तमान में पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) है.

पेटीएम की स्थापना कब हुई?

पेटीएम की स्थापना अगस्त 2010 में हुई.

पेटीएम कहाँ की कंपनी है?

पेटीएम भारत (India) की कंपनी है.

पेटीएम का मुख्यालय कहां है?

ऑनलाइन पेमेंट और ई-कॉमर्स सर्विस प्रदान करने वाली इस कंपनी का मुख्यालय नोएडा (उत्तर प्रदेश) में है.

क्या पेटीएम चीनी कंपनी है?

नहीं पेटीएम चीनी कंपनी नहीं है. यह एक भारतीय कंपनी है, जो ऑनलाइन पेमेंट और ई-कॉमर्स सर्विस प्रदान करती है.

पेटीएम का वर्ष 2020 में रेवेन्यू कितना था?

पेटीएम का वर्ष 2020 में रेवेन्यू 3629 करोड़ था.

PayTm Bank का CEO कौन है?

Paytm Bank के सीईओ श्री सतीश कुमार गुप्ता है. ये इसके मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं.

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