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गरीब मछुआरे और सुनहरी मछली की कहानी | A Poor Fisherman And Golden Fish Story In Hindi

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A Poor Fisherman And Golden Fish Story In Hindi

A Poor Fisherman And Golden Fish Story In Hindi

बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में एक गरीब मछुआरा अपनी पत्नी के साथ रहता था। उनका जीवन बहुत साधारण और संघर्षपूर्ण था। मछुआरा हर दिन समुद्र किनारे जाता और मछलियाँ पकड़कर बेचता, जिससे वे अपनी रोज़ी-रोटी चलाते थे। उनके पास एक पुरानी टूटी-फूटी नाव और फटे-पुराने जाल के अलावा कुछ नहीं था। बावजूद इसके, मछुआरा मेहनती और ईमानदार था, और अपनी किस्मत से संतुष्ट रहने की कोशिश करता था।

एक सुबह, सूरज की पहली किरणों के साथ ही मछुआरा समुद्र किनारे पहुंचा। वह हमेशा की तरह अपनी नाव लेकर समुद्र में गया और जाल डालकर मछलियाँ पकड़ने लगा। मगर उस दिन कुछ अजीब हुआ। कई घंटों की मेहनत के बाद भी एक भी मछली उसके जाल में नहीं फंसी। परेशान और थका हुआ मछुआरा अपने जाल को एक आखिरी बार समुद्र में डालने का फैसला करता है।

कुछ देर बाद जाल भारी महसूस हुआ। उसे लगा कि इस बार जरूर मछली फंसी होगी। जब उसने जाल बाहर निकाला, तो वह चौंक गया। उसके जाल में एक सुनहरी मछली थी, जो बाकी मछलियों से बिलकुल अलग थी। उसकी चमकदार सुनहरी त्वचा धूप में चमक रही थी। 

मछुआरा मछली को देख ही रहा था कि अचानक मछली बोलने लगी, “हे मछुआरे, मुझे छोड़ दो! मैं कोई साधारण मछली नहीं हूँ। अगर तुम मुझे छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। तुम जो भी चाहोगे, मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगी।”

मछुआरा पहले तो हैरान हुआ कि मछली कैसे बोल सकती है, लेकिन वह एक नेक दिल इंसान था। उसने सोचा कि इतनी छोटी सी मछली को नुकसान पहुँचाने का क्या फायदा। वह बोला, “तुम्हारी बातों पर मुझे यकीन नहीं हो रहा, लेकिन मैं तुम्हें छोड़ रहा हूँ, क्योंकि तुम्हें मारना ठीक नहीं लगता। मुझे तुम्हारे बदले कुछ नहीं चाहिए।”

यह कहकर उसने मछली को वापस समुद्र में छोड़ दिया और अपने घर लौट आया।

जब मछुआरा घर पहुंचा, तो उसकी पत्नी ने देखा कि वह खाली हाथ लौट आया है। उसने नाराज़ होकर पूछा, “आज तुम मछली लेकर क्यों नहीं आए? हम अब क्या खाएंगे?” मछुआरे ने उसे सारी बात बताई—सुनहरी मछली, उसकी बात और कैसे उसने उसे बिना कोई इच्छा किए छोड़ दिया। 

पत्नी ने यह सुनकर उसे डाँटते हुए कहा, “तुम कितने बेवकूफ हो! ऐसी सुनहरी मछली तुम्हें मिली और तुमने उससे कुछ नहीं माँगा? कम से कम उससे एक नया जाल ही माँग लेते, ताकि तुम ज्यादा मछलियाँ पकड़ पाते और हमारा जीवन थोड़ा बेहतर हो जाता।”

मछुआरे को अपनी पत्नी की बात सही लगी। उसने कहा, “ठीक है, मैं जाकर मछली से नया जाल मांग लाता हूँ।” 

अगले दिन मछुआरा फिर समुद्र किनारे गया और सुनहरी मछली को पुकारा, “हे सुनहरी मछली, मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि मैं तुमसे एक नया जाल माँगू। क्या तुम हमें एक नया जाल दे सकती हो?”

