पिता की सीख कहानी (Pita Ki Seekh Story In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। बुरी आदतों में लिप्त बेटे को पिता कैसे अच्छी सीख द्वारा बाहर निकालता है, ये इस कहानी में बताया गया है।
Pita Ki Seekh Story In Hindi
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गांव के एक कोने में रहने वाले रामदीन एक ईमानदार और मेहनती किसान थे। उनकी खेती-बाड़ी अच्छी चलती थी, और वे अपने छोटे से परिवार के साथ संतुष्ट जीवन जी रहे थे। उनका बेटा, मोहन, उम्र में जवान था और हाल ही में शहर से पढ़ाई पूरी कर के लौटा था। रामदीन को बेटे की पढ़ाई पर गर्व था और उन्होंने उम्मीद की थी कि मोहन घर लौटकर खेती में उनका हाथ बंटाएगा और परिवार की ज़िम्मेदारी संभालेगा।
लेकिन मोहन का व्यवहार घर लौटने के बाद बदल गया था। शहर में दोस्तों के संग घूमने और बुरी संगत में पड़ने के कारण वह शराब पीने, जुआ खेलने और आलसी जीवनशैली में फंस गया। वह रोज़ देर रात घर लौटता, और सुबह तक सोता रहता। न खेती में कोई दिलचस्पी दिखाता, न ही घर के कामों में कोई सहयोग देता। उसकी मां अक्सर परेशान रहती, पर रामदीन चुपचाप देखता और सोचता कि कब और कैसे मोहन को सही रास्ते पर लाया जाए।
एक दिन, जब मोहन रातभर जुआ खेल कर हार गया और घर खाली जेब लौटा, तो रामदीन ने तय किया कि अब समय आ गया है कि बेटे को सही सीख दी जाए। मगर, वह जानता था कि केवल बातें कहने से कुछ नहीं होगा। मोहन को सबक समझाने के लिए उसे कुछ करना होगा जो उसे हमेशा याद रहे।
अगली सुबह, रामदीन ने मोहन से कहा, “बेटा, आज तुम्हारे साथ एक काम करना है। चलो खेत पर चलते हैं।” मोहन थोड़ा चिढ़कर बोला, “बाबूजी, मुझे नींद आ रही है, आप ही कर लीजिए।”
रामदीन ने जोर देकर कहा, “यह काम जरूरी है, और इसे सिर्फ तुम ही कर सकते हो।”
मोहन बेमन से तैयार हो गया और पिता के साथ खेत की ओर चल पड़ा। रास्ते में, रामदीन ने एक पुराना पेड़ दिखाया जो खेत के किनारे खड़ा था। पेड़ का तना मोटा और मजबूत था, लेकिन उस पर कई कांटे उग आए थे। रामदीन ने मोहन से कहा, “देखो, इस पेड़ पर कई कांटे उग आए हैं। हमें इन्हें निकालना है, ताकि पेड़ फिर से ठीक से बढ़ सके।”
मोहन ने सोचा कि यह काम तो आसान होगा। वह पास रखी दरांती लेकर कांटे काटने लगा, लेकिन जैसे-जैसे कांटे काटता, वे और अधिक उलझते चले गए। कांटे मोटे और मजबूत थे, और कई जगह से तो तने में गहरे धंसे हुए थे। मोहन को समझ में आया कि यह काम जितना दिखता है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल था।
लगभग एक घंटे तक मेहनत करने के बाद मोहन थक गया। उसने दरांती एक तरफ फेंकी और कहा, “बाबूजी, यह काम तो बहुत कठिन है। इसे करने में बहुत समय लगेगा, और शायद हम इसे ठीक से कर भी न पाएं।”
रामदीन ने गंभीरता से मोहन की ओर देखा और बोला, “बेटा, ये कांटे उस बुरी आदत की तरह हैं जो तुम्हें घेर रही है। जब शुरुआत में ये कांटे छोटे थे, तब इन्हें निकालना आसान था। लेकिन अब ये इतने गहरे धंस गए हैं कि इन्हें निकालना बहुत कठिन हो गया है। अगर तुमने इन्हें पहले ही हटाने की कोशिश की होती, तो यह काम इतना कठिन न होता।”
