Fairy Tale In Hindi

राजकुमारी की अदला बदली परी कथा | Rajkumari Ki Adla Badli Fairy Tale

राजकुमारी की अदला बदली परी कथा | Rajkumari Ki Adla Badli Fairy Tale In Hindi  

हर कहानी में कोई न कोई सीख छिपी होती है, और यही बात परियों की कहानियों पर भी लागू होती है। यह कहानी एक ऐसी राजकुमारी की है, जिसकी किस्मत जन्म के साथ ही बदल गई थी। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची महानता जन्म से नहीं, बल्कि कर्मों से आती है।

Rajkumari Ki Adla Badli Fairy Tale 

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Rajkumari Ki Adla Badli Fairy Tale

बहुत समय पहले की बात है, जब सूर्यनगर नामक एक समृद्ध और सुंदर राज्य था। इस राज्य के राजा उदयन और रानी सुमित्रा बहुत दयालु और न्यायप्रिय थे। वे प्रजा की भलाई का हमेशा ध्यान रखते थे, लेकिन एक चीज़ की कमी थी—उनके कोई संतान नहीं थी।

राजा-रानी ने वर्षों तक भगवान से एक संतान के लिए प्रार्थना की। अंततः उनकी प्रार्थना सफल हुई, और रानी ने एक सुंदर कन्या को जन्म दिया। पूरे राज्य में हर्षोल्लास का माहौल था।

लेकिन उसी रात, जब महल के लोग सो रहे थे, एक दाई, जिसका नाम कमला था, ने राजकुमारी को चुरा लिया। कमला ने यह काम लालच में किया था, क्योंकि रानी की बड़ी बहन, जिसकी स्वयं की कोई संतान नहीं थी, उसने ईर्ष्या में कमला को रानी की संतान चुराने के लिए पैसे दिए थे। कमला ने महल के पास ही एक गरीब किसान की नवजात पुत्री को उठाया और उसे राजकुमारी की जगह पालने में रख दिया।

राजा और रानी ने किसान की पुत्री को ही अपनी संतान समझकर बड़े लाड़-प्यार से पाला। उधर, असली राजकुमारी को गरीब किसान दीनू और उसकी पत्नी गंगा ने अपनी संतान की तरह पाला। उन्होंने उसका नाम राधा रखा।

राजमहल में पली-बढ़ी नकली राजकुमारी, जिसका नाम सुमन रखा गया था, बचपन से ही घमंडी और आलसी थी। वह अपने अहंकार में कभी किसी का दुख-दर्द नहीं समझती थी। राजा-रानी को यह बात खलती थी, लेकिन वे सोचते थे कि शायद समय के साथ सुमन सुधर जाएगी।

वहीं, असली राजकुमारी राधा ने गरीबी में रहते हुए भी अपने माता-पिता से सच्चे संस्कार सीखे। उसने दूसरों की मदद करना, मेहनत करना और ईमानदारी का महत्व समझा। वह एक निडर और दयालु लड़की थी, जो गांव में सबकी सहायता करती थी।

समय बीतता गया और दोनों बालिकाएँ युवा हो गईं। एक दिन सूर्यनगर के पड़ोसी राज्य से एक शक्तिशाली दुश्मन राजा ने आक्रमण कर दिया। राजा उदयन बुढ़ापे के कारण युद्ध के लिए सक्षम नहीं थे, और राजकुमारी सुमन को लड़ाई में कोई रुचि नहीं थी।

उसी समय, राधा ने अपने गाँव में सैनिकों की मदद की, घायल लोगों का उपचार किया और युद्ध की रणनीति बनाने में सहायता की।

युद्ध के बाद जब राधा की बहादुरी और नेतृत्व क्षमता की चर्चा पूरे राज्य में होने लगी, तो राजा उदयन और रानी सुमित्रा को अपनी बेटी सुमन को देखकर चिंता होने लगी। सुमन राजसी वैभव में पली-बढ़ी थी, लेकिन उसमें न तो दयालुता थी और न ही नेतृत्व क्षमता। दूसरी ओर, एक साधारण किसान की बेटी राधा में निडरता, बुद्धिमानी और करुणा का ऐसा संगम था, जो एक असली शासक में होना चाहिए।

