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राजकुमारी अनास्तासिया की कहानी परी कथा | Princess Anastasia Story In Hindi Fairy Tale

Princess Anastasia Story In Hindi राजकुमारी अनास्तासिया की कहानी परी कथा | Princess Anastasia Story In Hindi Fairy Tale
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राजकुमारी अनास्तासिया की कहानी परी कथा (Princess Anastasia Story In Hindi Fairy Tale) राजकुमारी अनास्तासिया और सपनों के राजकुमार की कहानी रहस्यों और जादू से भरी एक प्राचीन कथा है, जो रूसी लोककथाओं में सदियों से सुनाई जाती रही है। यह कहानी न केवल प्रेम की विजय का प्रतीक है, बल्कि यह साहस, दृढ़ता और विश्वास की भी एक गहरी मिसाल है।

Princess Anastasia Story In Hindi

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Princess Anastasia Story In Hindi

रूस के विशाल और ठंडे जंगलों के बीच स्थित एक राज्य था जिसका नाम नोवगार्ड था। इस राज्य पर राजा अलेक्सेई और रानी मारिया का शासन था। दोनों ही न्यायप्रिय और दयालु शासक थे, जिनकी प्रजा उनसे बहुत प्रेम करती थी। उनके परिवार में एकमात्र संतान थी, राजकुमारी अनास्तासिया। अनास्तासिया ना केवल सुंदर थी बल्कि वह बुद्धिमान, साहसी और अपने राज्य की भलाई के लिए समर्पित भी थी। राज्य के लोग उसे बहुत चाहते थे, और उसे एक आदर्श रानी के रूप में देखते थे।

जब अनास्तासिया छोटी थी, उसने एक सपना देखा। वह एक सुंदर और शांत बगीचे में खड़ी थी, जहाँ उसने एक राजकुमार को देखा, जिसने उसकी ओर देखा और मुस्कुराया। उस राजकुमार की आँखों में कुछ ऐसा था, जो उसे बेहद खास और जाना-पहचाना लगा। वह सपना इतना जीवंत और वास्तविक था कि अनास्तासिया को विश्वास हो गया कि वह राजकुमार कोई साधारण सपना नहीं, बल्कि उसके भाग्य का हिस्सा था। समय बीतता गया, लेकिन अनास्तासिया ने कभी भी उस राजकुमार के चेहरे को भुलाया नहीं। 

जब अनास्तासिया युवा हुई, तो राज्य पर विपत्तियों का साया मंडराने लगा। राज्य में सूखा पड़ा, फसलें बर्बाद होने लगीं, और लोग भुखमरी का सामना करने लगे। राजा अलेक्सेई और रानी मारिया ने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन राज्य की समस्याएँ बढ़ती ही गईं। तब एक दिन, राज्य के बुजुर्गों ने एक पुराने शास्त्र का हवाला दिया, जिसमें लिखा था कि इस विपत्ति का समाधान केवल “सपनों के राजकुमार” के द्वारा ही संभव है।

राजा और रानी को यह सुनकर याद आया कि अनास्तासिया अक्सर एक राजकुमार के बारे में सपने देखा करती थी। उन्होंने अनास्तासिया से बात की, और उसे अपने सपने के बारे में विस्तार से बताया। अनास्तासिया समझ गई कि यह वही राजकुमार है जिसे उसने अपने सपनों में देखा था। उसने अपने माता-पिता से कहा कि वह उस राजकुमार की तलाश में जाएगी, चाहे इसके लिए उसे कितनी भी कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े। 

अनास्तासिया ने अपनी यात्रा की शुरुआत की, और उसने राज्य के सबसे पुराने और ज्ञानी जादूगर से मिलने का निश्चय किया, जिसका नाम सर्गेई था। सर्गेई एक गहरे और घने जंगल में रहता था, जहाँ पहुँचने का रास्ता खतरनाक और मुश्किलों से भरा हुआ था। अनास्तासिया ने बहादुरी से सभी मुश्किलों का सामना किया और अंततः सर्गेई के निवास स्थान पर पहुँच गई।

सर्गेई ने अनास्तासिया की बात सुनी और उसे बताया कि जिस राजकुमार को वह खोज रही है, वह कोई साधारण इंसान नहीं है। वह राजकुमार एक जादुई बगीचे में कैद है, जिसे एक दुष्ट जादूगर ने श्राप देकर पत्थर में बदल दिया है। उस जादू को तोड़ने के लिए अनास्तासिया को कई कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। सर्गेई ने उसे एक जादुई अमूल्य हार दिया, जो अनास्तासिया की रक्षा करेगा और उसे सही रास्ता दिखाएगा। 

अनास्तासिया ने साहस के साथ अपनी यात्रा जारी रखी। उसकी पहली परीक्षा थी एक खतरनाक नदी को पार करना, जिसे पार करने में कई बहादुर योद्धा असफल हो चुके थे। लेकिन अनास्तासिया ने सर्गेई द्वारा दिए गए हार की मदद से नदी के जादुई पुल को देखा और उसे पार किया।

दूसरी परीक्षा में अनास्तासिया को एक विशाल और भयानक राक्षस का सामना करना पड़ा, जो उस जंगल की रखवाली करता था जहाँ से होकर बगीचे का रास्ता जाता था। अनास्तासिया ने अपने साहस और चतुराई से राक्षस को पराजित किया और अपनी यात्रा को जारी रखा।

जब राजकुमारी अनास्तासिया अपने साहसिक सफर में जादुई बगीचे के द्वार पर पहुंची, तो उसके सामने तीसरी परीक्षा थी।  उसने देखा कि द्वार के सामने एक विशाल पत्थर का खंभा खड़ा था। इस खंभे पर एक प्राचीन और गूढ़ पहेली लिखी हुई थी। इस पहेली को हल किए बिना बगीचे का द्वार नहीं खुल सकता था। 

खंभे पर लिखी पहेली इस प्रकार थी:

“मैं वह हूँ जो तुम्हारे सपनों में है,  

पर न कभी जागा है, न सोया है।  

मुझे पकड़ो तो मैं टूट जाऊँ,  

मुझे छोड़ो तो मैं तुम्हारा बन जाऊँ।  

बताओ, मैं क्या हूँ?”