मोहन थोड़ी देर के लिए चुप रहा। उसके मन में पिता की बात गूंजने लगी। रामदीन ने आगे कहा, “तुम्हारी बुरी आदतें भी इन कांटों की तरह हैं। जब तुमने पहली बार जुआ खेला, शराब पी, या आलसी बनना शुरू किया, तो वह एक छोटा कांटा था। तुमने सोचा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अब ये आदतें तुम्हें घेर चुकी हैं और इन्हें छोड़ना मुश्किल हो रहा है। जैसे ये कांटे पेड़ की जड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वैसे ही तुम्हारी बुरी आदतें तुम्हारे जीवन को नुकसान पहुंचा रही हैं। अगर इन्हें अब नहीं हटाया गया, तो तुम्हारा जीवन भी इस पेड़ की तरह बर्बाद हो सकता है।”
मोहन के चेहरे पर चिंता के भाव उभर आए। उसे महसूस हुआ कि पिता की बातों में सच्चाई थी। वह अपनी बुरी आदतों में इतना खो गया था कि उसे एहसास ही नहीं हुआ कि वह अपना जीवन किस दिशा में ले जा रहा था।
रामदीन ने उसे शांत स्वर में कहा, “लेकिन अभी भी समय है, बेटा। जैसे इस पेड़ को बचाने के लिए हमें कांटे निकालने हैं, वैसे ही तुम्हें भी अपनी आदतों से छुटकारा पाना होगा। यह मुश्किल होगा, लेकिन असंभव नहीं।”
मोहन ने पहली बार अपने पिता की बातों को दिल से सुना। उसे समझ में आ गया था कि अगर उसने अपनी बुरी आदतें नहीं छोड़ीं, तो उसका भविष्य अंधकारमय हो सकता है। वह खेत से वापस घर जाते समय गहरे विचारों में डूबा रहा।
अगले दिन, मोहन ने खुद से वादा किया कि वह अपनी जिंदगी को सुधारने के लिए हर संभव कोशिश करेगा। उसने सबसे पहले अपने उन दोस्तों से दूरी बना ली जो उसे गलत रास्ते पर ले जा रहे थे। धीरे-धीरे, उसने शराब और जुए की आदत छोड़ दी।
पिता ने उसके इस बदलाव को देखा, लेकिन कुछ कहा नहीं। उन्होंने मोहन को स्वतंत्र रूप से अपनी जिंदगी का रास्ता चुनने दिया, और मोहन ने सही रास्ते को चुना। वह अब खेती में पिता की मदद करने लगा और घर के कामों में भी अपना योगदान देने लगा। उसका आलस्य भी धीरे-धीरे खत्म हो गया, और वह एक बार फिर मेहनती और जिम्मेदार बेटा बन गया।
कुछ महीनों बाद, एक दिन मोहन अपने पिता के पास आया और कहा, “बाबूजी, आपने जो उस दिन कांटों की बात कही थी, उसने मेरी आंखें खोल दीं। मुझे आज समझ में आया कि छोटी-छोटी बुरी आदतें कैसे हमारी पूरी जिंदगी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अगर आप उस दिन मुझे सबक न देते, तो शायद मैं आज भी उसी गलत रास्ते पर होता।”
रामदीन ने अपने बेटे के सिर पर हाथ फेरा और मुस्कुराते हुए कहा, “हर इंसान से गलतियां होती हैं, बेटा। लेकिन जो उनसे सीख लेता है, वही सच्चे मायने में बड़ा होता है। मुझे खुशी है कि तुमने अपनी गलती को पहचाना और सही रास्ते पर लौट आए।”
मोहन ने अपने पिता से वादा किया कि वह आगे भी अपनी जिंदगी में किसी भी बुरी आदत को खुद पर हावी नहीं होने देगा। अब वह पहले से अधिक मेहनती और जिम्मेदार हो गया था। उसकी मां भी खुश थी कि उनका बेटा वापस सही रास्ते पर आ गया था।
सीख
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुरी आदतें धीरे-धीरे हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं, और अगर हम उन्हें समय रहते नहीं पहचानते और दूर नहीं करते, तो वे हमारे भविष्य को बर्बाद कर सकती हैं। लेकिन सही समय पर सही मार्गदर्शन और आत्म-संयम से हम किसी भी आदत को बदल सकते हैं।