Fairy Tale In Hindi

प्रेम का जादुई सफर लव फेयरी टेल | Prem Ka Jadui Safar Love Fairy Tale In Hindi

प्रेम का जादुई सफर लव फेयरी टेल (Prem Ka Jadui Safar Love Fairy Tale In Hindi) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। पढ़िए :

Prem Ka Jadui Safar Love Fairy Tale

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prem ka jadui safar love fairy tale hindi प्रेम का जादुई सफर लव फेयरी टेल | Prem Ka Jadui Safar Love Fairy Tale In Hindi

बहुत समय पहले की बात है, हिमालय के बीचों-बीच एक छोटा सा गांव हुआ करता था, जिसका नाम “शांतिपुर” था। गांव चारों तरफ से बर्फीली पहाड़ियों से घिरा था और वहां की हवाओं में हमेशा ठंडक रहती थी। इस गांव की खासियत थी कि वहां के लोग बहुत ही शांत और खुशहाल रहते थे। लेकिन शांतिपुर का सबसे बड़ा रहस्य था एक अनोखा जंगल, जिसे “स्वप्न वन” कहा जाता था। यह जंगल गांव से दूर नहीं था, लेकिन वहां जाने की मनाही थी। गांव वालों का मानना था कि इस जंगल में कोई जादू छुपा है, जो केवल सच्चे प्रेमियों के लिए ही प्रकट होता है।

इस गांव में एक साधारण लड़का रहता था, जिसका नाम “आरव” था। आरव दिल का साफ, मेहनती और गांव के लोगों का प्यारा था। लेकिन उसकी ज़िन्दगी में एक कमी थी – वह अब तक सच्चे प्रेम का अनुभव नहीं कर पाया था। आरव ने कई बार अपने दिल की बात कहने की कोशिश की, लेकिन उसे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि वह किसी के साथ सच्चा प्रेम साझा कर सकता है।

एक दिन, आरव ने अपनी दादी से सुना कि “स्वप्न वन” में एक रहस्यमयी परी रहती है, जो उन लोगों को मिलती है, जो सच्चे प्रेम की खोज में होते हैं। यह सुनते ही आरव के मन में एक इच्छा जागी कि वह भी उस परी से मिलना चाहता है और जानना चाहता है कि क्या उसे सच्चा प्रेम मिल सकता है। आरव ने ठान लिया कि वह स्वप्न वन की यात्रा करेगा, भले ही गांव वालों ने वहां जाने से मना किया हो।

आरव ने अपनी यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। उसने अपने साथ सिर्फ कुछ जरूरी सामान लिया और एक सर्द सुबह, जब बर्फ की हल्की परत धरती पर बिछी थी, स्वप्न वन की ओर चल पड़ा। रास्ता आसान नहीं था, पहाड़ों से होकर गुजरते हुए ठंड और मुश्किलें हर कदम पर थीं। लेकिन आरव का मनोबल अटूट था। वह जानता था कि यह यात्रा उसकी जिंदगी बदल सकती है।

जैसे ही आरव जंगल के भीतर पहुंचा, उसे अजीब सा सन्नाटा महसूस हुआ। हर तरफ ऊँचे-ऊँचे पेड़ थे और उनकी शाखाओं से बर्फ की बूँदें धीरे-धीरे टपक रही थीं। उसे महसूस हो रहा था कि कोई उसकी हरकतों को देख रहा है, लेकिन उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था। जंगल के बीच एक झील थी, जो चमकती हुई शांत पानी से भरी हुई थी। उसी झील के पास एक छोटा सा पुल था, जिसके पार एक गुफा नजर आ रही थी। आरव को यकीन था कि वही वह जगह थी, जहां उसे उस रहस्यमयी परी से मुलाकात हो सकती थी।

आरव झील के किनारे बैठ गया और उसकी गहराई में देखने लगा। तभी झील के पानी में हलचल हुई, और धीरे-धीरे पानी से एक सुंदर, चमचमाती परी प्रकट हुई। उसकी आँखें चमकती हुई थीं और उसका चेहरा किसी जादुई दुनिया से आया हुआ प्रतीत हो रहा था। वह परी बेहद सुंदर थी और उसकी उपस्थिति ने पूरे वातावरण को और भी रहस्यमयी बना दिया था।

“तुम कौन हो?” आरव ने चकित होकर पूछा।

परी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरा नाम ‘मोहिनी’ है। मैं इस स्वप्न वन की रक्षक हूं और मैं केवल उन लोगों के सामने आती हूं, जो सच्चे प्रेम की तलाश में होते हैं। तुम यहां क्यों आए हो, आरव?”