यह संयोग महल के एक वृद्ध सेवक, सोमराज, की नज़र से भी नहीं छिपा। वह वर्षों से राजा के साथ था और उसने खुद रानी सुमित्रा को जन्म के समय राजकुमारी के साथ देखा था। अब जब उसने राधा को देखा, तो उसे कुछ अजीब लगा।

सोमराज को याद आया कि जब राजकुमारी का जन्म हुआ था, तो उसने एक खास किस्म की सुनहरी किनारी वाली रेशमी चादर में उसे लपेटा था। वह चादर शाही परिवार की परंपरा थी, और हर पीढ़ी में पहली संतान को यही चादर ओढ़ाई जाती थी।

उस रात, जब कमला ने अदला-बदली की, तो असली राजकुमारी के साथ वह चादर भी किसान के घर चली गई थी।

जब सोमराज ने यह बात राजा को बताई, तो राजा ने तुरंत सैनिक भेजकर दीनू और गंगा (राधा के माता-पिता) के घर उस चादर को खोजने का आदेश दिया।

किसान की पत्नी गंगा को भी वर्षों से इस चादर को लेकर संदेह था, लेकिन वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी बेटी असल में राजकुमारी हो सकती है। जब सैनिकों ने चादर देखी और उसे महल लाया गया, तो रानी सुमित्रा ने उसे पहचान लिया। यह वही चादर थी, जिसमें उन्होंने अपनी नवजात बेटी को पहली बार देखा था।

चादर मिलने के बाद राजा ने दाई कमला को खोजने का आदेश दिया। उसे पकड़कर महल लाया गया और जब राजा ने उसे सच बताने को कहा, तो पहले वह डर गई। लेकिन जब उसे यकीन दिलाया गया कि यदि वह सच बोलेगी, तो उसे कठोर दंड नहीं दिया जाएगा, तो उसने सारी सच्चाई उगल दी।

उसने स्वीकार किया कि लालच में आकर उसने राजकुमारी को बदल दिया था और ये सब उसने रानी की बहन के करने पर किया था।

राजमहल की सभा में राजा ने पूरे राज्य को यह रहस्य बताया। सभी आश्चर्यचकित थे, लेकिन सबसे ज्यादा स्तब्ध सुमन थी। उसने अपने पूरे जीवन को राजकुमारी मानकर जिया था, लेकिन अब वह समझ गई थी कि असली महानता जन्म से नहीं, बल्कि कर्मों से आती है।

राधा, जिसे असली राजकुमारी घोषित किया गया, ने अपने किसान माता-पिता को छोड़ने से इनकार कर दिया। उसने कहा, “उन्होंने मुझे अपने खून से नहीं, बल्कि अपने प्रेम और संस्कारों से पाला है। मैं कभी भी उन्हें छोड़ नहीं सकती।”

राजा ने उसे गले लगाया और कहा, “सच्ची राजकुमारी वही होती है, जो अपने कर्मों से महान बनती है।”

इसके बाद, राजा ने राधा को उत्तराधिकारी घोषित किया और सुमन को भी अवसर दिया कि वह अपने जीवन को एक नई दिशा में ले जाए।

राधा ने अपने सच्चे संस्कारों के कारण सुमन से कोई द्वेष नहीं रखा। उसने सुमन को सिखाया कि असली महानता जन्म से नहीं, बल्कि कर्मों से आती है। सुमन को अपनी गलतियों का अहसास हुआ और उसने मेहनत और दयालुता का मार्ग अपनाया।

राजा उदयन ने राज्य की जिम्मेदारी राधा को सौंपी, और उसने एक न्यायप्रिय और दयालु शासक बनकर राज्य को समृद्ध किया।

सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि जन्म या परिस्थिति नहीं, बल्कि इंसान के कर्म ही उसे महान बनाते हैं। सच्ची शक्ति दयालुता, मेहनत और ईमानदारी में होती है। हम चाहे किसी भी परिस्थिति में जन्म लें, हमारे निर्णय और कार्य ही हमारी असली पहचान बनाते हैं।

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