सुनहरी मछली ने तुरंत जवाब दिया, “चिंता मत करो। जाओ, तुम्हारे पास अब एक नया जाल होगा।” यह कहकर मछली फिर से पानी में गायब हो गई। जब मछुआरा घर लौटा, तो उसने देखा कि घर के बाहर एक चमकदार नया जाल रखा हुआ था। वह खुश हो गया और अपनी पत्नी को यह दिखाया। 

लेकिन उसकी पत्नी की ख्वाहिशें यहाँ खत्म नहीं हुईं। कुछ दिन बीतने के बाद, पत्नी ने फिर से मछुआरे से कहा, “यह नया जाल तो ठीक है, लेकिन हम इतने छोटे और पुराने घर में कैसे रह सकते हैं? तुम जाकर मछली से एक बड़ा और सुंदर घर क्यों नहीं मांगते?”

मछुआरा झिझकते हुए समुद्र किनारे गया और फिर से मछली को बुलाया। उसने कहा, “हे सुनहरी मछली, मेरी पत्नी अब एक बड़ा और सुंदर घर चाहती है। क्या तुम हमारी मदद करोगी?”

सुनहरी मछली ने मुस्कुराते हुए कहा, “जाओ, तुम्हारा घर अब बड़ा और सुंदर होगा।” जब मछुआरा घर लौटा, तो उसने देखा कि उनका पुराना झोपड़ी जैसा घर अब एक बड़ा और सुंदर कुटी में बदल चुका था। उसकी पत्नी बहुत खुश हो गई, लेकिन उसकी इच्छाओं का अंत नहीं हुआ।

कुछ हफ्ते बीत गए और अब पत्नी और भी ज्यादा चाहने लगी। उसने मछुआरे से कहा, “यह कुटी अच्छी है, लेकिन मैं अब एक महल चाहती हूँ। जाओ, मछली से कहो कि हमें एक महल चाहिए।”

मछुआरे को यह सब कुछ गलत लगने लगा, लेकिन वह अपनी पत्नी के दबाव में था। वह फिर से समुद्र किनारे गया और मछली को बुलाकर कहा, “मेरी पत्नी अब एक महल चाहती है।”

सुनहरी मछली ने बिना किसी सवाल के कहा, “जाओ, तुम्हारे पास अब एक महल होगा।” जब मछुआरा घर लौटा, तो उसने देखा कि उनका घर अब एक विशाल महल में बदल चुका था। उसकी पत्नी अब बहुत खुश थी, लेकिन उसकी ख्वाहिशें बढ़ती ही जा रही थीं।

महल मिलने के बाद, उसकी पत्नी का लालच और बढ़ गया। उसने कहा, “अब मैं इस गाँव की रानी बनना चाहती हूँ। जाओ, मछली से कहो कि मुझे इस गाँव की रानी बना दे।”

मछुआरे को यह सुनकर बहुत बुरा लगा। उसे अब समझ में आने लगा था कि उसकी पत्नी का लालच कभी खत्म नहीं होगा। उसने फिर भी मछली के पास जाकर उसकी पत्नी की मांग बताई। मछली ने कहा, “जाओ, तुम्हारी पत्नी अब इस गाँव की रानी होगी।” और ऐसा ही हुआ, उसकी पत्नी गाँव की रानी बन गई।

लेकिन अब उसकी पत्नी और भी अहंकारी हो गई थी। उसने आखिरी बार मछुआरे से कहा, “मैं अब पूरे समुद्र की रानी बनना चाहती हूँ। जाओ, मछली से कहो कि मुझे समुद्र की रानी बना दे।”

मछुआरा इस मांग से हिल गया। उसने मछली के पास जाकर आखिरी बार यह मांग बताई। इस बार सुनहरी मछली ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने सिर्फ अपना सिर हिलाया और समुद्र में गायब हो गई। जब मछुआरा घर लौटा, तो उसने देखा कि उनका महल गायब हो चुका था, और उनकी पुरानी टूटी-फूटी झोपड़ी वहीं खड़ी थी। 

पत्नी अब जमीन पर बैठी थी, उसकी सारी इच्छाएँ खत्म हो चुकी थीं, और वह फिर से उसी गरीबी में लौट आई थी। मछुआरे को समझ में आ गया था कि लालच का कोई अंत नहीं होता, और ज्यादा पाने की चाहत अक्सर हमें हमारी मूल हालत में वापस ले आती है।

सीख  

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने पास जो कुछ है, उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। लालच और असीम इच्छाएँ अंततः हमें बर्बादी की ओर ले जाती हैं।

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