Moral Story In Hindi

फूल और पत्थर की कहानी | Phool Aur Patthar Ki Kahani

फूल और पत्थर की कहानी (Phool Aur Patthar Ki Kahani)

हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता और हालात भी बदलते रहते हैं। लेकिन यह भी सच है कि अक्सर हम दूसरों की स्थिति का मजाक बनाते हैं, उनके संघर्षों को कम आंकते हैं। इस कहानी में हम एक पत्थर और एक गुलाब के माध्यम से सीखेंगे कि दूसरों को कमतर आंकने की बजाय हमें विनम्रता और समझदारी से काम लेना चाहिए।

Phool Aur Patthar Ki Kahani

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Phool Aur Patthar Ki Kahani

एक हरा भरा बगीचा था, जिसमें खूबसूरत फूल खिले रहते थे। उनमें से एक गुलाब का फूल, सबसे सुंदर और सुगंधित था। उसकी लाल पंखुड़ियां और मीठी महक हर किसी का मन मोह लेती थी। गुलाब को अपनी सुंदरता पर बड़ा घमंड था। वह हमेशा खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझता था।  

उसी बगीचे के पास एक पथरीला रास्ता था, जहां रोज़ राहगीर आते-जाते थे। रास्ते के किनारे एक पत्थर पड़ा था। वह अपनी जगह से कभी हिलता-डुलता नहीं था और राहगीरों की ठोकरें खाता रहता था। कोई उसे दया से देखता भी नहीं था। पत्थर ने कभी किसी से कोई शिकायत नहीं की, वह चुपचाप अपनी जगह पड़ा रहता।  

एक दिन, एक राहगीर ने पत्थर को ठोकर मारी, और वह लुढ़कता हुआ गुलाब के पास आ गिरा। गुलाब ने पत्थर को देखा और ठहाके लगाते हुए कहा, “क्या हाल बना रखा है तुम्हारा? हर किसी की ठोकर खाते रहते हो! तुम्हें देख कर लगता है कि तुम्हारा जीवन तो बेकार है। लोग तुम्हें घृणा से देखते हैं, और तुम उनके पैरों के नीचे पड़े रहते हो।”  

पत्थर ने गुलाब की बातों को ध्यान से सुना। वह जानता था कि उसकी स्थिति वाकई अच्छी नहीं थी, लेकिन उसने विनम्रता से उत्तर दिया, “गुलाब, मैं जानता हूं कि मेरा जीवन बहुत साधारण है। मैं दूसरों की ठोकर खाता हूं, और मेरी कोई सुंदरता या महक भी नहीं है। लेकिन जीवन में समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता। मुझे यकीन है कि मेरा भी समय आएगा।”  

गुलाब ने यह सुनकर और जोर से हंसते हुए कहा, “तुम्हारा समय? तुम मजाक कर रहे हो! तुम्हें तो हर दिन ठोकरें खाने के लिए ही बनाया गया है।”  

कुछ दिनों बाद, एक मूर्तिकार उस रास्ते से गुजरा। उसने पत्थर को देखा और उसकी बनावट को ध्यान से परखा। वह मन ही मन सोचने लगा, “यह पत्थर ठोस और उपयुक्त है। इससे मैं एक अद्भुत मूर्ति बना सकता हूं।”  

उसने पत्थर को उठाया और अपने साथ ले गया। पत्थर के लिए यह यात्रा नई थी। उसने महसूस किया कि कुछ बड़ा होने वाला है।  

मूर्तिकार ने पत्थर को अपने कार्यशाला में ले जाकर उसे तराशना शुरू किया। तराशने की प्रक्रिया आसान नहीं थी। हर छेनी और हथौड़े की चोट पत्थर को दर्द देती थी। लेकिन पत्थर ने धैर्य बनाए रखा। वह जानता था कि यह सब उसकी बेहतरी के लिए हो रहा है।  

धीरे-धीरे, मूर्तिकार ने उस पत्थर को एक सुंदर भगवान की मूर्ति में बदल दिया। मूर्ति इतनी सुंदर और जीवंत दिख रही थी कि उसे देखते ही हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता। मूर्तिकार ने उस मूर्ति को एक बड़े मंदिर में स्थापित करने का फैसला किया।  

उधर, गुलाब अब भी अपने बगीचे में था। वह अपनी सुंदरता पर इतराता रहता था। उसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि पत्थर अब कहां है और क्या बन चुका है।  

एक दिन, उसी मंदिर का उद्घाटन हुआ, जहां पत्थर से बनी भगवान की मूर्ति स्थापित की गई थी। सभी लोग उस मूर्ति की पूजा करने पहुंचे। मंदिर के चारों ओर खुशियां मनाई जा रही थीं। लोगों ने मूर्ति के सामने फूलों की माला चढ़ानी शुरू की।  

गुलाब को भी उसी बगीचे से तोड़ा गया और भगवान की मूर्ति पर चढ़ाया गया। जब गुलाब ने मूर्ति को देखा, तो उसे यकीन ही नहीं हुआ कि यह वही पत्थर है, जिसे वह ठोकर खाने वाला और बेकार समझता था।  

गुलाब ने अपने मन में कहा,  “मैंने इसे हमेशा तुच्छ और बेकार समझा था। लेकिन आज यह इतना पूजनीय और सम्मानित है कि इसे सभी लोग भगवान की तरह मानते हैं। और मैं? मैं तोड़कर इसके चरणों में चढ़ा दिया गया हूं। मैंने इसका उपहास करके कितनी बड़ी भूल की।”  

गुलाब को अपनी कही बातों पर बहुत पछतावा हुआ। उसे समझ में आ गया कि जीवन में हर किसी का अपना समय आता है। जो आज साधारण और उपेक्षित लगता है, वह कल महान बन सकता है। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता।  

मंदिर के पुजारी ने गुलाब को मूर्ति के चरणों पर चढ़ाते हुए कहा, “गुलाब, तुम्हारी सुंदरता भगवान के चरणों में चढ़ने के लिए बनी थी। लेकिन इस मूर्ति को देखो, यह पत्थर का साधारण टुकड़ा हुआ करता था। इसे तप, मेहनत और सहनशीलता ने भगवान की मूर्ति बना दिया।”  

गुलाब ने सोचा, “यह सच है। केवल सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती। धैर्य और सहनशीलता से ही जीवन का असली मूल्य पता चलता है।”  

सीख

इस कहानी से हमें कई महत्वपूर्ण सीख मिलती हैं:  

1. कभी किसी को कम मत आंकिए – हर किसी का समय आता है। जो आज कमजोर या साधारण दिखता है, वह कल महान बन सकता है।  

2. धैर्य और सहनशीलता का महत्व – पत्थर ने मूर्तिकार की हर चोट सहन की और खुद को बदलने दिया। यह दिखाता है कि मेहनत और दर्द सहने से ही हम बेहतर बन सकते हैं।  

3. अहंकार से बचना चाहिए  – गुलाब को अपनी सुंदरता पर घमंड था, लेकिन अंत में उसे अपनी भूल का एहसास हुआ।  

जीवन हमेशा बदलता रहता है। कभी भी किसी की स्थिति देखकर उसका मजाक नहीं बनाना चाहिए। समय और परिश्रम किसी को भी साधारण से असाधारण बना सकते हैं। विनम्र रहना और दूसरों का सम्मान करना ही सच्चा गुण है।

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