अनास्तासिया ने ध्यान से पहेली को पढ़ा। यह कोई साधारण पहेली नहीं थी। उसे समझ आ गया कि यह पहेली उसी राजकुमार से जुड़ी है जिसे वह खोज रही थी। उसने सोचा कि इस पहेली के तीन हिस्से हैं, और इन्हें एक साथ जोड़ने पर ही सही उत्तर मिलेगा।

पहेली का पहला भाग था, “मैं वह हूँ जो तुम्हारे सपनों में है, पर न कभी जागा है, न सोया है।” इस वाक्य को समझने पर अनास्तासिया को लगा कि यह उसके सपनों के राजकुमार के बारे में हो सकता है। राजकुमार ने कभी न जागने और न सोने की स्थिति में समय बिताया था, क्योंकि वह पत्थर की मूर्ति में कैद था। 

दूसरा भाग था, “मुझे पकड़ो तो मैं टूट जाऊँ, मुझे छोड़ो तो मैं तुम्हारा बन जाऊँ।” यह वाक्य और भी गूढ़ था। अनास्तासिया ने सोचा कि इसका संबंध किसी नाजुक वस्तु या भावना से हो सकता है। उसने अंततः निष्कर्ष निकाला कि यह वाक्य ‘प्रेम’ के बारे में था। प्रेम को जबरन पकड़ने की कोशिश की जाए, तो वह टूट जाता है, लेकिन जब उसे स्वाभाविक रूप से आने दिया जाए, तो वह सच्चा और स्थायी हो जाता है।

इस तरह, अनास्तासिया ने इस पहेली का उत्तर पाया: “सपना और प्रेम।” सपनों का राजकुमार उसके प्रेम का प्रतीक था, जो उसकी आँखों के सामने था, लेकिन फिर भी उसकी पहुंच से दूर था, जब तक कि वह अपने दिल से सच्चा प्रेम नहीं दिखाती।

जैसे ही अनास्तासिया ने जोर से कहा, “उत्तर है सपना और प्रेम,” पत्थर का खंभा चमकने लगा। पहेली का उत्तर सही था। खंभा दो भागों में बंट गया, और उसके भीतर से एक उज्ज्वल रोशनी निकली, जो बगीचे के द्वार तक गई। रोशनी के संपर्क में आते ही, द्वार धीरे-धीरे खुलने लगा।

द्वार के खुलने पर अनास्तासिया ने बगीचे में प्रवेश किया। बगीचा देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गई। वह बगीचा उसके सपनों के बगीचे जैसा ही था, हरा-भरा, सुगंधित फूलों से भरा और शांतिपूर्ण। बगीचे के बीचोबीच एक विशाल पत्थर का पुतला था, जिसमें वह राजकुमार कैद था। 

अनास्तासिया ने हार के जादू के माध्यम से समझा कि उस पत्थर को तोड़ने के लिए सच्चे प्रेम की आवश्यकता है। उसने बिना किसी झिझक के राजकुमार के पत्थर की मूर्ति को गले लगाया और सच्चे दिल से कहा, “तुम मेरे सपनों के राजकुमार हो, और मैं तुम्हें इस कैद से मुक्त करुँगी।”

उसके शब्दों में इतना विश्वास और प्रेम था कि पत्थर की मूर्ति चमकने लगी और देखते ही देखते राजकुमार जिंदा हो उठा। वह वही राजकुमार था, जिसे अनास्तासिया ने अपने सपनों में देखा था। उसकी आँखों में वही पहचान थी, वही मुस्कान थी। 

राजकुमार ने अनास्तासिया को धन्यवाद दिया और उसे अपनी कहानी सुनाई। वह एक शक्तिशाली राज्य का उत्तराधिकारी था, लेकिन एक दुष्ट जादूगर ने उसे हराने के लिए उसे श्राप देकर पत्थर में बदल दिया था। केवल सच्चे प्रेम की शक्ति ही उसे इस श्राप से मुक्त कर सकती थी, और अनास्तासिया के प्रेम ने उसे बचा लिया।

राजकुमार के श्राप से मुक्त होते ही, पूरे राज्य में खुशहाली लौट आई। फसलें लहलहाने लगीं, बारिश होने लगी और लोगों की समस्याएँ दूर होने लगीं। अनास्तासिया और राजकुमार का प्रेम कहानी हर तरफ फैल गई, और दोनों का विवाह बड़े धूमधाम से हुआ।

नोवगार्ड राज्य में खुशियों का माहौल था। राजा और रानी अपने राज्य की समृद्धि को देखकर बेहद खुश थे। अनास्तासिया और राजकुमार ने मिलकर अपने राज्य का शासन संभाला और इसे पहले से भी अधिक समृद्ध और खुशहाल बनाया।

सीख

राजकुमार अनास्तासिया और उसके सपनों के राजकुमार की यह कहानी इस बात की मिसाल है कि सच्चा प्रेम हर बाधा को पार कर सकता है और किसी भी श्राप को तोड़ सकता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम अपने सपनों पर विश्वास करते हैं, तो उन्हें साकार करने की शक्ति हममें होती है। 

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