आरव ने बिना झिझक अपनी बात कह दी, “मैं सच्चे प्रेम की तलाश में हूं। मैंने सुना है कि इस जंगल में आपसे मिलकर मुझे सच्चा प्रेम मिल सकता है।”

मोहिनी ने उसकी बात ध्यान से सुनी और फिर कहा, “सच्चा प्रेम पाने के लिए तुम्हें केवल इच्छा ही नहीं, बल्कि दिल से उसकी कदर भी करनी होगी। प्रेम कोई खोजने की वस्तु नहीं है, वह तुम्हारे भीतर होता है। लेकिन मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं, बशर्ते तुम मेरे द्वारा दी गई परीक्षाओं को पास कर सको।”

आरव ने सहमति में सिर हिलाया और परीक्षाओं के लिए तैयार हो गया।

पहली परीक्षा थी – विश्वास की परीक्षा। मोहिनी ने आरव से कहा कि वह उसकी आंखों पर पट्टी बांधेगी और उसे जंगल के सबसे घने हिस्से तक पहुंचना होगा, जहां एक चमकीला फूल है। उसे उस फूल को बिना किसी डर के तोड़कर लाना होगा। आरव की आंखों पर पट्टी बांध दी गई और वह बिना कुछ देखे आगे बढ़ने लगा। चारों ओर अंधेरा और डरावनी आवाजें थीं, लेकिन आरव ने अपना विश्वास नहीं खोया। उसने सोचा कि अगर उसका विश्वास मजबूत है, तो वह इस परीक्षा को पास कर लेगा। कुछ देर बाद, उसने फूल को छू लिया और उसे तोड़कर वापस लौटा।

मोहिनी ने उसकी परीक्षा पास होने पर कहा, “तुम्हारे भीतर विश्वास है, जो प्रेम की नींव है। अब दूसरी परीक्षा के लिए तैयार हो जाओ।”

दूसरी परीक्षा थी – “त्याग की परीक्षा”। मोहिनी ने उसे बताया कि उसे उस चीज़ का त्याग करना होगा, जो उसे सबसे ज्यादा प्रिय हो। आरव को इस बात पर गहराई से सोचना पड़ा। काफी सोच-विचार के बाद, उसने अपनी मां द्वारा दी गई एक पुरानी अंगूठी का त्याग करने का फैसला किया, जो उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण थी। उसे लगा कि सच्चे प्रेम के लिए कोई भी त्याग बड़ा नहीं होता। मोहिनी ने उसकी इस भावना की सराहना की और उसे दूसरी परीक्षा में भी सफल घोषित किया।

अब बारी थी तीसरी और आखिरी परीक्षा की, जो सबसे कठिन थी। यह थी – “धैर्य की परीक्षा”। मोहिनी ने आरव से कहा कि उसे बिना किसी शिकायत या निराशा के उस झील के किनारे एक पूरे महीने तक इंतजार करना होगा, तब तक जब तक वह खुद उसके पास आकर सच्चे प्रेम का रहस्य नहीं बता देती। आरव ने इस चुनौती को भी स्वीकार किया।

हर दिन ठंड, बर्फ, और अकेलापन आरव की परीक्षा ले रहा था। कई बार उसका मन हार मानने को होता, लेकिन उसने धैर्य रखा और मोहिनी के आने का इंतजार करता रहा। एक महीने बाद, मोहिनी उसके सामने प्रकट हुई और उसकी धैर्य की परीक्षा को सफल बताया।

मोहिनी ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने सभी परीक्षाओं को पार कर लिया है, आरव। अब समय है कि तुम सच्चे प्रेम का अनुभव करो। लेकिन याद रखना, प्रेम पाने के लिए तुम्हें पहले खुद से प्रेम करना होगा और दूसरों की भावनाओं की कद्र करनी होगी।”

इतना कहकर मोहिनी ने अपने हाथों से एक चमकता हुआ दिल आरव के सामने रखा। यह जादुई दिल आरव के भीतर समा गया और उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह एक नई ऊर्जा से भर गया हो। मोहिनी ने कहा, “अब तुम जहां भी जाओगे, प्रेम तुम्हारे साथ होगा। तुम अपने जीवनसाथी को खुद ढूंढोगे, लेकिन अब तुम्हारे दिल में सच्चे प्रेम की शक्ति है।”

आरव ने मोहिनी का आभार व्यक्त किया और गांव की ओर लौट पड़ा। उसके भीतर अब प्रेम की एक नई चमक थी। कुछ समय बाद, गांव में उसकी मुलाकात “आर्या” नाम की एक लड़की से हुई, जो गांव में नई आई थी। आरव को तुरंत एहसास हुआ कि यही वह व्यक्ति है, जिसके साथ वह सच्चा प्रेम साझा कर सकता है। धीरे-धीरे दोनों के बीच प्रेम बढ़ता गया, और आरव ने मोहिनी की दी हुई सीख को हमेशा याद रखा।

आरव और आर्या का प्रेम गांव भर में मशहूर हो गया। उन्होंने जीवनभर एक-दूसरे का साथ निभाया और साबित किया कि सच्चा प्रेम न केवल परीक्षाओं से गुजरता है, बल्कि धैर्य, विश्वास और त्याग की भी मांग करता है।

“स्वप्न वन” का जादू कभी खत्म नहीं हुआ, लेकिन उसकी परीक्षाएं केवल उन्हीं के लिए थीं, जो सच्चे दिल से प्रेम की खोज में होते थे।

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